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भारत और पाकिस्तान के बीच जब संघर्ष चरम पर था तब चीन के शेयर बाज़ार में चीनी डिफ़ेंस कंपनियों के शेयर में तेज़ी देखी जा रही थी.
ख़ासकर उन कंपनियों के शेयरों में उछाल देखने को मिला जो पाकिस्तान को हथियार और लड़ाकू विमान सप्लाई करती हैं. इनमें से एक है जे-10सी फ़ाइटर जेट बनाने वाली कंपनी एविक चेंगदू एयरक्राफ़्ट कॉर्पोरेशन.
शेयर में आए उछाल के पीछे की एक वजह पाकिस्तान का वो दावा है जिसमें उसने ‘भारत के रफ़ाल को गिराने के लिए जे-10सी फ़ाइटर जेट के इस्तेमाल’ की बात कही थी.
यह दावा सात मई को पाकिस्तान की संसद में विदेश मंत्री इसहाक़ डार ने किया था. भारत ने पाकिस्तान के दावे पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है और न ही रफ़ाल के नुक़सान की बात मानी है.
चीन भले ही इस बात को नकार रहा है लेकिन संघर्ष के दौरान संभवत: उसकी इस बात पर पूरी नज़र रही होगी कि युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों के हथियारों के मुक़ाबले उसके हथियार कैसे प्रदर्शन करते हैं.
ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के रक्षा विश्लेषक एरिक झू ने कहा, “अधिकांश आधुनिक घरेलू रूप से विकसित चीनी हथियारों का अभी तक युद्ध-परीक्षण नहीं किया गया है. पाकिस्तान अपने अधिकांश हथियार चीन से खरीदता रहा है इसलिए युद्ध में इनका परीक्षण होना उनकी निर्यात क्षमता के लिए एक मौका है.”
हथियारों के लिए चीन पर पाकिस्तान की निर्भरता

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चीन ने पिछले चार दशक में कोई बड़ा युद्ध नहीं लड़ा है. लेकिन इस दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन ने अपनी सेना को मज़बूत करने और अत्याधुनिक हथियार विकसित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
2020-24 से 2015-19 की तुलना में पाकिस्तान ने हथियारों के आयात में 61 प्रतिशत की वृद्धि की है.
पाकिस्तान को चीन से मिलने वाले हथियारों में आधुनिक फ़ाइटर जेट, मिसाइल, रडार और एयर डिफ़ेंस सिस्टम शामिल हैं. पाकिस्तान में बनाए गए कुछ हथियारों में भी चीन की भूमिका है. इन्हें या तो चीनी कंपनियों ने बनाया है या इनमें चीन की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.
बात अगर भारत की करें तो भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है. हालांकि, 2015-19 और 2020-24 के बीच इसके आयात में 9.3 प्रतिशत की कमी आई है.
पिछले पांच सालों में भारतीय हथियारों के आयात का सबसे बड़ा हिस्सा (36 प्रतिशत) रूस से आया, जो 2015-19 (55 प्रतिशत) और 2010-14 (72 प्रतिशत) की तुलना में काफी कम हिस्सा है. भारत को फ्रांसीसी हथियारों के निर्यात का अब तक का सबसे बड़ा हिस्सा (28 प्रतिशत) मिला है.
सिपरी आर्म्स ट्रांसफ़र प्रोग्राम के वरिष्ठ शोधकर्ता सीमन वेज़मैन का कहना है, “एशिया और ओशिनिया 2020-24 में दुनिया में सबसे बड़ा हथियार आयात करने वाला क्षेत्र बना रहा, जैसा कि 1990 के दशक की शुरुआत से लगभग हमेशा होता रहा है. अधिकांश ख़रीद के पीछे चीन से संबंधित खतरे की धारणाएँ हैं.”
पाकिस्तान के पास मौजूद चीनी हथियार

दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद शुरू हुआ, जब अमेरिकी हथियारों के प्रतिबंधों ने पाकिस्तान को चीन की तरफ़ लाकर खड़ा कर दिया. चीन ने लड़ाकू जेट, टैंक और तोपखाने की आपूर्ति की, जिससे दीर्घकालिक संबंधों की नींव पड़ी.
शीत युद्ध के बाद साझेदारी और गहरी हुई, जब चीन ने पाकिस्तान के प्राथमिक आपूर्तिकर्ता के रूप में अमेरिका की जगह ले ली.
दोनों के बीच 1963 का चीन-पाकिस्तान समझौता हुआ, जिसके तहत सीमा विवादों का समाधान किया गया और 1966 में सैन्य सहायता शुरू की गई. अब पाकिस्तान में चीनी हथियारों का एक बड़ा हिस्सा है.
मिसाइल: सोमवार को भारतीय सेना ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में संभावित पीएल-15 मिसाइल के अवशेष दिखाए. सेना का दावा कि इसे सफल होने से पहले ही मार गिराया था. पीएल-15 एक चीनी मिसाइल है जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान करता है. चीन के एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (एवीआईसी) द्वारा विकसित पीएल-15 एक लंबी दूरी की रडार-गाइडेड एयर टू एयर मिसाइल है.
ड्रोन: रक्षा क्षेत्र में अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पाकिस्तान ने चीन और तुर्की से आधुनिक तकनीक से लैस ड्रोन ख़रीदे हैं. इनमें चीन से सीएच-4 और विंग लूंग II ड्रोन और तुर्की से बयारकतार टीबी2 और अकिंची ड्रोन शामिल हैं.
एयर डिफ़ेंस सिस्टम: पाकिस्तान के पास चीन में बने एचक्यू-9, एचक्य-16 और एफ़एन-16 जैसे एयर डिफ़ेंस सिस्टम हैं. इनमें से एचक्यू-9 को साल 2021 में पाकिस्तान ने अपने हथियारों की लिस्ट में शामिल किया था. इसे रूस के एस-300 के बराबर माना जाता है.
इसके अलावा पाकिस्तान ने हंगोर कैटेगरी की आठ पनडुब्बी के लिए साल 2015 में चीन से डील की थी. साथ ही दोनों ने मिलकर अल-खालिद टैंक भी बनाया है.
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ राहुल बेदी कहते हैं, “चीन-पाकिस्तान का रिश्ता दशकों पुराना है और समय के साथ मज़बूत होता जा रहा है. चीन कई बार पाकिस्तान को अपना जुड़वा भाई बता चुका है. हालिया लड़ाई में पाकिस्तान ने चीन की पीएल-15 मिसाइल का इस्तेमाल किया है जिसका जवाब कई पश्चिमी देशों के पास नहीं है. रक्षा क्षेत्र के अलावा चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना और ग्वादर पोर्ट के लिए भी पाकिस्तान बहुत अहम है.”
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