Source :- NEWS18
नई दिल्ली. हिंदी और तेलुगु फिल्मों के जाने मानें एक्टर प्रकाश राज अपनी मन का बात को कहने से परहेज नहीं करते, इसलिए अक्सर ट्रोल्स के निशाने पर भी आ जाते है. बात इंडस्ट्री की हो या फिल्मी दुनिया की. वो अपना पक्ष रखने में देरी नहीं करते. हाल ही में एक बातचीत में, ‘डुएट’ एक्टर ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के अपने सहयोगियों के बारे में खुलकर बात की जो सार्वजनिक रूप से राजनीतिक मुद्दों पर बोलने से बचते हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि कई लोग डरते हैं, ‘आधे बिक चुके हैं’ और सरकार के खिलाफ बोलने से मना कर देते हैं.
द लल्लनटॉप से बात करते हुए, प्रकाश राज ने जोर दिया कि सरकार अपनी शक्ति का उपयोग असहमति को दबाने के लिए कर सकती है, लेकिन फिल्म निर्माताओं को विचारोत्तेजक सिनेमा बनाने और उसकी रिलीज के लिए लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘कोई भी शक्तिशाली सरकार चर्चाओं को रोक देगी. दूसरी बात, यह कलाकारों के भीतर भी होना चाहिए. उन्हें भी इस बात की समझ होनी चाहिए कि वे किस तरह की फिल्में बना रहे हैं और वे फिल्म की रिलीज के लिए लड़ने के लिए तैयार रहें. वह दृढ़ता जरूरी है.’
आधे बिक चुके हैं और आधे डरते हैं
इंडस्ट्री के लोगों ने बारे में उन्होंने कहा, ‘आधे बिक चुके हैं, मेरे अपने सहयोगी और आधे डरते हैं क्योंकि उनमें ताकत नहीं है. मेरा एक बहुत करीबी दोस्त है, जिसने मुझसे कहा, ‘प्रकाश, आप में दम है, आप बोल सकते हैं, मैं नहीं बोल पाता.’ मैंने उससे कहा कि मैं समझता हूं लेकिन मैं उसे माफ नहीं कर सकता क्योंकि भविष्य में, जब इतिहास लिखा जाएगा, तो वह उन लोगों को माफ कर देगा जिन्होंने अपराध किए, लेकिन उन लोगों को नहीं जो चुप रहे. हर कोई जिम्मेदार है.’
बोल देना का पड़ा करियर पर असर?
प्रकाश ने यह स्वीकार किया कि उनके मुखर राजनीतिक विचारों का असर उनके करियर पर भी पड़ा है. इसी बातचीत में उन्होंने शेयर किया कि अपने बेबाक विचारों के कारण उन्हें हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपेक्षाकृत कम काम मिल रहा है. उन्होंने कहा, ‘लोगों को इस बात की चिंता होती है कि अगर वे हमारे साथ किसी फिल्म में काम करेंगे, तो उन्हें वह नहीं मिलेगा जिसकी वे उम्मीद करते हैं. यहां ये माहौल है.’
‘ये स्थिति मुझे और मजबूत बनाती है’
उन्होंने आगे कहा, ‘मगर यह स्थिति मुझे और मजबूत बनाती है. यह कहने के लिए कि यह ठीक नहीं है. इसलिए हमें लड़ना होगा, अपनी आवाज बुलंद करनी होगी.’ जब उनसे पूछा गया कि क्या अपने विचार खुलकर रखने से कलाकारों को काम के अवसर खोने पड़ते हैं, तो उन्होंने साफ कहा, ‘ऐसा नहीं है कि काम पूरी तरह बंद हो जाएगा. काम मिलेगा, मिलता है, लेकिन उतना नहीं जितना मिल सकता था.’
प्रकाश राज वर्कफ्रंट
वर्कफ्रंट की बात करें तो प्रकाश को हाल ही में सूर्या की फिल्म ‘रेट्रो’ में देखा गया था. उनके पास विजय की ‘जना नायकन’ और पवन कल्याण की ‘दे कॉल हिम ओजी’ जैसी फिल्में भी हैं.
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