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अफगानिस्तान में लड़कियो की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने वाले तालिबान की दुनियाभर में आलोचना होती है। लेकिन अब तालिबान के नेता ने ही अपने शीर्ष नेतृत्व से महिलाओं की शिक्षा पर से प्रतिबंध हटाने का आह्वान किया है। नेता ने कहा कि यह सरकार की नीति की आलोचना का कोई बहाना नहीं है, बल्कि यह अफगानिस्तान के भविष्य के लिए जरूरी है।

अफगान विदेश मंत्रालय में राजनीतिक डिप्टी शेर अब्बास स्टानिकजई ने शनिवार को खोस्त प्रांत में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखने का कोई कारण नहीं है। अतीत में भी उनके साथ यही हुआ, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है। आज और तब कभी भी ऐसा नहीं होना चाहिए कि आधी आबादी की शिक्षा पर ही बैन लगा दिया जाए।

विदेशी सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस भेजने के अभियान के दौरान तालिबान का नेतृत्व कर चुके स्टैनकजई ने कहा कि आज हमने 40 मिलियन की अफगान आबादी में से लगभग 20 मिलियन लोगों की शिक्षा पर बैन लगा दिया है, उनके अधिकारों से उन्हें वंचित कर दिया है। यह कोई इस्लामिक कानून नहीं बल्कि हमारी खुद की पसंद है। उन्होंने कहा कि मैं केंद्रीय नेतृत्व से एक बार फिर आह्वान करता हूं कि उन्हें लड़कियों के लिए शिक्षा के दरवाजे खोल देना चाहिए। वह आगे आकर पढ़ेंगी तभी अफगानिस्तान तरक्की कर पाएगा।

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यह पहली बार नहीं है जब स्टैनकजई ने महिलाओं और लड़कियो के हक में आवाज उठाई है। इससे पहले भी उन्होंने सितंबर 2022 में लड़कियों के लिए स्कूल बंद होने और यूनिवर्सिटीज पर बैन लगने के बाद अपना विरोध दर्ज कराया था। लेकिन इस बार अपनी बात रखते हुए उन्होंने तालिबान के शीर्ष नेता हिबतुल्ला अखुंदजाजा को संबोधित किया है।

अफगानिस्तान पर शासन कर रहे तालिबान ने सत्ता में आने के बाद से ही छठी कक्षा के बाद शिक्षा से बैन कर दिया था। पिछले साल सितंबर में भी ऐसी खबरें सामने आई थीं कि तालिबान ने महिलाओं के लिए चिकित्सा ट्रेनिंग के कार्यक्रम पर भी प्रतिबंद लगा दिए हैं। हालांकि अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों का इलाज केवल महिला डॉक्टर ही कर सकती हैं। ऐसे में यह खबर कितनी सच है इसका खुलासा नहीं हुआ है। अफगान अधिकारियों की तरफ से भी इस पर कोई बात सामने नहीं आई है।

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