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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक दलित परिवार को जबरन इस्लाम धर्म अपनाने पर मजबूर किया जा रहा था। यह घटना मौदहा थाना क्षेत्र की है, जहाँ उर्मिला नाम की एक दलित महिला ने आरोप लगाया कि नूरुद्दीन, मेराजू हसन, खालिक, इरफान और मोहम्मद हनीफ नाम के व्यक्तियों ने उन्हें और उनके परिवार को धर्म परिवर्तन के लिए धमकाया। 

उर्मिला ने बताया कि उनकी तबीयत अक्सर खराब रहती थी। लगभग दो साल पहले उनकी मुलाकात नूरुद्दीन नाम के व्यक्ति से हुई, जिसने बीमारी ठीक करने का झांसा देकर उन्हें मजार पर जाने को कहा। इसके बाद नूरुद्दीन अपने भतीजे मेराजू हसन और खालिक के साथ उनके घर पहुंचा। इन लोगों ने उर्मिला के घर में जबरन मजार बनवाई और उर्स मनाने की बात कही। परिवार को आश्वासन दिया गया कि इस्लाम अपनाने से उनकी बीमारियां खत्म हो जाएंगी और उन्हें ऊँची जाति का दर्जा मिलेगा। 10 जनवरी 2025 को, इन लोगों ने उर्स का आयोजन किया और परिवार पर इस्लाम अपनाने का दबाव बनाया। आरोप है कि जब परिवार ने मना किया तो उन्हें धमकियां दी गईं। हालांकि, परिवार ने साहस दिखाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने इस मामले में सभी पाँच आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है और उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और उत्तर प्रदेश धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।

यह मामला न केवल धार्मिक कट्टरता की ओर इशारा करता है, बल्कि इस्लाम में मौजूद जातिवाद और फिरकों की गहराई को भी उजागर करता है। सवाल यह उठता है कि जो इस्लाम अपने भीतर 73 फिरकों में बँटा है, जहाँ शिया-सुन्नी का झगड़ा आम है, बरेलवियों ने अहले हदीस के खिलाफ फतवे जारी कर रखे हैं, वहाँ यह मौलाना दलितों को कौन सा ऊँचा दर्जा दिलाने का दावा कर रहे हैं?  इस्लाम में जातिवाद की जड़ें इतनी गहरी हैं कि आज भी कई मुस्लिम समुदाय अहमदियों को मुसलमान मानने से इनकार करते हैं। अहमदी मुसलमान रोज़ा रखते हैं, अल्लाह को मानते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें “काफिर” कहा जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि जो दलित पहले से ही इस्लाम की नज़र में “काफिर” हैं, उन्हें इस्लाम में शामिल करने की ऐसी साजिशें क्यों रची जा रही हैं?

यह घटना न केवल धर्मांतरण की गंभीरता को दिखाती है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर इस तरह के झूठे झांसे देकर भोले-भाले लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने का यह खेल कब तक चलता रहेगा। धर्म किसी के साथ जबरन थोपा नहीं जा सकता, और ऐसी घटनाएँ समाज में वैमनस्य फैलाने का काम करती हैं। प्रशासन को इस मामले में कठोर कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी साजिशों पर रोक लगाई जा सके।

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