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Last Updated:January 19, 2025, 19:20 IST

Explainer- महिलाओं की आंखों की खूबसूरती काजल के बिना अधूरी है. इसे लगाते ही चेहरे की रंगत बदल जाती है. काजल केवल कास्मेटिक ही नहीं, बल्कि आंखों की बीमारियों को दूर करने का इलाज भी है.

दक्षिण भारत में बच्चों के चेहरे पर काजल से नजर का टीका लगाया जाता है (Image-Canva)

कजरारी आंखें हर किसी को आकर्षित करती हैं. इन पर कभी शायरों ने शायरी लिखी तो कभी गीतकारों ने गीत. काजल श्रृंगार में हमेशा से शामिल रहा है. सुहागन के 16 श्रृंगारों में इसका भी जिक्र है. काजल लगाना आंखों की सेहत के लिए अच्छा है लेकिन कई बार यह इंफेक्शन का कारण भी बन जाते हैं. काजल को खरीदते और लगाते समय कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

प्राचीन मिस्र में बना काजल?
इतिहासकार मानते हैं कि 3100 साल पहले प्राचीन मिस्र में हर वर्ग के लोग काजल लगाते थे. काजल को गलेना नाम के पत्थर से बनाया जाता था. लोग इसे लगाकर आंखों को बीमारी से बचाते थे. उनका मानना था कि अगर आंखों पर काले रंग से घेरा बनाकर रखेंगे तो सूरज की हानिकारक किरणें उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएंगी. 18वीं राजवंश की महारानी फिरौन हत्शेपसुत जले हुए लोबान को पीसकर उसे काजल की तरह लगाती थीं. बाद में मिस्र में किशमिश और दालचीनी को जलाकर भी काजल बनने लगीं.

बच्चों को लगती है काजल
यमन में नवजात शिशु को पैदा होने के तुरंत बाद काजल लगा दी जाती है. ऐसा माना जाता है कि इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है और बच्चे को बुरी नजर नहीं लगती. भारत के भी कई राज्यों में काजल लगाने की रस्म होती है ताकि बच्चा नेगेटिविटी से दूर रहे. यही नहीं शादी के मौके पर दूल्हे और दुल्हन दोनों को काजल लगाई जाती है जिससे बुरी नजर ना लगे. काजल को नजर का टीका भी कहा जाता है.

भरतनाट्यम और ओडिसी नृत्य में काजल से आंखों के इक्स्प्रेशन उभरकर दिखते हैं (Image-Canva)

शादीशुदा होने की पहचान
अफ्रीका में महिला और पुरुष दोनों ही हर खास मौके पर काजल लगाते हैं. यहां काली हिना को भी चेहरे पर लगाया जाता है. उत्तरी अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में महिलाएं होंठों और चिन के बीच काजल से लंबी लाइन लगाती हैं. यह उनके शादीशुदा होने की पहचान होती है.

बाजार में बिक रही काजल से इंफेक्शन
आंखों बहुत ही सेंसिटिव होती हैं. अगर इन पर केमिकल युक्त काजल लगाई जाए तो इंफेक्शन हो सकता है. काजल को हमेशा आंखों के बाहर लगाना चाहिए. अगर काजल के केमिकल आंखों में लग जाएं तो आंखों में जलन, खुजली या सूजन आ सकती है. आंखें लाल और ड्राई होने लगती हैं. इनसे कॉर्नियल अल्सर होने या आई इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. बाजार में काजल पेंसिल, जेल, पाउडर और लिक्विड पैक में आती है लेकिन इन्हें खरीदते समय हमेशा इनके इंग्रेडिएंट्स को जरूर पढ़ें. इनकी एक्सपायरी डेट भी चेक करें. इसे आंखों पर लगाने से पहले 24 घंटे के लिए कान के पीछे लगाकर छोड़ दें. अगर इरिटेशन ना हो तो आंखों पर काजल लगा सकते हैं.

घर पर बनाएं होममेड काजल
आयुर्वेद आचार्य डॉ. एस. पी. कटियार कहते हैं कि आयुर्वेद में काजल लगाने को फायदेमंद बताया गया है. लेकिन यह तभी आंखों की सेहत के लिए अच्छी है, जब इसे घर पर बनाया जाएं. केमिकल वाले काजल से बचना चाहिए. इसे बनाने के लिए चंदन की लकड़ी या पेस्ट को अरंडी के तेल के साथ कॉटन की बत्ती के साथ जलाएं. इसके धुंए को एक कटोरी में इकट्ठा कर लें. इसके अलावा एक दीये में घी या सरसों का तेल भरें और उसमें बत्ती डालें. इसके दोनों तरफ गिलास रख दें और उसके ऊपर एक एक प्लेट या कांच रखे दें. अब दीये के ऊपर बादाम को रखे दें और जलाएं. इससे इसका कालिख प्लेट में जम जाएगी. बाद में बादाम के तेल की कुछ बूंदें डालकर इसे आंखों में लगाएं.

काजल को आईलिड की भीतरी लेयर के छोर पर लगाने से मिबोमिनअन ग्लैंड के पोर्स बंद होते हैं और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है (Image-Canva)

काजल से होता इलाज
आयुर्वेद में काजल को अंजनम कहते हैं. इससे आंखों से जुड़े रोगों का इलाज होता है. काजल को हमेशा उंगली से लगाना लगाना चाहिए. इसे लगाने का सही समय सुबह का है. इससे दोपहर में लगाना ठीक नहीं है क्योंकि दोपहर में जब आंखों पर सूरज की तेज रोशनी पड़ती है तो वह थक जाती हैं. नेचुरल तरीके से बनाई गई काजल आंखों को ताजगी देती है. इनकी ड्राइनेस खत्म होती है. आंखों की मसल्स और नसें मजबूत बनती है क्योंकि आंखों में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है. इससे आंखों की रोशनी भी बढ़ती है.

काजल लगाते समय इन बातों का रखें ध्यान
काजल लगाने से पहले कई बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि इससे आंखों को नुकसान ना हो. अपना काजल कभी किसी दूसरे इंसान के साथ शेयर ना करें. ऐसा करके आई इंफेक्शन से बचा जा सकता है. रात को सोने से पहले आंखों से काजल हटा लें. कई बार काजल इंफेक्शन के साथ ही डार्क सर्किल की भी वजह बन जाता है. काजल रात भर लगी रहे तो पलकें कमजोर होने लगती हैं और टोसिस नाम की बीमारी हो जाती है जिससे वह गिरने लगती हैं. काजल लगाने से पहले और इसे हटाने से पहले हाथों को साबुन से धो लें. इससे बैक्टीरियल इंफेक्शन नहीं होगा. काजल को हटाने के लिए क्लींजिंग ऑयल या नारियल के तेल का इस्तेमाल करें. 

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