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कप्तानी से लेकर रोहित-कोहली की वापसी तक, भारतीय टीम की बड़ी चुनौती क्या है?

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Source :- BBC INDIA

भारतीय क्रिकेट टीम

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एक घंटा पहले

साल 2024 के जून के अंत में भारतीय क्रिकेट टीम ने दक्षिण अफ़्रीका को हराकर टी-20 क्रिकेट विश्व कप जीता था. इसके बाद भारत में क्रिकेट प्रेमियों के बीच उसका ख़ुमार कई हफ़्तों तक बना रहा.

लेकिन उसी साल अगस्त में श्रीलंका के ख़िलाफ़ वनडे सिरीज़ में भारत को हार का सामना करना पड़ा, जो 1997 के बाद वहां उसकी पहली ऐसी हार थी. फिर नवंबर में भारतीय टीम न्यूज़ीलैंड में टेस्ट सिरीज़ 0-3 से हार गई और न्यूज़ीलैंड में ऐसा भारत के ख़िलाफ़ पहली बार हुआ.

इसके बाद हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के साथ हुई बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफी में भारत पांच टेस्ट मैचों की सिरीज़ 1-3 से हार गया, जो पिछले दस सालों में पहली बार हुआ.

क्रिकेट के सभी फ़ॉर्मेट में लगातार इन हारों के कारण भारतीय बल्लेबाज़ी पर सवाल उठाए गए हैं और साथ ही भारतीय क्रिकेट प्रेमियों का दिल भी टूटा है.

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ऑस्ट्रेलिया दौरा हमेशा से ही विवादों से भरा रहा है, लेकिन इस बार मैदान के बाहर के विवादों की भी उतनी ही चर्चा हुई. सवाल उठने लगे हैं कि भारतीय बल्लेबाज़ी विकेट पर ठहर क्यों नहीं रही?

क्या विराट कोहली और रोहित शर्मा अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर हैं और जसप्रीत बुमराह के अलावा भारतीय गेंदबाज़ों में वो निरंतर पैनापन क्यों नहीं दिख रहा?

इसके साथ ही भारतीय टेस्ट टीम की कप्तानी का सक्सेशन प्लान भी चर्चा में है, यानी अगला कप्तान कौन होगा?

और जुलाई में भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच का कार्यभार संभालने वाले गौतम गंभीर पर भी सवाल उठने लगे हैं.

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बीबीसी हिन्दी के साप्ताहिक कार्यक्रम, ‘द लेंस’ में कलेक्टिव न्यूज़रूम के डायरेक्टर ऑफ़ जर्नलिज़म मुकेश शर्मा ने इन सभी सवालों पर चर्चा की.

इस चर्चा में क्रिकेट पत्रकार विमल कुमार, पूर्व भारतीय क्रिकेटर विजय दहिया और वरिष्ठ खेल पत्रकार शारदा उगरा शामिल हुईं.

क्या विराट-रोहित का टेस्ट करियर ख़त्म हो रहा है?

रोहित शर्मा और विराट कोहली

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बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफी के मेलबर्न में हुए ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ चौथे टेस्ट मुकाबले के पांचवें और आख़िरी दिन भारत की दूसरी पारी में कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली दोनों ही दहाई का अंक नहीं छू पाए थे, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनके लिए ‘हैप्पी रिटायरमेंट’ ट्रेंड होने लगा था.

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफी का पांचवां और आख़िरी टेस्ट मैच सिडनी में खेला गया, लेकिन रोहित शर्मा ने इस मैच से बाहर रहने का फैसला लिया. उनकी जगह भारतीय तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह ने टीम का नेतृत्व किया.

इस फैसले के बाद कुछ लोगों का मानना था कि रोहित शर्मा संन्यास की घोषणा कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा, “मैंने रिटायरमेंट नहीं लिया है. बल्कि मैंने इस टेस्ट से बाहर रहने का फैसला किया है. यह मुश्किल था, लेकिन यह समझदारी भरा फैसला था.”

वहीं विराट कोहली के लगातार खराब प्रदर्शन को लेकर भी क्रिकेट प्रेमियों ने कई सवाल खड़े किए.

अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या रोहित शर्मा और विराट कोहली का टेस्ट करियर खत्म हो रहा है?

इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ क्रिकेट पत्रकार विमल कुमार ने कहा, “रोहित शर्मा और विराट कोहली के भविष्य का फैसला निष्पक्ष तरीके से अजीत अगरकर ही ले सकते हैं. चाहे वह फ़ैसला कुछ भी हो, रोहित शर्मा, विराट कोहली और गौतम गंभीर उस पर आपत्ति नहीं जताएंगे.”

