Source :- BBC INDIA

इमेज स्रोत, Getty Images
एक घंटा पहले
पाकिस्तान के आर्मी चीफ़ जनरल आसिम मुनीर अमेरिका के पाँच दिवसीय दौरे पर हैं. बुधवार को वह स्थानीय समय अनुसार दोपहर एक बजे व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लंच पर मुलाक़ात करेंगे.
इससे पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति ट्रंप से फोन पर 35 मिनट बातचीत हुई है. पीएम मोदी जी-7 समिट में शामिल होने कनाडा गए हैं. इस समिट में ट्रंप भी शरीक हुए थे, लेकिन उन्होंने अपने दौरे को छोटा करने का फ़ैसला किया और पीएम मोदी के कनाडा पहुँचने से पहले ही वॉशिंगटन लौट गए.
एक तरफ़ जनरल आसिम मुनीर की व्हाइट हाउस में लंच पर होने वाली मुलाक़ात को काफ़ी अहम माना जा रहा है, तो दूसरी तरफ़ पीएम मोदी और ट्रंप के बीच हुई बातचीत की चर्चा भी हो रही है.
पीएम मोदी और ट्रंप की बातचीत का ब्यौरा देते हुए, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप के अनुरोध पर बुधवार को दोनों नेताओं की बातचीत हुई. पीएम मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को स्पष्ट रूप से कहा कि 22 अप्रैल के बाद भारत ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई का दृढ़ संकल्प पूरी दुनिया के सामने रख दिया था.”
उन्होंने आगे कहा, “नौ मई को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने पीएम मोदी से फोन पर कहा था कि पाकिस्तान भारत पर बड़ा हमला कर सकता है. इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा था कि भारत उससे भी बड़ा हमला करेगा.”
विक्रम मिसरी ने बताया, “भारत के मुँहतोड़ जवाब के कारण पाकिस्तान ने भारत से सैन्य ऑपरेशन रोकने का आग्रह किया. पीएम मोदी ने ट्रंप से स्पष्ट रूप से कहा कि इस घटना के दौरान कभी भी, किसी भी स्तर पर अमेरिका से ट्रेड डील या भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता को लेकर कोई बात नहीं हुई थी. सैन्य कार्रवाई रोकने की बातचीत केवल भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी. पीएम मोदी ने साफ़ कहा कि भारत कभी भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा.”
ट्रंप के बयान से भारत हुआ था ‘असहज’

इमेज स्रोत, Getty Images
मिसरी ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत की बात समझी. पीएम मोदी ने ट्रंप से कहा कि भारत का ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है और भारत आतंकवादी हमले को युद्ध के रूप में देखता है. ट्रंप ने पीएम मोदी से पूछा कि क्या वह कनाडा से अमेरिका होते हुए भारत जा सकते हैं? लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के कारण अपनी असमर्थता व्यक्त की. क्वॉड की अगली बैठक के लिए पीएम मोदी ने ट्रंप को भारत आने का न्योता दिया. ट्रंप ने जवाब में कहा कि वह भारत आने के लिए उत्सुक हैं.”
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पिछले महीने पाकिस्तान के कुछ इलाक़ों में हमला किया था. इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी हमला किया था. दोनों देशों के बीच तनातनी जारी ही थी कि ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर 10 मई को युद्धविराम की घोषणा कर दी थी.
ट्रंप की यह घोषणा भारत के लिए असहज करने वाली थी.
ट्रंप ने अपनी पोस्ट में लिखा था, “अमेरिका ने पूरी रात पाकिस्तान और भारत के बीच मध्यस्थता की और इसके बाद दोनों देश पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं.”
ट्रंप की घोषणा का पाकिस्तान ने स्वागत किया था, लेकिन भारत ने इसे स्वीकार नहीं किया था. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने युद्धविराम को द्विपक्षीय बताया था.
भारत की यह नीति रही है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मसला है और इसमें किसी तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है.

ट्रंप युद्धविराम की घोषणा तक ही नहीं रुके थे. उन्होंने कुछ मौक़ों पर यह भी कहा था कि भारत और पाकिस्तान को उन्होंने ट्रेड बंद करने की धमकी दी थी, जिसके बाद दोनों देश युद्धविराम के लिए तैयार हुए.
अभी इसराइल और ईरान के बीच लड़ाई चल रही है और ट्रंप खुलकर इसराइल का समर्थन कर रहे हैं. ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर अपनी एक पोस्ट में लिखा कि इसराइल और ईरान को भारत-पाकिस्तान की तरह युद्धविराम समझौते पर तैयार होना चाहिए. ट्रंप ने कई बार स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम उन्हीं की वजह से हुआ.
भारत के सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने एक्स पर लिखा, “पीएम मोदी के जी-7 समिट में कनाडा के अल्बर्टा पहुँचने से पहले राष्ट्रपति ट्रंप वापस चले गए. कहा जा रहा था कि दोनों नेताओं की आमने-सामने मुलाक़ात होनी थी. इस मुलाक़ात पर मीडिया का ध्यान भी रहता क्योंकि ट्रंप लगातार दावा करते रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम में उनकी भूमिका रही है.”
भारत ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि वह किसी भी देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा.
लेकिन इस संदर्भ में यह बात अहम हो जाती है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख राष्ट्रपति ट्रंप से व्हाइट हाउस में लंच पर मिलने वाले हैं.

