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अगर आप केक, कुकीज़ जैसी चीज़ें खाना पसंद करते हैं तो सावधान हो जाइए. इस तरह के खानपान से असामयिक मौत का ख़तरा बढ़ सकता है.
दुनिया के आठ देशों में हुई एक रिसर्च की समीक्षा के बाद ये बात सामने आई है.
कोलंबिया, चिली, मेक्सिको, ब्राज़ील, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका से हासिल अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स (कई चरणों से गुजरकर तैयार भोजन) के डेटा के विश्लेषण बाद ये नतीजा सामने आया है.
इन आंकड़ों का विश्लेषण ब्राज़ील की ओसवाल्डो क्रूज फाउंडेशन (फियोक्रूज़) में किया गया है. इसे अंजाम दिया है डॉ. एडुआर्डो नीलसन की टीम ने.
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क्या कहती है स्टडी?

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ये स्टडी पिछले दिनों अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में प्रकाशित हुई है. इसमें एक्सपर्ट्स ने कहा है कि सरकारों को अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का कम इस्तेमाल करने के लिए आहार संबंधी सुझाव और सिफारिशें जारी करनी चाहिए.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी डब्ल्यूएचओ के मुताबिक़ 2022 के आंकड़ों में ब्राज़ील की आधी वयस्क आबादी का वजन अधिक था. देश में चार में से एक शख़्स ‘क्लीनिकली मोटापे’ का शिकार था. इसका अर्थ है कि ये लोग उस स्थिति पहुँच गए हैं जिसमें मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन गया है.
फियोक्रूज़ ब्राज़ील के स्वास्थ्य मंत्रालय को देश में बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद करता है.
आठ देशों में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स पर हुए अध्ययन में पाया गया कि जहां अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का चलन कम है वहां प्रीमैच्योर यानी असामयिक मौतों का आंकड़ा चार फ़ीसदी था.
लेकिन ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में जहां ऐसा भोजन किया जाता है, असामयिक मौतों का आंकड़ा 14 फ़ीसदी था.
ये गणना इस आधार पर की गई कि ब्रिटेन में एक वयस्क व्यक्ति अपनी ऊर्जा की 53 फ़ीसदी जरूरत अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से पूरी करता है.
रिसर्चरों का कहना है कि उनके मॉडल के आधार पर ब्रिटेन में 2018-19 के दौरान 17,781 मौतों का संबंध अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स से जोड़ा जा सकता है.
‘अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का दोहरा नुक़सान’

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लंदन स्थित किंग्स यूनिवर्सिटी के पोषण विज्ञान विभाग की रिसर्च फेलो डॉ. मेगन रॉसी कहती हैं, “ये आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स से जुड़ी मौतों से अब मुझे बहुत ज्यादा आश्चर्य नहीं होता.”
उन्होंने बीबीसी से कहा, ”हमें लंबे समय से ये पता है कि खाने की कुछ चीज़ों में फिटोकेमिकल्स और फाइबर होते हैं जो हमारी कोशिकाओं को ऑक्सिडाइजेशन और इन्फ्लेमेशन से बचाते हैं इस तरह के भोजन हमारे शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए जरूरी हैं और ये बढ़चढ़ कर ये काम करते हैं.”
शरीर में ऑक्सिडाइजेशन या ऑक्सीकरण एक प्राकृतिक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें शरीर के अणु ऑक्सीजन के साथ फ्री-रेडिकल बनाते हैं. कुछ फ्री-रेडिकल्स शरीर को सामान्य तौर पर काम करने में मदद करते हैं.
इन्फ्लेमेशन शरीर को चोट, संक्रमण या अन्य कारणों से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए उसके प्रतिरक्षा तंत्र को सक्रिय करती है.
डॉ. रॉसी कहती हैं कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड का दोहरा नुकसान है. अगर इस तरह का भोजन करते हैं तो इसका मतलब आप फल और सब्जियां जैसी एंटी ऑक्सीडेंट्स चीजें नहीं ले रहे हैं.
दूसरा नुकसान ये कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड प्री-डाइजेस्टेड होते हैं. प्रोसेसिंग से ये चीजें बिल्कुल तुरंत खाने लायक बन जाती हैं.
लेकिन इन्हें खाने के बाद जल्द ही दोबारा भूख लग जाती है और आप फिर से इन्हें खाने लगते हैं.
अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से सेहत को नुक़सान का दावा कितना सही?

