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इसराइल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाते हुए कई ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं.
जवाब में ईरान ने भी कार्रवाई की है. इसके बाद से दोनों देशों की ओर से एक-दूसरे पर हमले जारी हैं.
सोमवार को इसराइल ने दावा किया कि ईरान के हमलों में अब तक 19 लोग मारे गए हैं. वहीं, ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़ इसराइली हमलों में 224 लोगों की मौत हुई है.
तेहरान में लोग इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि मौजूदा हालात में उन्हें क्या करना चाहिए.
बीबीसी न्यूज़ फ़ारसी से बात करने वाले ज़्यादातर लोगों ने ईरान में हालात को बेहद मुश्किल बताया है.
एक महिला ने बीबीसी को बताया कि वह दो रातों से सो नहीं सकी हैं. उन्होंने कहा, “मैं बहुत कठिन परिस्थितियों से गुज़र रही हूं.”
मौजूदा हालात उन्हें 1980 के दशक में ईरान-इराक़ युद्ध के दौरान की बमबारी और शेल्टर में छिपने के दिनों की याद दिला रहे हैं, जब वे बच्ची थीं.
उन्होंने बताया, “अंतर यह है कि पहले, जब कोई हमला होता था, तो हम हवाई हमले का सायरन या कम से कम कोई चेतावनी सुनते थे. लेकिन अब, इन बमबारी या हमलों के दौरान कोई सायरन नहीं बजता, कोई चेतावनी नहीं मिलती. ऐसा लगता है जैसे अब उन्हें हमारी जान की कोई परवाह नहीं है.”
बीबीसी न्यूज़ फ़ारसी की ग़ोनचेह हबीबियाज़ाद का कहना है कि 1980 के युद्ध के बाद पैदा हुए युवाओं को जंग का माहौल कैसा होता है, इसका कोई अनुभव नहीं है.
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तेहरान के एक निवासी ने बीबीसी को बताया, “मुझे पेट्रोल पंप ढूंढने के लिए घर से काफ़ी दूर तक गाड़ी चलानी पड़ी, क्योंकि हर पंप के सामने लंबी कतारें थीं.”
शहर में कुछ लोग ईरानी अधिकारियों के निवास स्थानों से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं.
बीबीसी संवाददाताओं का कहना है कि इंटरनेट कभी-कभी काम करता है और कभी पूरी तरह बंद हो जाता है, जिससे लोगों से संपर्क बनाए रखना बेहद मुश्किल हो गया है.
ईरान से बाहर रहने वाले कई लोग अपने परिजनों को संदेश भेज रहे हैं, इस उम्मीद के साथ कि उन्हें कोई जवाब मिलेगा.
तेहरान में एक महिला ने बताया कि वह शहर छोड़ने पर विचार कर रही थीं.
उन्होंने कहा, “हम सभी छोटे शहरों या गांवों में जाना चाहते थे, जहां हम जा सकते थे, लेकिन हमारे कई ऐसे परिजन हैं, जिन्हें हम पीछे नहीं छोड़ सकते.”
उन्होंने कहा, “हमें खेद है कि हमारे देश के नेताओं को हमारी कोई परवाह नहीं है. यह समय बेहद कठिन और दर्दनाक है.”
तेहरान के एक अन्य निवासी ने कहा, “मैं शहर छोड़कर नहीं जा सकता. मैं अपने बुज़ुर्ग माता-पिता को छोड़कर नहीं जा सकता. वो लंबी यात्रा भी नहीं कर सकते. इसके अलावा, मुझे नौकरी भी करनी है. अब मेरे पास और कोई विकल्प नहीं है, मैं क्या करूं?”
ईरान में कुछ लोगों को इसराइली सेना की ओर से चेतावनी मिली है कि वे सैन्य ठिकानों के नज़दीकी इलाक़ों को छोड़ दें.
तेहरान में लोग इस बात से सबसे ज़्यादा चिंतित हैं कि सैन्य ठिकाने कहां हैं और वे कितने सुरक्षित हैं.
तेहरान के एक निवासी ने कहा, “हां, दुर्भाग्य से मैं ये चेतावनी देख चुका हूं. लेकिन हम कैसे जान पाएंगे कि सैन्य ठिकाना कहां है और कहां नहीं?”
इसके अलावा, इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने हमलों के दूसरे दिन ईरान के लोगों को दिए गए संदेश में ‘शासन को उखाड़ फेंकने’ का आह्वान किया.
बीबीसी न्यूज़ फ़ारसी के दारयूश करीमी का कहना है कि इस बात के बहुत कम सबूत हैं कि नेतन्याहू के आह्वान का ज़मीनी स्तर पर कोई असर होगा.