विमल कुमार ने कहा, “अजीत अगरकर ने जो संयम बनाए रखा है, वह बहुत समझदारी का काम है. इसका कारण यह है कि छह महीने बाद इंग्लैंड में रेड बॉल क्रिकेट खेलनी है.”

वो कहते हैं, “अजीत अगरकर चैंपियन्स ट्रॉफी तक इंतज़ार करेंगे. अगर भारत चैंपियन्स ट्रॉफी जीतता है, तो विराट और रोहित को थोड़ी संजीवनी मिल सकती है. लेकिन अगर वहां भी वो रन नहीं बनाते और टीम हार जाती है तो निश्चित तौर पर कड़े फैसले लिए जाएंगे.”

अजीत अगरकर भारतीय क्रिकेट टीम के चीफ सेलेक्टर हैं.

विमल कुमार ने रोहित शर्मा के बारे में कहा, “मैंने आज तक यह नहीं देखा कि भारतीय टीम के किसी कप्तान ने सार्वजनिक रूप से यह कहा हो कि मुझसे रन नहीं बन रहे, मैं आउट ऑफ फॉर्म हूं, इसलिए मैं बैठूंगा.”

इस पर पूर्व भारतीय क्रिकेटर विजय दहिया ने कहा, “जब भी आप भारतीय क्रिकेट टीम के बारे में बात करेंगे, तो बहुत गर्व के साथ विराट कोहली और रोहित शर्मा की चर्चा करेंगे. लेकिन जब आप एक ऐसी टीम के बारे में बात करते हैं जो दुनिया की टॉप टीमों में से एक है, तो वहां आपको निर्णय लेने होते हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “मेरे हिसाब से यह समय है कि आप खासकर अपने घर में और व्हाइट बॉल क्रिकेट में, उन युवा खिलाड़ियों के साथ जाएं जो अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.”

विराट और रोहित के बारे में चर्चा करते हुए वरिष्ठ खेल पत्रकार शारदा उगरा ने कहा, “लोग कहते हैं कि यह उनका फैसला है कि वे जाएं या नहीं, लेकिन ऐसा नहीं है. यह चयनकर्ताओं का भी फ़ैसला होता है.”

उन्होंने आगे कहा, “मुझे यह थोड़ा अटपटा लग रहा है कि आप रेड बॉल क्रिकेट की बात कर रहे हैं, इंग्लैंड में खेलने की बात कर रहे हैं और अब व्हाइट बॉल के फॉर्म के बारे में सोच रहे हैं. व्हाइट बॉल और रेड बॉल का फॉर्म एक जैसा नहीं हो सकता.”

शारदा उगरा ने यह भी कहा, “यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम युवा खिलाड़ियों को मौका देने के बारे में फ़ैसला लें.”

हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया, “हम यह नहीं कह रहे हैं कि कल विराट कोहली और रोहित शर्मा संन्यास ले लें.”

कौन बन सकते हैं भारतीय टीम के सफल कप्तान?

भारतीय क्रिकेट टीम

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बार-बार भारतीय टीम की कप्तानी को लेकर सवाल उठते रहे हैं.

विशेषज्ञों का मानना है कि बुमराह को कप्तान बनाने से उन पर ज़्यादा दबाव पड़ सकता है. इसलिए टीम को कुछ और खिलाड़ियों को भी कप्तानी के लिए तैयार करना चाहिए.

इस मुद्दे पर विमल कुमार कहते हैं, “ऋषभ पंत के एक्सीडेंट के चलते जो एक-डेढ़ साल खराब हुआ, अगर वह नहीं होता, तो शायद वह कप्तानी के लिए सबसे मज़बूत उम्मीदवार होते. क्योंकि उनकी बल्लेबाज़ी में स्थिरता रही है. वो मैच विनर रहे हैं और ड्रेसिंग रूम में उनका बहुत सम्मान है.”

उन्होंने कहा, “हाल के सिरीज़ में केएल राहुल शायद अपने स्टेटस को दूसरे लेवल पर ले जा सकते थे. उन्होंने शुरुआत बहुत अच्छी की थी लेकिन फिर जब सिरीज़ खत्म हुई तो वो कहीं नहीं थे.”

विमल कुमार कहते हैं, “विराट कोहली और रोहित शर्मा ऑस्ट्रेलिया में फ्लॉप रहे हैं और इनकी आलोचनाएं उचित हैं. लेकिन आप देखिए नई पीढ़ी ने क्या किया. यशस्वी जायसवाल और नीतीश रेड्डी नई पीढ़ी के दो खिलाड़ी हैं. इन लोगों ने फियरलेस क्रिकेट खेली है. लेकिन केएल राहुल और शुभमन गिल से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी. लेकिन वो ज़्यादा अच्छा नहीं खेल पाए.”

