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हिमालय-हिंदुकुश पर्वत श्रृंखला में बर्फबारी पिछले 23 वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है, जिससे जल सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। इस कमी से सूखे का जोखिम बढ़ रहा है और कृषि तथा पानी की उपलब्धता…

डॉयचे वेले दिल्लीTue, 22 April 2025 11:51 AM
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हिमालय में 23 साल में सबसे कम बर्फबारी हुई

हिमालय-हिंदुकुश पर्वत श्रृंखला में बर्फबारी पिछले 23 सालों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है.यह हालात उन दो अरब लोगों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है जो पिघलते ग्लेशियरों से निकलने वाले पानी पर निर्भर हैं.इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) ने सोमवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में चेतावनी दी कि हिमालय पर्वत श्रृंखला में बर्फ की कमी का यह रुझान लगातार तीसरे वर्ष भी जारी रहा है और इससे क्षेत्र में जल सुरक्षा खतरे में पड़ गई है.हिमालय-हिंदुकुश पर्वत श्रृंखला अफगानिस्तान से म्यांमार तक फैली हुई है, जबकि आर्कटिक और अंटार्कटिक महाद्वीप के बाद बर्फ और ग्लेशियरों का सबसे बड़ा भंडार इसी क्षेत्र में है.ये जलाशय लगभग दो अरब लोगों के लिए ताजे पानी का मुख्य स्रोत हैं, जबकि कृषि, घरेलू इस्तेमाल और अन्य आवश्यकताओं के लिए भी इन्हीं जलाशयों पर निर्भर रहा जाता है.सूखे जैसे बढ़ते जोखिमआईसीआईएमओडी की इस ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इस क्षेत्र में मौसमी बर्फ आवरण (वह समय जब बर्फ जमीन पर रहती है) सामान्य से 23.6 प्रतिशत कम है, जो पिछले 23 सालों में सबसे निचला स्तर है.रिपोर्ट के मुख्य लेखक शेर मोहम्मद ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, “इस साल बर्फबारी जनवरी के अंत में शुरू हुई और पूरे शीतकाल में औसत से कम रही” उन्होंने कहा कि इस कमी से नदी के प्रवाह में संभावित कमी, भूजल पर निर्भरता में वृद्धि, तथा सूखे जैसे जोखिम में वृद्धि हो सकती है.क्षेत्र के कई देशों ने पहले ही सूखे की चेतावनी जारी कर दी है, जबकि फसल की पैदावार और पानी की उपलब्धता भी खतरे में है.यह स्थिति उस आबादी के लिए और भी जटिल हो जाती है जो लंबे समय तक चलने वाली, तीव्र और बार-बार आने वाली गर्मी की लहरों से जूझती है

इन देशों पर पड़ सकता है असरपाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, भारत, म्यांमार और नेपाल अंतरराष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र के सदस्य देश हैं.अंतर-सरकारी निकाय ने क्षेत्र की 12 प्रमुख नदी घाटियों पर निर्भर देशों से जल प्रबंधन, सूखे की तैयारी, पूर्व चेतावनी प्रणालियों में सुधार करने और क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया है.2023 में एशिया जलवायु, मौसमी आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित रहारिपोर्ट में विशेष रूप से बताया गया है कि दक्षिण-पूर्व एशिया की दो सबसे लंबी नदियां मेकांग और सालवीन, जो चीन और म्यांमार को पानी देती हैं, उनकी लगभग आधी बर्फ पिघल चुकी है.आईसीआईएमओडी के महानिदेशक पेमा गियामात्सु ने दीर्घकालिक समाधान के लिए नीतिगत बदलावों का आह्वान किया है.उन्होंने कहा, “कार्बन उत्सर्जन ने हिंदुकुश पर्वतमाला में अभूतपूर्व बर्फ हानि के मार्ग को अपरिवर्तनीय बना दिया है” उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के लिए तुरंत उपाय किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया.संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन के मुताबिक, एशिया जलवायु संबंधी आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है.संगठन ने मार्च महीने में एक रिपोर्ट जारी की, जिसके मुताबिक पिछले छह सालों में से पांच वर्ष ऐसे थे जिनमें ग्लेशियरों में सबसे तेज गिरावट देखी गई.यह स्थिति इस क्षेत्र की पर्यावरणीय स्थिरता और मानव जीवन के लिए बढ़ती कठिनाइयों का संकेत दे रही है.एए/वीके (एएफपी)

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