Source :- BBC INDIA
केरल के पतनमथिट्टा में 18 साल की एक दलित छात्रा के साथ कथित यौन उत्पीड़न और गैंगरेप मामले में केरल पुलिस ने 64 में से 27 अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया है.
इस मामले में जिन लोगों पर आरोप लगे हैं, उनमें छात्रा के पड़ोसी, पड़ोसियों के दोस्त, उनके पिता के दोस्त, स्पोर्ट्स कोच और अन्य लोग भी शामिल हैं.
इनमें दो अभियुक्त 17 साल के नाबालिग़ हैं, जबकि अन्य अभियुक्त 19 से 47 साल की उम्र के हैं.
अभी तक इस मामले में नौ एफ़आईआर दर्ज किए जा चुके हैं. ये शिकायतें दो पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई हैं.
पतनमथिट्टा ज़िले के डिप्टी एसपी नंदकुमार एस ने बीबीसी हिंदी को बताया, “एससी-एसटी एक्ट और पॉक्सो के तहत भी मामले दर्ज किए गए हैं, क्योंकि ये अपराध पिछले पांच सालों में हुए हैं. उस वक्त पीड़िता नाबालिग़ थी.”
पुलिस अधिकारी ने बताया, “बीते पांच वर्षों में लड़की के साथ तीन बार गैंगरेप हुआ है .”
इस मामले में पीड़ित के पड़ोसी और बचपन के दोस्त को पहला अभियुक्त बनाया गया है
सखी नाम के महिला अधिकार संगठन ने यौन उत्पीड़न और यौन हमले को ‘सकते में डालने वाला’ बताया है.
पतनमथिट्टा ज़िला क्राइम ब्रांच के मीडिया सेल के संजीव एम. ने बीबीसी हिंदी को बताया, “छात्रा ने अपने पिता के फ़ोन पर आए 40 लोगों की कॉल्स के सबूत मुहैया कराए.”
संजीव एम. ने कहा, “पहले अभियुक्त के फ़ोन में यौन उत्पीड़न का सबूत था, जिसका इस्तेमाल वह छात्रा का यौन उत्पीड़न करने, उसे ब्लैकमेल करने और उसे अपने दोस्तों के यहां ले जाने में करता था.”
उन्होंने बताया, “छात्रा सदमे में है.”
यह सब शुरू कैसे हुआ?
पीड़ित छात्रा उस वक्त 13 साल की थी. इसके अलावा छात्रा के दोस्त पर आरोप है कि वो गैंगरेप मामलों में से कम से कम एक में शामिल था.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि ‘अभियुक्त ने छात्रा की नग्न तस्वीरें लीं और वीडियो बनाए. कथित तौर पर वह गैंग रेप के एक मामले में शामिल था.’
पतनमथिट्टा ज़िला क्राइम ब्रांच के मीडिया सेल के सजीव एम ने कहा, “पहले अभियुक्त के फ़ोन में यौन उत्पीड़न के सबूत हैं. इनके ज़रिए वो छात्रा को ब्लैकमेल करने, उसका यौन शोषण करने और उसे दोस्तों के पास ले जाने के लिए करता था.”
यह मामला तब सामने आया जब कुटुम्बश्री ‘स्नेहिता’ कार्यक्रम के अंतर्गत कम्युनिटी काउंसिलर की एक टीम पीड़िता के घर गई.
बाल कल्याण समिति, पतनमथिट्टा के चेयरपर्सन और एडवोकेट एन राजीव ने बीबीसी हिंदी से कहा, “इस कार्यक्रम के तहत बहुत सारे पारिवारिक विवरण इकट्ठा किए जाते हैं और परिवारों को परामर्श दिया जाता है कि वे अपनी समस्याओं से कैसे निपटें.”
“यह तब हुआ जब पीड़िता अपने स्कूल के दिनों के अनुभवों के बारे में बात करना चाहती थी. लेकिन उसने किसी बड़े अधिकारी से बात करने पर ज़ोर दिया और काउंसिलर ने सीधे मुझसे संपर्क किया.”
पीड़िता और उसकी मां सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष के कार्यालय गए, जहां पीड़िता ने सारी बातें बताईं.
राजीव ने बताया, “पीड़िता ने हमारे मनोचिकित्सक से बात की, जबकि उसकी मां बाहर इंतज़ार कर रही थी. मां को अपने पति का फ़ोन लाने के लिए कहा गया और इस तरह अपराधियों के नाम सामने आए.”
आमतौर पर सीडब्ल्यूसी से उम्मीद की जाती है कि वह पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस अफ़सर को मामले की सूचना दे.
लेकिन राजीव ने कहा, “हमें लगा कि यह एक अलग मामला है. इसलिए हमने पुलिस अधीक्षक को सूचित किया और उन्होंने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी.”
इस बीच राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले में राज्य सरकार से तीन दिनों में रिपोर्ट मांगी है. केरल महिला आयोग ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है.
पीड़िता और उनकी मां को सुरक्षित घर में ले जाया गया है. मजिस्ट्रेट के सामने छात्रा का रविवार को बयान दर्ज नहीं हो पाया है क्योंकि वह बीमार थी.
महिला अधिकार संगठन ने क्या कहा
महिला अधिकार संगठन सखी की वकील संध्या जनार्दना पिल्लई ने बीबीसी हिंदी से कहा, “यह मामला स्पष्ट रूप से साबित करता है कि बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए सिर्फ़ क़ानून ही पर्याप्त नहीं हैं. और बहुत किए जाने की ज़रूरत है.”
संध्या ने कहा, “इसका साफ़ मतलब है कि बच्चों की सुरक्षा में सिस्टम की विफलता है. इसके अलावा, जैसा कि इस मामले में है, सर्वाइवर ग़रीब अनुसूचित जाति परिवार से आती है और पीड़िता सबसे जोखिम वाली स्थिति में होती है.”
उन्होंने कहा, “अभी तक, जांच जारी है. इस मामले में आगे कैसे बढ़ा जाए, हम इस पर जल्द फैसला लेंगे.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
SOURCE : BBC NEWS