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आईएनएस विक्रांत

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है.

इस तनाव के बीच रविवार को भारतीय नौसेना ने अरब सागर में एक युद्धाभ्यास किया.

भारतीय नौसेना ने कहा कि वह देश के ‘समुद्री हितों की रक्षा’ के लिए किसी भी समय और कहीं भी कार्रवाई करने के लिए तैयार है.

इस अभ्यास से जुड़े एक बयान में बताया गया कि नौसेना ने सफलतापूर्वक एक एंटी-शिप मिसाइल का परीक्षण किया, जो लंबी दूरी तक कार्रवाई की क्षमता को दर्शाता है.

भारतीय नेवी में आईएनएस विक्रांत को जानकार एक अलग दर्जा देते हैं. गौतरतलब है कि इसी नाम का एक विमानवाहक युद्धपोत पहले भी नेवी के पास था जिसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी.

आईएनएस विक्रांत क्या है?

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यह विमानवाहक युद्धपोत कोच्चि शिपयार्ड में बनाया गया था, जिसे सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘राष्ट्र को समर्पित’ किया था.

सरकारी बयान के मुताबिक़, ये भारतीय कंपनी की तरफ़ से बनाया गया पहला विमानवाहक युद्धपोत है. ये जहाज़ सौ से अधिक छोटे और मध्यम दर्जे के स्थानीय संगठनों के सहयोग से तैयार किया गया था.

साल 2022 तक भारत के पास आईएनएस विक्रमादित्य नाम का केवल एक विमानवाहक युद्धपोत था.

आईएनएस विक्रांत के शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना के पास दो विमानवाहक युद्धपोत हो गए. इसके साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया जो अपने ख़ुद के विमानवाहक युद्धपोत बनाते हैं.

इन देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल हैं. वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान के पास अब तक कोई विमानवाहक युद्धपोत नहीं है.

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में ‘आईएनएस विक्रांत’ नाम के युद्धपोत ने अहम भूमिका निभाई थी. उसी की याद में इस नए विमानवाहक युद्धपोत का भी नाम ‘आईएनएस विक्रांत’ रखा गया है.

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आईएनएस विक्रांत की ख़ास बातें क्या हैं?

विक्रांत की ख़ासियत

प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) के मुताबिक़, आईएनएस विक्रांत में 30 लड़ाकू विमानों को ले जाने की क्षमता है. इसकी कुछ ख़ास बातें ये हैं-

  • जहाज़ की लंबाई: 262 मीटर
  • डिस्प्लेसमेंट: 45,000 टन
  • अधिकतम गति: 28 नॉट्स
  • कुल लागत: 20 हजार करोड़ रुपये

लड़ाकू विमानों को ले जाने की क्षमता: यह 30 तरह के विमानों और हेलीकॉप्टरों को ले जा सकता है, जिनमें मिग-29के, कामोव-32, एमएच-60आर, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर और हल्के युद्धक विमान शामिल हैं.

विक्रांत को ऑटोमेटिक सिस्टम के साथ तैयार किया गया है. इसे फिक्स्ड विंग और रोटरी विंग दोनों तरह के विमानों के संचालन के लिए डिजाइन किया गया है.

विक्रांत में आक्रमण और रक्षा की क्षमता

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चेन्नई यूनिवर्सिटी के डिफेंस और स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ डिपार्टमेंट से जुड़े थिरुनावुक्करसु का कहना है कि भारत के पास इस समय दो विमानवाहक युद्धपोत काम कर रहे हैं, विक्रमादित्य और विक्रांत.

वो कहते हैं, “ये दोनों विमानवाहक युद्धपोत हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में सुरक्षा के उद्देश्य से इस्तेमाल किए जाएंगे.”

थिरुनावुक्करसु के मुताबिक, “यह एक बेहद तनावपूर्ण स्थिति है. अगर वाकई पहलगाम हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है और युद्ध की संभावना बनती है, तो गुजरात और मुंबई जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र आसानी से निशाना बनाए जा सकते हैं. यह जहाज़ भारत पर किसी भी संभावित हमले को रोकने के लिए बनाया गया है, विशेषकर उन इलाकों में.”

वह आगे कहते हैं, “श्रीनगर या दिल्ली के एयर बेस से विमान ऑपरेट करने और दूसरे देशों की मदद लेने की बजाय, इस तैरते हुए एयरबेस से हमला करना कहीं ज़्यादा आसान और तेज़ होगा. साथ ही, पाकिस्तान के पास इस तरह के विमानवाहक युद्धपोत न होने का फायदा भारत को रणनीतिक बढ़त के तौर पर मिलेगा.”

थिरुनावुक्करसु बताते हैं कि अगर इस युद्धपोत में क्षमता के मुताबिक़ ईंधन भर दिया जाए, तो यह लंबे समय तक समुद्र में तैनात रह सकता है.

भारत में आईएनएस विक्रांत को तैनात क्यों किया?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल त्यागराजन कहते हैं, “कोई भी यह भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होगा या नहीं? लेकिन अगर दुश्मन किसी भी हमले की कार्रवाई के लिए ख़ुद को तैयार करता है तो भारत इस ख़तरे से बचने के लिए पहले हमला कर सकता है.”

उनके मुताबिक़, भारतीय सेना अंतरराष्ट्रीय सीमा, लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) और समुद्री अड्डों पर अपनी पूरी तैयारी कर रहा है.

उनके मुताबिक आईएनएस विक्रांत को कारवार से आगे बढ़ने की वजह भी यही हो सकती है.

गौरतलब है कि 1971 के युद्ध के दौरान पुराने आईएनएस विक्रांत ने उस वक़्त के पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में सैनिक कार्रवाइयों और समुद्री हमलों का नेतृत्व किया.

1971 के युद्ध में क्या हुआ था?

भारत का पहला विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत दरअसल ब्रिटेन की रॉयल नेवी के लिए बनाया गया था, जिसका निर्माण कार्य 1943 में शुरू हुआ था.

उस समय इसका नाम ‘एचएमएस हरक्लीज़’ रखा गया था. लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के समाप्त होने के बाद इस पर काम रोक दिया गया.

बाद में ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की कि वह निर्माण पूरा होने से पहले इस जहाज़ को बेचेगी. भारत ने 1957 में इसे खरीदा और निर्माण पूरा होने के बाद 1961 में इसे भारतीय नौसेना को सौंपा गया.

प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) के मुताबिक़, यह जहाज़ ब्रिटेन से रवाना होकर 3 नवंबर 1961 को मुंबई के तट पर पहुंचा था.

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, इस युद्धपोत ने बांग्लादेश की आज़ादी सुनिश्चित करने में निर्णायक भूमिका निभाई थी.

पीआईबी के मुताबिक़, आईएनएस विक्रांत ने समुद्री मार्ग से पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों को रोका और दुश्मन के ठिकानों पर हमला कर उन्हें ध्वस्त कर दिया था.

भारतीय नौसेना में 36 साल सेवा देने के बाद आईएनएस विक्रांत को 1997 में रिटायर कर दिया गया.

इसके बाद इसे लगभग 15 वर्षों तक एक म्यूज़ियम के रूप में संरक्षित रखा गया, और बाद में इसके कुछ हिस्से तोड़कर नीलाम कर दिए गए.

अब उसी नाम पर तैयार नया विमानवाहक युद्धपोत ‘आईएनएस विक्रांत’ नई क्षमताओं के साथ फिर से चर्चा में है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

SOURCE : BBC NEWS