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वैज्ञानिकों का मानना है कि आपके शरीर में जमा हो रहा अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड आपके स्वास्थ्य के लिए नुक़सानदेह है.
ये दावा 100 फ़ीसदी सही है या नहीं, ये साबित करना वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती है.
ऐसे कई अध्ययन हैं जिनमें पाया गया गया है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड और खराब स्वास्थ्य का आपस में रिश्ता है. लेकिन इसका सबूत नहीं है कि ये एक दूसरी की वजह बनते हैं. क्योंकि अभी तक इसका कोई निश्चित प्रमाण नहीं मिला है.
हालांकि रिसर्चरों ने अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड और स्वास्थ्य से जुड़े अलग-अलग हालातों के बीच लगातार एक संबंध पाया है.
पिछले साल ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड खाने वाले लगभग एक करोड़ लोगों से जुड़ी एक स्टडी प्रकाशित हुई थी. इन लोगों में हृदय से जुड़ी बीमारियों, मोटापे और टाइप टू डायबिटीज, चिंता और अवसाद का जोखिम ज्यादा था.
हालांकि इस स्टडी के बावजूद ये पड़ताल काफी मुश्किल है कि क्या भोजन की प्रोसेसिंग की वजह से बीमारियां हुईं या फिर जिन खाद्य वस्तुओं से ये भोजन बना था उनमें चीनी, वसा (फैट) या नमक अधिक था.
हालांकि कुछ पोषण विज्ञानियों का कहना है कि डॉ. नीलसन की रिसर्च की कुछ सीमाएं हैं.
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एमआरसी बायोस्टैटिस्टिक्स यूनिट के स्टेटिशियन स्टीफन बर्जेस ने कहा कि ये स्टडी एक तरह का सर्वे है. और इससे ये साबित नहीं होता कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से असामयिक मौतें हो सकती हैं.
वो कहते हैं, ”इस तरह की रिसर्च ये साबित नहीं कर सकती हैं कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड नुक़सानदेह है. लेकिन ये अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड के इस्तेमाल और खराब स्वास्थ्य नतीजों के संबंधों का प्रमाण दे सकती हैं.”
स्टीफन बर्जेस कहते हैं, ”हो सकता है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड स्वास्थ्य जोखिमों की वजह न हों. बीमारियां ख़राब फिजिकल फिटनेस की वजह से हो रही हों और प्रोसेस्ड फूड को इसकी वजह माना जा रहा हो. लेकिन जब हम अलग-अलग देशों और संस्कृतियों में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हैं तो पाते हैं कि खराब स्वास्थ्य के लिए इसे जिम्मेदार मानना नहीं छोड़ा जा सकता.”
कैसें जानें कि आप अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड खा रहे हैं

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पिछले 50 वर्षों के दौरान फूड प्रोडक्शन में बहुत ज्यादा बदलाव आए हैं.
कोई भोजन अल्ट्रा प्रोसेस्ड है या नहीं ये इस बात से तय होता है कि वो पैकेजिंग तक कितनी औद्योगिक प्रक्रियाओं से गुजरा है.
अमूमन इनमें कई ऐसी चीजें होती हैं जिनका आप उच्चारण भी नहीं कर पाते.
आमतौर पर अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड वसा, चीन और नमक से भरे होते हैं. आप इन्हें फास्ड फूड कह सकते हैं.
फल और सब्जियां प्रोसेस्ड नहीं होती हैं. जबकि प्रोसेस्ड फूड लंबे समय तक चलने और बेहतर स्वाद के लिए होते हैं. इसके लिए इनमें नमक, तेल, चीनी मिलाई जाती है फिर फर्मेंटेशन किया जाता है.
आइसक्रीम, प्रोसेस्ड मीट, क्रिस्प्स, बड़े पैमाने पर तैयार ब्रेड, कुछ ब्रेकफास्ट सिरियल्स, बिस्कुट और फ़िज़्ज़ पैदा करने वाली ड्रिंक अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड की श्रेणी में आते हैं.
डॉ. रॉसी कहते हैं कि जो लोग ज्यादा प्रोसेस्ड फूड खाते हैं वो धूम्रपान जैसी बुरी आदतों के चंगुल में भी फंस जाते हैं.
इन्हें चेतावनी समझें
- भोजन में इस्तेमाल ऐसी चीजें जिनका आप उच्चारण नहीं कर पाते
- भोजन के एक पैकेट में पांच से ज्यादा सामग्रियों का ज़िक्र
- कोई ऐसी चीज जिसे आपकी दादी या नानी भोजन नहीं मानतीं
इन चीजों से मिल सकता है संकेत
- भोजन गाढ़ा करने वाला स्टार्च
- गोंद ( जैसे ज़ेनथान गम, ग्वार गम)
- एम्स्लीफायर ( सोय लेसिथिन और काराजिनेन)
- शुगर के बदले इस्तेमाल होने वाली चीजें जैसे एस्पारटेम और स्टिविया
- सिथेंटिक फूड कलर
- आर्टिफिशयल फ्लेवर या ऐसी चीजें जो आपको घरों के किचन या सुपरमार्केट में नहीं दिखतीं
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