विमल कुमार ने यह भी कहा, “बुमराह के साथ दिक्कत यह है कि आप उन्हें कप्तानी नहीं देना चाहते हैं. बुमराह कहीं न कहीं आपके टिपिकल सचिन तेंदुलकर वाले दौर की तरह हैं. आप अपने बेस्ट टैलेंट को कप्तानी में बर्बाद नहीं करना चाहते.”

“भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान ऐसा होना चाहिए जिस पर सभी चीज़ों का दबाव न हो. ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ी को कप्तान बनाया जा सकता है, क्योंकि वह अपने टीम के सबसे प्रमुख बल्लेबाज़ के तौर पर नहीं देखे जाते, जिससे उन पर कप्तानी का दबाव कम होगा.”

विमल कुमार के इस तर्क पर विजय दहिया ने कहा, “हमारे देश में अक्सर एक गलती होती है. हम स्पोर्ट्स लर्निंग नेशन अभी भी नहीं हैं, हम रिज़ल्ट-ऑरियेंटेड नेशन हैं.”

विजय दहिया ने कहा, “जब भी बात होती है, तो जो खिलाड़ी सबसे अच्छा प्रदर्शन कर रहा होता है, उसे कप्तान बना दिया जाता है. यह किसी भी मापदंड पर सही नहीं है. सफल टीमों में ऐसा नहीं होता. कप्तान वही होता है, जो तब नज़र आता है जब चीज़ें ठीक नहीं चल रही होती हैं. जब सब कुछ ठीक चलता है, तो आपको यह महसूस ही नहीं होता कि कप्तान कौन है.”

उन्होंने यह भी कहा, “आपको दो-तीन खिलाड़ी ऐसे रखने चाहिए जिन्हें आप परिस्थितियों में डालकर देख सकें कि क्या वे कप्तानी के विकल्प हैं. और जब आप कप्तान बनाते हैं, तो यह देखना ज़रूरी है कि जब हालात ठीक न हों, तो क्या वह धीरज बनाए रख सकता है या नहीं.”

हालांकि वरिष्ठ खेल पत्रकार शारदा उगरा का कहना था, “जो भी खिलाड़ी हो, जिसका खुद का प्रदर्शन मज़बूत हो, वो कप्तान के लिए कैंडिडेट बन जाता है. इस टीम में जसप्रीत बुमराह के अलावा किसी का ऐसा प्रदर्शन है ही नहीं.”

उन्होंने आगे कहा, ” ऋषभ पंत के अलावा आपने किसी भी खिलाड़ी को सेटल नहीं किया कि वह कप्तान के लिए कैंडिडेट बने. केएल राहुल की बात की जाती है, लेकिन उनके प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव होता रहता है, इसलिए बुमराह के अलावा मुझे कोई और कैंडिडेट नहीं दिख रहा है.”

गेंदबाज़ों के चयन पर सवाल

भारतीय क्रिकेट टीम

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ख़राब प्रदर्शन पर चर्चा के दौरान गेंदबाज़ों को भी कसौटी पर कसा जाता है. बुमराह के अलावा कोई भी गेंदबाज़ ऐसा नहीं है जो लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा हो.

कई विशेषज्ञों ने भारतीय टीम के चयन पर भी सवाल उठाए हैं. उनका मानना है कि ऑलराउंडरों के अलावा टीम में बेहतरीन गेंदबाज़ों को भी शामिल किया जा सकता था.

इस मुद्दे पर शारदा उगरा का कहना था, “इस दौरे के लिए जो टीम सेलेक्शन किया गया, वह काफी अजीब लगा. बैटिंग को मज़बूत करने के लिए इतने सारे ऑलराउंडर चुने गए, जबकि आपको स्पेशलिस्ट बॉलर चुनने चाहिए थे.”

उन्होंने आगे कहा, “जसप्रीत बुमराह पर बहुत ज़्यादा भार और ज़िम्मेदारी डाल दी गई. उनके पीछे कोई ऐसा गेंदबाज़ नहीं था जो दबाव में गेंदबाज़ी कर सकता हो. इसका नतीजा आप देख रहे हैं. भारतीय टीम के सबसे अच्छे गेंदबाज़ों को चोटें आईं. अगर आप और अच्छे गेंदबाज़ों के साथ खेलते तो शायद परिणाम अलग होते. लेकिन टेस्ट मैच में 200 से कम रन में आप मैच नहीं जीत सकते.”

