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त्वचा इतनी तैलीय है, उस पर मॉइस्चराइजर क्यों लगाना! क्या आप भी कुछ ऐसा ही मानती हैं? जवाब अगर हां, है तो ऐसे मिथक ही आपकी त्वचा की देखभाल में सबसे बड़ी मुश्किल पैदा कर रहे हैं। तैलीय त्वचा से जुड़े किन मिथकों से बनाएं दूरी और कैसे करें इस तरह की त्वचा की देखभाल, बता रही हैं स्वाति शर्मा
आप स्किन केयर उत्पाद खरीदते समय सबसे पहले क्या देखती हैं? यही न कि वह उत्पाद किस तरह की त्वचा के लिए बना है। यानी स्किन केयर में इस बात का सबसे पहले ख्याल रखने की जरूरत है कि त्वचा का प्रकार क्या है। उसी के हिसाब से आप सही उत्पाद चुन पाएंगी और आपकी त्वचा की दमक और सेहत दुरुस्त रह पाएगी। त्वचा की समस्या भी हर मौसम और त्वचा के प्रकार के हिसाब से अलग-अलग होती है। मसलन, गर्मी और मानसून में तैलीय त्वचा वालों को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान त्वचा में तेल का उत्पादन ज्यादा होता है, जिसके चलते चिपचिपाहट, खुजली, रैशेज और दानों की समस्या आम हो जाती है।
क्या है तैलीय त्वचा की पहचान?
सबसे पहले तो यह पता लगाएं कि आपकी त्वचा तैलीय है या नहीं। इसके लिए सबसे सही समय है सुबह का, जब आप सोकर उठती हैं। सुबह उठकर अपने चेहरे पर एक सूखा टिश्यू पेपर रखें। अगर वह त्वचा से चिपक जाता है या उस पर तेल नजर आता है, तो इसका मतलब है कि आपकी त्वचा तैलीय है। संभव है कि तेल केवल टी जोन यानी ललाट, नाक और टुड्ढी पर ही नजर आए। ऐसी त्वचा कॉम्बिनेशन स्किन की श्रेणी में आती है, पर इसकी देखभाल तैलीय त्वचा की तरह की करनी पड़ती है। नहीं तो, रोमछिद्रों का आकार धीरे-धीरे बड़ा होकर बाकी त्वचा भी वैसी ही बन जाएगी।
इसलिए हो जाती है त्वचा तैलीय
त्वचा में सिबेसियस ग्लैंड मौजूद होती हैं जो त्वचा के लिए तेल बनाने का काम करती हैं। एक हद तक इस तेल की जरूरत त्वचा को होती है, जिससे त्वचा लचीली और चमकदार बनी रहती है। लेकिन अगर किसी भी कारण से त्वचा में मौजूद नमी के स्तर में गिरावट आने लगती है तो त्वचा ज्यादा तेल बनाने लगती है और त्वचा का प्रकार बदल जाता है। तैलीय त्वचा के पीछे कई कारण शामिल हो सकते हैं, जैसे कि जेनेटिक्स, आप कहां रह रही हैं, आपकी उम्र, शरीर में पानी का स्तर, हार्मोन में बदलाव और त्वचा की देखभाल का आपका तरीका आदि।
ऐसे उत्पादों का करें इस्तेमाल
तैलीय त्वचा की देखभाल में टोनर खासे मददगार होते हैं। पर, ध्यान रखें कि उसमें एल्कोहल की मात्रा ज्यादा न हो। इससे त्वचा की नमी और कम होगी और त्वचा और ज्यादा तेल बनाएगी।
क्लींजर भी जेल वाले और हल्के इस्तेमाल करें ताकि त्वचा काे रूखेपन का सामना न करना पड़े।
अगर सैलिसिलिक एसिड का इस्तेमाल कर रही हैं तो पहले विशेषज्ञ से परामर्श लें।
विटामिन-सी सीरम मुहांसे की समस्या से निजात दिलाएगा।
अगर त्वचा बहुत जल्दी-जल्दी तैलीय हो रही है, तो अतिरिक्त तेल को हटाने के लिए ब्लोटिंग पेपर का इस्तेमाल करें।
कही-सुनी बातों से दूरी बनाएं
अगर आप अपनी तैलीय त्वचा का ख्याल रखना चाहती हैं, तो आपको सबसे पहले दूसरों की कही बातों को अपनी त्वचा पर आजमाने से बचना होगा। तैलीय त्वचा की देखभाल का सही तरीका समझें ताकि आपकी त्वचा की स्थिति और खराब न होने पाए और बदलता मौसम आपकी त्वचा की दुश्वारी को न बढ़ाए:
तैलीय त्वचा पर मॉइस्चराइजर क्यों लगाना!
यह धारणा गलत है कि तैलीय त्वचा वालों को मॉइस्चराइजर की जरूरत नहीं होती। इस बाबत ब्यूटी एक्सपर्ट गुंजन सिंह कहती हैं कि त्वचा तब तेल ज्यादा बनाती है, जब त्वचा में नमी का स्तर गिरने लगता है। इसलिए त्वचा को सही तरीके से मॉइस्चराइज करना जरूरी होता है। पर, कोई भी मॉइस्चराइजर लगाने से बात नहीं बनने वाली। तैलीय त्वचा के लिए आपको वॉटर बेस्ड मॉइस्चराइजर की जरूरत होगी।
तैलीय त्वचा को बार-बार धोना पड़ता है
यह भी कही-सुनी बात है। तैलीय त्वचा को दिन में ज्यादा से ज्यादा दो बार फेसवॉश से साफ करना होता है। बार-बार धोने से भी त्वचा में नमी का स्तर गिरने लगता है। सही क्लींजिंग, टोनिंग और मॉइस्चराइजर से आपको बार-बार चेहरा धोने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर फिर भी चेहरा धोने की जरूरत महसूस होती है, तो ठंडे पानी की छींटें चेहरे पर डालें, पर फेस वॉश से दो बार से ज्यादा चेहरा न धोएं।
मुहांसे हैं, पर त्वचा तैलीय नहीं
मुहांसे तभी आते हैं, जब त्वचा में तेल ज्यादा बन रहा हो और रोमछिद्र बंद हो जाएं। फिर भी अगर इस स्थिति में त्वचा में रूखपन महसूस होता है, तो भी त्वचा रूखी नहीं बल्कि तैलीय ही कही जाएगी। ऐसी त्वचा में नमी की कमी होती है, जिसकी वजह से वह ज्यादा संवेदनशील हो जाती है। ऐसी त्वचा में मुहांसे बार-बार होते हैं और रैशेज भी हो जाते हैं, इसलिए त्वचा में नमी के स्तर को बेहतर बनाएं और सही उत्पादों का इस्तेमाल करें। नमी से मुहांसों का होना काफी हद तक कम हो जाएगा।
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