Source :- BBC INDIA
एक घंटा पहले
टेस्ला और स्पेस एक्स के मालिक एलन मस्क ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर पर ग्रूमिंग गैंग स्कैंडल मामले में निशाना साधा है.
उन्होंने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर इस बारे में कई पोस्ट कर ब्रितानी प्रधानमंत्री स्टार्मर की भूमिका पर सवाल उठाए. मस्क ने लिखा कि पीएम स्टार्मर ‘ग्रूमिंग गैंग्स स्कैंडल‘ को ठीक से हैंडल करने में नाकाम रहे हैं.
साल 2008 से साल 2013 के बीच प्रधानमंत्री स्टार्मर, क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस के प्रमुख हुआ करते थे.
हालांकि, प्रधानमंत्री स्टार्मर ने आलोचकों पर इस मामले में ‘झूठ और ग़लत सूचनाएं’ फ़ैलाने का आरोप लगाया और दावा किया कि उन्होंने इसे ठीक से हैंडल किया.
क्या है ग्रूमिंग गैंग स्कैंडल?
ग्रूमिंग गैंग स्कैंडल एक हाई प्रोफ़ाइल केस है. इसमें पुरुषों के कुछ समूहों (इनमें अधिकांश पाकिस्तानी मूल के थे) को यूनाइटेड किंगडम में कम उम्र की श्वेत लड़कियों का यौन शोषण और बलात्कार का दोषी पाया गया था.
2014 में प्रोफ़ेसर एलेक्सिस जे ने एक रिपोर्ट लिखी थी. इसके मुताबिक, 1997 से 2013 के बीच रॉदरहैम में कम से कम 1400 बच्चों को यौन शोषण का शिकार होना पड़ा.
इस रिपोर्ट ने ब्रिटेन समेत दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी और इस पर ब्रिटेन की संसद में बड़ी बहस भी हुई थी.
इसी तरह के स्कैंडल के बारे में ओल्डम, ऑक्सफ़ोर्ड, रोशडेल और टेलफ़ोर्ड जैसे अन्य कस्बों में भी पता चला. इसके बाद बाल यौन शोषण मामले की राष्ट्रीय स्तर पर जांच हुई थी.
इस जांच का नेतृत्व भी प्रोफ़ेसर जे ने किया था. ऐसे आरोप लगे कि अपराध के इन मामलों से न तो ठीक से निपटा गया और न ही पीड़ितों की मदद की गई.
क्या सीपीएस या स्टार्मर ‘सहभागी’ थे?
क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विसेस (सीपीएस) एक स्वतंत्र इकाई है, जो इंग्लैंड और वेल्स में आपराधिक मामलों पर मुक़दमे चलाती है.
जब पुलिस किसी अपराध की जांच करने के बाद निष्कर्ष रिपोर्ट पेश कर देती है, तब सीपीएस सबूतों और पब्लिक इंट्रेस्ट के आधार पर यह फ़ैसला करती है कि मुक़दमा चलाया जाए या नहीं?
सर किएर स्टार्मर को साल 2008 में सीपीएस का प्रमुख नियुक्त किया गया था. उन्होंने यह भूमिका पांच साल तक निभाई. 2015 में वह सांसद बने.
रोशडेल मामले में मुक़दमे को लेकर आगे न बढ़ने के सीपीएस के फ़ैसले की आलोचना की गई थी.
इसमें कहा गया था कि सीपीएस ने अगस्त 2008 से अगस्त 2009 के बीच की गई जांच के दौरान मुख्य पीड़ित को ‘अविश्वास’ के तौर पर देखा था.
हालांकि, साल 2011 में नाज़िर अफ़ज़ल ने यह फ़ैसला पलट दिया था. सर किएर स्टार्मर ने उत्तर-पश्चिम इंग्लैंड में नाज़िर अफ़ज़ल को सीपीएस का प्रमुख प्रॉसिक्यूटर बनाया था.
बीबीसी वेरिफ़ाई से अफ़ज़ल से बातचीत की है.