इस पर विमल कुमार ने कहा, “हर कोई इस बात से सहमत होगा कि एक नाम जो हाल में हुए ऑस्ट्रेलिया दौरे पर होना चाहिए था, वह मोहम्मद शमी था. इस सिरीज़ में अगर कोई बदलाव ला सकता था, तो वो शमी थे. हालांकि कहा जा रहा था कि उनकी फिटनेस 20 या 50 ओवर के लिए ठीक थी, लेकिन टेस्ट के लिए नहीं.”

उन्होंने आगे कहा, “हालांकि जो होता है, वह अच्छे के लिए होता है. शायद अगर भारत इस सिरीज़ को बराबर करके आ जाता, तो जो बहुत सारे सवाल थे, वो दबे हुए रह जाते.”

कोच के लिए चुनौती और ड्रेसिंग रूम की चर्चा

गौतम गंभीर और अजीत अगरकर

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आने वाले कुछ महीनों में गौतम गंभीर और अजीत अगरकर को मुश्किल दौर से गुज़रना पड़ सकता है.

उन्हें सीनियर खिलाड़ियों के साथ मिलकर ईमानदारी से बातचीत करनी पड़ सकती है, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि इंग्लैंड में होने वाली अगले टेस्ट सिरीज़ के लिए उनकी क्या योजना है.

वहीं हाल ही में बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफी के दौरान यह चर्चा तेज़ हो गई कि भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम में सब कुछ ठीक नहीं है.

ऐसे में सवाल उठता है कि जब ड्रेसिंग रूम की चर्चा लोगों के बीच होती है, तो क्या इससे खिलाड़ियों का मनोबल गिरता है?

इस पर विजय दहिया ने कहा, “भारत में चर्चा कम होती है और उंगलियां ज़्यादा उठती हैं. अगर आप उंगलियां उठाएंगे तो इससे स्पोर्ट्स स्टाफ भी नहीं बच पाएंगे.”

उन्होंने आगे कहा, “कोच की नौकरी टीम पर निर्भर करती है. टीम बिना कोच के भी चल सकती है लेकिन कोच बिना टीम के नहीं चल सकते.”

विजय दहिया ने कहा, “जो अच्छे कोच होते हैं वो क्रिकेट के बारे में चर्चा करते हैं. वो किसी को यह नहीं समझा सकते कि आपको सोचना कैसे चाहिए.”

“अगर किसी में ईगो की बात है, तो उसे कोई भी नियंत्रण में या उसके बारे में चर्चा नहीं कर सकता. एक समय था जब आप प्रदर्शन करके ईगो दिखाते थे, लेकिन अब बिना प्रदर्शन के कौन सी ईगो है, मैं उससे वाकिफ नहीं हूं.”

“ड्रेसिंग रूम की कोई भी चर्चा बाहर होती है तो इससे खिलाड़ियों से ज़्यादा एक टीम के माहौल पर असर पड़ता है.”

उन्होंने कहा, “जब आप ड्रेसिंग रूम के अंदर होते हैं तो आपकी कोशिश होती है ईमानदारी से चर्चा करने की और आप उसमें हर किसी को शामिल करना चाहते हैं, लेकिन ऐसा होता नहीं है.”

विजय दहिया ने यह भी बताया, “खिलाड़ी इस बारे में घबराए होते हैं कि आपने कुछ बोला और वह बाहर आया, तो लोग इस बारे में क्या सोचेंगे.”

उन्होंने कहा, “और अगर कोई बात ड्रेसिंग रूम से बाहर आई है, तो मुझे लगता है कि वह खिलाड़ी टीम प्लेयर नहीं है, जो उस बात को बाहर लेकर आया.”

“आप भारत में क्रिकेट खेलते हैं, तो मुझे लगता है कि यह एक खेल नहीं है, बल्कि एक प्रोफ़ेशन है और इसे बहुत प्रोफ़ेशनल तरीके से खेला जाना चाहिए.”

इस पर विमल कुमार का कहना था, “जब भी टीम अच्छा नहीं करती, ऐसी बातें बाहर आती हैं. लेकिन जब टीम अच्छा खेलती है, तो ये सारी चीज़ें दब जाती हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “आपने विराट कोहली और रोहित शर्मा के बारे में इतनी चर्चा सुनी होगी, लेकिन सार्वजनिक रूप से दोनों ने कभी एक दूसरे के बारे में कुछ नहीं बोला है.”

विमल कुमार ने यह भी कहा, “जिस तरह से कोच गौतम गंभीर ने विराट और रोहित के बारे में सकारात्मक बातें कीं या जो भी महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं, उन्होंने एक-दूसरे पर उंगलियां नहीं उठाईं. मुझे लगता है कि यह भारतीय टीम की ताकत है.”

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

SOURCE : BBC NEWS