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इस्कॉन मुंबई और बेंगलोर विवाद में बड़ा फैसला।
इस्कॉन मुंबई और इस्कॉन बैंगलोर के बीच जारी विवाद को लेकर भारत की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बैंगलोर हरे कृष्ण हिल टैंम्पल इस्कॉन बैंगलोर के पास ही रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया है और मुंबई इस्कॉन के अधिकार को रद्द कर दिया है। आइए जानते हैं इस पूरे विवाद के बारे में।
इस्कॉन बेंगलोर ने फैसले पर क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर इस्कॉन बैंगलोर के अध्यक्ष मधु पंडित दास ने कहा- “आज हरे कृष्ण आंदोलन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर है। साल 1977 में श्रील प्रभुपाद ने ‘महा समाधि’ प्राप्त की थी। इसके बाद से उनके शिष्यों ने आंदोलन की गुरुता संभाली। इस्कॉन मुंबई/बॉम्बे श्रील प्रभुपाद को ही एकमात्र गुरु मानने वाले सभी लोगों को निष्कासित करना चाहता था। इस्कॉन बॉम्बे ने इस्कॉन बैंगलोर की संपत्ति पर दावा करने की कोशिश की। आज सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया है कि बैंगलोर रजिस्टर्ड इस्कॉन सोसायटी और मंदिर का मालिक है।”
क्या है पूरा विवाद?
दरअसल, इस्कॉन मुंबई का दावा था कि इस्कॉन बैंगलोर सिर्फ उसकी एक ब्रांच है। इस कारण इस्कॉन बेंगलोर से जुड़ी सभी संपत्ति भी इस्कॉन मुंबई के अधिकार क्षेत्र में आती है। वहीं, इस्कॉन बैंगलोर ने दावा किया था कि वह बीते कई दशकों से स्वतंत्र रूप से काम कर रही है और बैंगलोर के मंदिर का मैनेजमेंट कर रही है।
केस में अब तक क्या-क्या हुआ?
मंदिर पर अधिकार क्षेत्र के इस विवाद में निचली अदालत ने साल 2009 में इस्कॉन बैंगलोर के पक्ष में फैसला दिया था। निचली अदालत ने इस्कॉन मुंबई के अधिकार को खारिज करते हुए कहा था कि इस्कॉन बेंगलुरु इस्कॉन मुंबई की ब्रांच नही बल्कि एक स्वतंत्र संस्था है। हालांकि, साल 2011 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और इस्कॉन मुंबई के दावे को बरकरार रखा था। उन्हें उन्हें मंदिर पर नियंत्रण भी मिल गया था। इस फैसले के खिलाफ इस्कॉन बैंगलोर ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। इस्कॉन बैंगलोर की याचिका को स्वीकार कर लिया है।
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