सरकार का नैरेटिव

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बीबीसी न्यूज़ फ़ारसी के पौयान कलानी का कहना है कि ईरान के अंदर लोगों को सबसे बड़ा झटका रिहायशी इलाक़ों पर हुए हमलों से लगा है.
इसकी उम्मीद न तो आम लोगों ने की थी और न ही सरकारी अधिकारियों ने.
मलबे के नीचे मृत एक बच्चे की तस्वीर, सड़क पर धूल से सना हुआ एक टेडी बियर और ज़मीन पर बिखरी स्केचबुक — ये सभी दृश्य ऐसे हैं जो लोगों ने ईरान-इराक़ युद्ध के बाद नहीं देखे थे, ख़ासकर राजधानी की सड़कों पर तो बिल्कुल नहीं.
तेहरान पर इस तरह के हमले के बाद कई लोग यह पूछ रहे हैं कि आख़िर ईरान में ऐसा क्या हो रहा था, जिसकी वजह से यह जंग छिड़ी?
लोग यह जानना चाह रहे हैं कि वे अपने परिवारों को कैसे सुरक्षित रखें.
ईरानी अधिकारी यह बताने में विफल रहे हैं कि देश का एयर डिफेंस सिस्टम इतना बेअसर क्यों साबित हुआ.
शुक्रवार सुबह इसराइल के पहले हमले के कई घंटे बाद तक सरकार ने इस बारे में कोई सार्वजनिक जानकारी या स्पष्टीकरण जारी नहीं किया.
कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा था कि क्या ईरान सचमुच जंग की ओर बढ़ रहा है?
सरकारी टेलीविज़न पर अधिकारी मान रहे थे कि कुछ गंभीर हुआ है, लेकिन यह भी कह रहे थे कि हालात नियंत्रण में हैं.
किसी भी अधिकारी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि इसराइली विमान बिना किसी रोक-टोक के तेहरान और अन्य शहरों पर हमला कैसे कर पाए.
शुक्रवार दोपहर बाद ईरान के सर्वोच्च नेता ने एक लिखित और एक वीडियो बयान जारी किया. इसके बाद सरकारी मीडिया पर ‘बदला लेने’ जैसे बयानों का सिलसिला शुरू हो गया.

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अपने वीडियो संदेश में आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई ने घोषणा की कि “सशस्त्र सेनाएं पूरी ताक़त से काम करेंगी और दुश्मन को घुटनों पर ला देंगी.”
शाम होते-होते, ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलें इसराइल के तेल अवीव पर दागी जाने लगीं.
ईरान के सरकारी मीडिया ने इन हमलों के दृश्य प्रसारित करने शुरू कर दिए. ये फुटेज विश्लेषकों के साथ चल रही चर्चा के दौरान दिखाए गए.
सरकारी चैनल ने यह दावा भी किया कि ईरानी मिसाइलों ने इसराइल की सुरक्षा प्रणाली को भेद दिया है.
कुछ इस तरह ‘जीत की कहानी’ गढ़ी गई. यहां तक कि तेल अवीव में हवाई हमले के सायरन बजने को भी भय का प्रतीक बताया गया.
यह सब तब हो रहा था जब इसराइल, नतांज़, फोर्दो और इस्फ़हान स्थित ईरानी एयरबेसों और परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला कर रहा था.
शनिवार सुबह तक इसराइली ड्रोन तेहरान के आसमान में मंडरा रहे थे.
कुछ लोग पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारों में लग गए — संभवतः तेहरान छोड़ने की तैयारी में. कई लोग राशन और ईंधन जमा करने की योजना बनाने लगे.
कई घंटों बाद, ईरान के गृहमंत्री ने सरकारी मीडिया पर जनता को संबोधित करते हुए कहा, “शांत रहें, चिंता न करें, केवल आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें और अनावश्यक यात्रा से बचें.”
ये बयान संभावित अस्थिरता को नियंत्रित करने के प्रयास के रूप में देखे जा रहे थे.
सरकार ने इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) के कई वरिष्ठ कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत की घोषणा की. हालांकि सैन्य और परमाणु प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों के बारे में ज़्यादा जानकारी साझा नहीं की गई.
इसके बजाय, समाचार एजेंसियों ने अधिकारियों, धार्मिक संगठनों और विभिन्न संस्थानों के बयान साझा किए, जिनमें सभी ने सर्वोच्च नेता से ‘कठोर प्रतिशोध’ की मांग की.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
SOURCE : BBC NEWS