इमेज स्रोत, @narendramodi
व्हाइट हाउस में जनरल मुनीर और ट्रंप के लंच के मायने
दक्षिण एशिया की जियोपॉलिटिक्स पर गहरी नज़र रखने वाले माइकल कुगलमैन ने जनरल मुनीर और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाक़ात को लेकर एक्स पर लिखा है, “राष्ट्रपति ट्रंप और जनरल मुनीर की मुलाक़ात को केवल इसराइल-ईरान युद्ध के आईने में ही नहीं देखना चाहिए. पाकिस्तान-अमेरिका के बीच इस बातचीत को अहम खनिज और क्रिप्टो के नज़रिए से भी देखना चाहिए. ट्रंप निजी तौर पर इन मामलों में दिलचस्पी रखते हैं. जनरल मुनीर इन मामलों पर बातचीत की हैसियत रखते हैं. यहाँ तक कि कश्मीर पर भी.”
भारत के पूर्व डिप्लोमैट केसी सिंह ने माइकल कुगलमैन की इस पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए लिखा है, “अप्रत्याशित. इसके दो मायने हो सकते हैं. या तो ट्रंप यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर अमेरिका ईरान में जंग में शामिल होता है तो पाकिस्तानी सेना की प्रतिक्रिया क्या होगी, या फिर ट्रंप पहले ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करने का फ़ैसला कर चुके हैं और पाकिस्तान की मदद चाहते हैं.”
कुगलमैन ने लिखा है, “अमेरिका के सीनियर अधिकारी अक्सर पाकिस्तानी सेना प्रमुख से मिलते रहते हैं, लेकिन व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से मेहमाननवाज़ी असामान्य बात है. कई कारणों में एक बड़ा कारण इसराइल-ईरान युद्ध भी है.”
वहीं इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर नज़र रखने वाले विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन ने लिखा है, “अब समय आ गया है कि भारत आवाज़ उठाए. ट्रंप व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के फील्ड मार्शल जनरल मुनीर से मिलने वाले हैं. वही जनरल मुनीर जिसे भारत आतंकवादी हमले का मास्टरमाइंड मानता है.”
ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में पाकिस्तान को दी जाने वाली सभी तरह की सैन्य मदद बंद कर दी थी. उन्होंने पाकिस्तान पर अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था. लेकिन इसी महीने ट्रंप ने पाकिस्तान की नेतृत्व क्षमता को बहुत मज़बूत बताया था.
इसी महीने अमेरिका के सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिला ने कहा था कि पाकिस्तान आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में अमेरिका का अभूतपूर्व सहयोगी रहा है.
जनरल कुरिला ने यह भी कहा था कि अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों को भारत से जोड़कर नहीं देखना चाहिए. उन्होंने यह बात मंगलवार को यूएस हाउस आर्म्ड सर्विसेज़ कमिटी की बैठक से पहले कही थी. जनरल कुरिला ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में तनाव की क़ीमत अमेरिका को पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों से नहीं चुकानी चाहिए.

इमेज स्रोत, Getty Images
अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत रहीं मलीहा लोधी ने ब्रिटिश अख़बार फाइनैंशियल टाइम्स से कहा, ”पाकिस्तान अमेरिका से संबंध सुधारना चाहता है लेकिन चीन से संबंध ख़राब करने की क़ीमत पर नहीं. पाकिस्तान के साथ चीन का जो संबंध है, उसकी तुलना अमेरिका से नहीं हो सकती है. पाकिस्तान की रणनीतिक प्राथमिकता चीन है क्योंकि चीन पाकिस्तान की रक्षा और आर्थिक, दोनों ज़रूरतें पूरी कर रहा है.”
इसी महीने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से यूरोप की एक न्यूज़ वेबसाइट ने पूछा था, “क्या आप डोनाल्ड ट्रंप पर भरोसा करते हैं?”
जवाब में जयशंकर ने कहा, “इसका क्या मतलब है?”
पत्रकार ने कहा, “क्या वो जो कहते हैं, उस पर डटे रहते हैं? क्या वह ऐसे पार्टनर हैं, जिनके साथ भारत अपने रिश्ते और गहरा करना चाहेगा.”
इस पर जयशंकर ने कहा था, “हर उस रिश्ते को आगे बढ़ाना हमारा लक्ष्य है, जो हमारे हितों के अनुरूप हो और अमेरिका के साथ रिश्ता हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अमेरिका में एक्स राष्ट्रपति हो या वाई, इससे हमारे संबंध तय नहीं होते.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
SOURCE : BBC NEWS