Source :- LIVE HINDUSTAN
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर ने कहा कि अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 145 प्रतिशत शुल्क दर को घटाकर 30 प्रतिशत करने पर जबकि चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर अपनी दर को घटाकर 10 प्रतिशत करने पर सहमति व्यक्त की है।

अमेरिका और चीन ने हाल ही में एक-दूसरे पर लगाए गए भारी शुल्कों को कम करने का फैसला किया है। दोनों देशों के बीच दो दिनों तक चली उच्च-सतरीय वार्ता के बाद आज (सोमवार को) जिनेवा में एक संयुक्त बयान जारी किया गया है, जिसके अनुसार, अमेरिका और चीन एक-दूसरे के उत्पादों पर अस्थायी रूप से यानी 90 दिनों के लिए टैरिफ कम करने पर सहमत हो गए हैं। ताकि व्यापार तनाव को कम किया जा सके और दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को आपसी मतभेद सुलझाने के लिए तीन महीने का वक्त मिल सके।
सोमवार को जारी किए गए बयान के अनुसार, अधिकांश चीनी आयातों पर अमेरिका ने 145% टैरिफ को 115 फीसदी घटाकर सिर्फ 30% तक लाने का अस्थाई फैसला किया है।इसमें फेंटेनाइल से जुड़ी दर भी शामिल है। चीन भी अमेरिकी वस्तुओं पर लगाए गए 125% टैरिफ को 115 फीसदी तक घटाकर अब 10% तक लाने पर सहमत हुआ है। हालांकि, इस डील में पेच यह है कि यह सिर्फ 90 दिनों के लिए ही है।
चर्चा जारी रखने पर भी बनी सहमति
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने कहा कि अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 145 प्रतिशत शुल्क दर को घटाकर 30 प्रतिशत करने पर जबकि चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर अपनी दर को घटाकर 10 प्रतिशत करने पर सहमति व्यक्त की है। ग्रीर और अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने जेनेवा में संवाददाता सम्मेलन में शुल्क कटौती की घोषणा की। दोनों अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपने व्यापार मुद्दों पर चर्चा जारी रखने की रुपरेखा तैयार की है।
दो दिन की वार्ता के बाद संवाददाता सम्मेलन में बेसेंट ने कहा कि उच्च शुल्क स्तर से दोनों पक्षों के सामान पर पूरी तरह रोक लग गई ऐसा परिणाम कोई भी पक्ष नहीं चाहता। बेसेंट ने कहा, ‘‘ इस सप्ताहांत दोनों प्रतिनिधिमंडलों की आम सहमति यह है कि कोई भी पक्ष अलगाव नहीं चाहता है। इन उच्च उच्च शुल्क से जो हुआ … वह अवरोध के बराबर था। कोई भी पक्ष ऐसा नहीं चाहता। हम व्यापार चाहते हैं। हम अधिक संतुलित व्यापार चाहते हैं। मुझे लगता है कि दोनों पक्ष इसे हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने चीन पर अमेरिकी शुल्क को बढ़ाकर 145 प्रतिशत कर दिया था और चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी आयात पर 125 प्रतिशत का शुल्क लगाया था। इतने अधिक शुल्क का मतलब है कि दोनों देश एक-दूसरे के उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं जिससे व्यापार बाधित हो रहा है, जो पिछले वर्ष 660 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक था। अमेरिका और चीन की घोषणा से शेयर बाजारों में उछाल आया। हांगकांग के हैंग सेंग सूचकांक में करीब तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई। जर्मनी तथा फ्रांस के बाजार में 0.7 प्रतिशत की तेजी आई।
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