उन्होंने कहा कि उस समय प्रॉसिक्यूटर को यह लगा था कि ट्रायल नहीं चलाया जाना चाहिए क्योंकि “यदि पुलिस इस बात से संतुष्ट नहीं है कि वह ‘विश्वसनीय’ सबूत देगी, तो हम भी इसे लेकर संतुष्ट नहीं हो सकते हैं.”
उन्होंने बताया कि “मैंने इसकी समीक्षा की और फ़िर फ़ैसला पलट दिया क्योंकि मुझे विश्वास था कि वह (पीड़ित) क्या कह रही थी.”
लेकिन, यह अकेला मामला नहीं है, जब सीपीएस को आलोचना का सामना करना पड़ा है.
मैगी ओलिवर मैनचेस्टर की एक पूर्व जासूस हैं. वो अब बाल यौन शोषण के पीड़ितों के लिए अभियान चलाती हैं.
उन्होंने बीबीसी वेरिफ़ाई से कहा कि सीपीएस “इस मुद्दे से जुड़ी विफ़लताओं के मामले में ज़्यादा ज़िम्मेदारी उठाए.” इसमें पीड़ितों को दोष देना और अपराधियों पर अपर्याप्त आरोप लगाना भी शामिल है.
उन्होंने कहा कि अब इस मामले को लेकर ज़्यादा जागरूकता नज़र आती है. उन्होंने कहा, “मेरी संस्था के ज़रिए हमें अब भी ऐसे कई मामले मिलते हैं, जो सिस्टम में विफ़लता दर्शाते हैं.”
“हम इस मामले में सीधे तौर पर ऐसा कोई बिंदु नहीं खोज पाए, जिसके लिए सर किएर की आलोचना की जा सके. और हमें ऐसा भी कोई प्रमाण नहीं मिला, जिसमें यह बात साबित हो कि सर किएर ने मुकदमा न चलाने का निर्णय लिया था.”
स्टार्मर ने क्या प्रतिक्रिया दी?
प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने सीपीएस के भूतपूर्व प्रमुख के तौर पर अपनी भूमिका का मज़बूती से बचाव किया. उन्होंने पत्रकारों से कहाः
- पीड़ितों को सुने जाने से रोकने वाली मिथकों और रूढ़ियों को चुनौती देने के लिए अभियोजन के नज़रिए को बदला गया.
- मैंने जिस वक़्त पद छोड़ा तब सीपीएस के रिकॉर्ड में बाल यौन शोषण के सबसे ज़्यादा मामले थे.
- वो मामले जिनकी फ़ाइल बंद हो चुकी थी, उनको फिर से खुलवाया गया.
- एशियाई ग्रूमिंग गैंग पर पहला मुक़दमा चलाया गया.
यह बात सही है कि उन्होंने साल 2013 में बाल यौन शोषण से जुड़े मामलों पर मुक़दमा चलाए जाने के नियमों में संशोधन किया, ताकि भविष्य में चलाए जाने वाले मुक़दमों में आसानी रहे.
इससे पहले, पीड़ितों को विश्वसनीय नहीं माना जाता था. ऐसा हो सकता था कि अगर पीड़ित ने तुरंत शिकायत नहीं की, या ड्रग्स या नशीले पदार्थ का सेवन किया, या उन्होंने किसी ख़ास तरह के कपड़े पहने तो उन्हें विश्वसनीय न माना जाए.
यूरोप के नेताओं ने मस्क की आलोचना की
मस्क के बयान के 24 घंटे के भीतर चार यूरोपीय मुल्कों ने मस्क की पोस्ट पर आपत्ति जताई. इनमें सबसे पहले अविश्वास जताने वालों में फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का नाम था.
उन्होंने कहा, “दस साल पहले इस बात पर कौन विश्वास करता, तब यदि हमसे कहा जाता कि सबसे बड़े सोशल नेटवर्क में से एक का मालिक एक नए, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियावादी अभियान को समर्थन देगा.”
