Source :- NEWS18
Last Updated:May 12, 2025, 22:45 IST
भारत पाकिस्तान के बीच तनाव भले ही शांत हो चुका हो लेकिन आंतकी अब भी जिंदा घूम रहे हैं जिनकी वजह से दोनों देशों के बीच युद्धा हुआ था. लेकिन आपको 1990 का अफगानिस्तान का वो युद्ध याद है जो अमिताभ बच्चन के लिए रुक …और पढ़ें
हाइलाइट्स
- जब अमिताभ बच्चन के लिए रोक दी गई 2 मुल्कों की जंग
- गुदा गवाह की शूटिंग के लिए अफगानिस्तान में आने की खबर से कैंसिल हुआ था युद्ध
- 90 के दशक में सरकारी बलों और देश की मुजाहिद्दीन ताकतों के बीच युद्ध चल रहा था
12नई दिल्लीः भारत और पाकिस्तान आजादी के बाद से ही दुश्मन रहे हैं. लेकिन भारत के अफगानिस्तान के साथ अच्छे संबंध बने हुए हैं. भारत ने भी देश को काफी सहायता प्रदान की है. इसका एक उदाहरण तालिबान शासन के तहत भी अफगानिस्तान में भारतीय राजनयिक संबंधों का जारी रहना है. ऐसे समय में जब पिछले कुछ दिनों से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, एक भारतीय फिल्म की शूटिंग के लिए अफगानिस्तान में चल रहे गृह युद्ध को रोक दिए जाने की घटना याद आ रही है.
यह बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी अभिनीत फिल्म ‘खुदा गवाह’ थी. इस फिल्म की शूटिंग अफगानिस्तान में होने की प्लानिंग थी. इसके लिए फिल्म क्रू ने 1990 के दशक में अफगानिस्तान जाने का फैसला किया. लेकिन उस समय अफगानिस्तान में सरकारी बलों और देश की मुजाहिद्दीन ताकतों के बीच युद्ध चल रहा था. इस बीच, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद नजमुल्लाह की बेटी को पता चला कि अमिताभ बच्चन अफगानिस्तान आ रहे हैं, तो उन्होंने अपने पिता को मामले की जानकारी दी और उनसे युद्ध रोकने की अपील की. उन्होंने अपने पिता से अपील की अगर युद्ध रोक दिया जाए तो अमिताभ बच्चन काबुल आएंगे और लोग उन्हें देख सकेंगे.
बता दें उसी समय, भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी, जो अमिताभ के करीबी मित्र थे, ने भी खुदा गवाह की शूटिंग उस देश में करने के लिए अफगान सरकार से बातचीत की. एक समझौता हुआ और युद्धविराम लागू हो गया. फिल्म ‘खुदा कावा’ की शूटिंग अफगानिस्तान में हुई थी. अफगान सरकार ने इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था करने में अग्रणी भूमिका निभाई. तदनुसार, भारी सुरक्षा के साथ सैन्य वाहन उन वाहनों के आगे और पीछे चल रहे थे जिनमें अमिताभ बच्चन फिल्म क्रू के साथ यात्रा कर रहे थे.
जबकि शूटिंग काबुल और मजार-ए-शरीफ जैसे शहरों में हुई थी, अफगान नेता रब्बानी, जो देश की विपक्षी पार्टी के नेता थे, व्यक्तिगत रूप से अमिताभ बच्चन से मिलने गए और उन्हें फूलों का गुलदस्ता देकर बधाई दी. अफगान राजदूत ने एक इंटरव्यू में इन घटनाओं को भावुकतापूर्वक याद किया.
इस बीच, 1992 में फिल्म ‘खुदा गवाह’ रिलीज हुई थी. लेकिन 1991 में भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई. फिल्म के लिए राजीव गांधी के प्रयासों और उनकी व्यक्तिगत मित्रता के कारण, फिल्म ‘खुदा गवाह ‘ अमिताभ बच्चन के लिए एक अविस्मरणीय फिल्म बन गई. गौरतलब है कि दिल्ली में फिल्म ‘खुदा गवाह’ के लॉन्च के दौरान अमिताभ बच्चन राजीव गांधी को याद कर खुशी के आंसू रो पड़े थे.
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मैं मोहनी गिरी न्यूज 18 हिंदी में एंटरटेनमेंट टीम (रिजनल सिनेमा) से जुड़ी हूं. इससे पहले नवभारत टाइम्स, जनसत्ता, पत्रिका जैसे संस्थानों में काम कर चुकी हूं. अपने 7 साल से ज्यादा करिएर में में मैंने कई क्षेत्रों …और पढ़ें
मैं मोहनी गिरी न्यूज 18 हिंदी में एंटरटेनमेंट टीम (रिजनल सिनेमा) से जुड़ी हूं. इससे पहले नवभारत टाइम्स, जनसत्ता, पत्रिका जैसे संस्थानों में काम कर चुकी हूं. अपने 7 साल से ज्यादा करिएर में में मैंने कई क्षेत्रों … और पढ़ें
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