Source :- LIVE HINDUSTAN
सिर्फ कमाने से महिला सशक्त नहीं बनती। जब वह अपने पैसे का उपयोग, निवेश और प्रबंधन खुद करना शुरू करती है, तब वह सच्चे मायनों में आत्मनिर्भर बनती है। आर्थिक आत्मनिर्भरता के इस सफर की शुरुआत कैसे करें, बता रहे हैं बिजनेस कोच गोविंद भादू
आज की महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं। वह डॉक्टर भी है, डिजाइनर भी है, डेवलपर भी है और डायरेक्टर भी। लेकिन एक सवाल अब भी अधूरा है – क्या वह अपने पैसे का पूरा नियंत्रण खुद रखती है? क्या वह खुद निवेश के निर्णय लेती है? क्या वह अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग में शामिल है? अगर इन सवालों काे पढ़कर आप ना में सिर हिला रही हैं, तो इसका मतलब है कि कामकाजी होने और पैसे कमाने के बावजूद आपकी आर्थिक आत्मनिर्भरता अभी अधूरी है। सच्ची आत्मनिर्भरता तब होती है, जब कोई महिला सिर्फ कमाती नहीं, बल्कि अपने पैसों के संबंध में निर्णय लेने में भी सक्षम होती है। अकसर देखा गया है कि महिलाएं कमाती तो हैं, लेकिन अपने पैसे का नियंत्रण किसी और के हाथ में दे देती हैं – पति, पिता या भाई। या फिर वे खुद ही पैसे से जुड़ी बातचीत से कतराती हैं। जबकि यह सोच अब बदलनी चाहिए। पैसा सिर्फ जरूरत नहीं, जिम्मेदारी भी है। अगर आप अपने पैसे को लेकर सजग नहीं हैं, तो आप कभी पूरी तरह सशक्त नहीं हो सकतीं। अगर आप भी आर्थिक रूप से आत्मर्निभर होना चाहती हैं, तो निम्न मुद्दों में निर्णय लेते वक्त आपकी सक्रिय भूमिका होनी चाहिए:
कहां खर्च करना है?
कितनी बचत करनी है?
कहां निवेश करना है?
कौन-सा इंश्योरेंस लेना है ?
आर्थिक मामलों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के इस सफर की शुरुआत कैसे की जाए, आइए जानें:
बजट बनाएं और ट्रैक करें
हर महीने की आमदनी और खर्च का विस्तृत लेखा-जोखा रखें।
ऐप्स या एक साधारण डायरी से शुरुआत करें।
जैसे-जैसे आदत बनेगी, समझ बढ़ेगी।
इमरजेंसी फंड तैयार रखें
किसी भी कठिन समय जैसे नौकरी चले जाने या आय के साधन अचानक बंद हो जाने की स्थिति में अपनी जीवनशैली को बरकरार रखने के लिए कम से कम 6 महीने के बजट की राशि अलग रखें। इससे आप आर्थिक रूप से किसी पर निर्भर नहीं रहेंगी।
निवेश की समझ विकसित करें
म्यूचुअल फंड, एसआईपी, गोल्ड, पीपीएफ जैसी योजनाओं को समझें।
छोटी राशि से निवेश की शुरुआत करें। शुरुआत में प्रति माह 500 रुपए का निवेश करना भी पर्याप्त है।
इंश्योरेंस और रिटायरमेंट प्लानिंग करें
स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा जरूर करवाएं।
भविष्य की सुरक्षा के लिए एनपीएस, पीएफ या पेंशन प्लान में निवेश करें।
फाइनेंशियल बातचीत से न डरें
पति, परिवार या फाइनेंशियल एडवाइजर से खुलकर चर्चा करें।
प्रोफेशनल बातचीत में अपने वेतन या रेट्स आदि पर मुखर रहें।
आर्थिक आत्मर्निभरता के फायदे
सुनीता एक मार्केटिंग प्रोफेशनल हैं। पहले उनकी सैलरी पूरी तरह उनके पति मैनेज करते थे। लेकिन कोविड के दौरान उन्हें समझ आया कि पैसे पर अपनी समझ और निर्णय होना कितना ज़रूरी है। उन्होंने खुद एसआईपी शुरू की, हेल्थ इंश्योरेंस लिया और एक ऑनलाइन कोर्स करके अतिरिक्त आय का स्रोत भी तैरयार कर लिया। आज पूजा कहती हैं, ‘ मेरे पैसे पर आज मेरा नियंत्रण है। यही मेरी असली आजादी है।’ जब महिला आर्थिक रूप से सशक्त होती है, तो:
उसके निर्णय में आत्मविश्वास होता है।
वह बच्चों को बेहतर शिक्षा व जीवनशैली दे सकती है।
वह अपनी इच्छाओं और जरूरतों के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहती
वह संकट के समय खुद को संभाल सकती है।
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