नार्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोरे ने कहा, “यह चिंता की बात है कि सोशल नेटवर्क और अहम आर्थिक संसाधनों तक पहुंच रखने वाला व्यक्ति दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में सीधे तौर पर शामिल है.”
स्पेन की सरकार के प्रवक्ता पिलर एलेग्रिया ने कहा कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म जैसे एक्स को, “पूर्ण निष्पक्षता और बिना किसी दखल के काम करना चाहिए”.
मस्क ने नार्वे और स्पेन में अपराध से जुड़े आंकड़ों को हाईलाइट किया था. और जर्मनी में क्रिसमस बाज़ार पर हुए हमले के लिए ‘सामूहिक अनियंत्रित इमिग्रेशन’ को जिम्मेदार ठहराया था.
पिछले कुछ दिनों में एलन मस्क ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर और उनके प्रशासन पर ग्रूमिंग गैंग्स और बाल यौन शोषण से जुड़े मामलों पर घेरते हुए एक्स पर कई पोस्ट लिखी थी.
इसके जवाब में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टार्मर ने मस्क का नाम लिए बगैर कहा था, “वो लोग जहां तक संभव है, झूठ और ग़लत सूचनाएं फ़ैला रहे हैं. वैसे उनको पीड़ितों में कोई दिलचस्पी नहीं है, उनको खुद में ज़्यादा रुचि है.”
कंज़र्वेटिव्स ने क्या मांग उठाई?
ब्रिटेन की कंज़र्वेटिव पार्टी ने ब्रिटेन में सरकार के सामने ग्रूमिंग गैंग्स मामले की राष्ट्रीय स्तर पर जांच शुरू करने की मांग रखी थी. इसके लिए संसद में वोटिंग भी हुई.
इस दौरान जांच फिर शुरू करने के समर्थन में 111 वोट पड़े, जबकि इसके विरोध में 364 वोट पड़े.
इससे पहले कंजर्वेटिव नेता केमी बडेनोच ने यह तर्क दिया था कि सरकार जांच से इनकार करके मामले को “दबाने” के आरोपों को हवा दे रही है.
लेकिन, प्रधानमंत्री सर किएर स्टार्मर ने तर्क दिया कि ग्रूमिंग गैंग्स द्वारा किए गए दुर्व्यवहारों को लेकर पहले ही कई जांच की जा चुकी है.
यदि एक बार फिर जांच शुरू की जाती है, तो इससे कार्रवाई में देरी होगी.
बीबीसी वेरिफ़ाई की रिसर्च में क्या मिला?
बीबीसी वेरिफ़ाई की रिसर्च में यह बात सामने आई है कि ग्रूमिंग गैंग्स मामले में भूतपूर्व लेबर प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन पर एलन मस्क द्वारा लगाए जा रहे आरोप और ऑनलाइन हमले होम ऑफ़िस ज्ञापन के बारे में निराधार दावे पर आधारित है, जो कथित तौर पर 17 साल पहले जारी किया गया था.
सोशल मीडिया पर आई कई पोस्ट में से कुछ एलन मस्क की भी हैं.
इसमें आरोप लगाया गया कि साल 2008 में होम ऑफ़िस के दस्तावेज़ में पुलिस को यह सलाह दी गई थी कि चाइल्ड ग्रूमिंग केस में हस्तक्षेप न करे क्योंकि, “पीड़ितों ने उनके यौन व्यवहार को लेकर सोच-समझकर चुनाव किया था.”
मगर, बीबीसी वेरिफ़ाई ने उस दौर में होम ऑफ़िस के जारी किए सर्कुलर की व्यापक स्तर पर खोज की है. और इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि कोई ऐसा दस्तावेज है, जिसमें ऐसी कोई सलाह दी गई हो.
ब्राउन साल 2008 में प्रधानमंत्री थे. उन्होंने इन आरोपों को ‘पूरी तरह मनगढ़ंत’ बताया. वहीं होम ऑफ़िस ने कहा है कि, “इन आरोपों में कभी कोई सच्चाई नहीं रही है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
SOURCE : BBC NEWS