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RBI Monetary Policy: आगामी मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक में प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) में तीसरी बार कटौती करने का रास्ता आसान हो जाएगा। इससे लोन के सस्ता होने और ईएमआई का बोझ थोड़ा कम होने की उम्मीद है।

खुदरा और खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर में गिरावट आने से आम लोगों को राहत मिली है। खुदरा महंगाई दर लगातार तीसरे महीने आरबीआई के तय दायरे से काफी नीचे बनी हुई है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे आरबीआई के लिए आगामी मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक में प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) में तीसरी बार कटौती करने का रास्ता आसान हो जाएगा। इससे लोन के सस्ता होने और ईएमआई का बोझ थोड़ा कम होने की उम्मीद है।

इससे पहले आरबीआई फरवरी और अप्रैल की समीक्षा बैठक में दो किस्तों में प्रमुख ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। विशेषज्ञों का कहा है कि चूंकि, महंगाई दर अब भी आरबीआई के संतोषजनक दायरे में है, इसलिए जून 2025 की बैठक में 0.25 प्रतिशत की दर कटौती होने की संभावना है।

गौरतलब है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के आधार पर आरबीआई रेपो दर में कटौती अथवा बढ़ोतरी का फैसला लेता है। सरकार ने आरबीआई को मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाए रखने का दायित्व सौंपा है। अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर छह साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई, जो आरबीआई के संतोषजनक दायरे में है।

तीन और कटौतियां संभव

रेटिंग एजेंसी इक्रा लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने इन आंकड़ों पर कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 में औसत मुद्रास्फीति 3.5 प्रतिशत रहेगी, जो आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के अनुमानों से काफी कम है, जिससे इस कैलेंडर वर्ष में ब्याज दर में 0.75 प्रतिशत की अतिरिक्त कटौती की गुंजाइश बनती है। जून में 0.25 प्रतिशत की कटौती संभव है। इसके बाद अगस्त और अक्टूबर, 2025 की नीतिगत समीक्षा में भी रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती हो सकती है। इस तरह इस साल ब्याज दरों मे कुल पांच कटौतियां हो सकती हैं।

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क्या है महंगाई अनुमान

केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। पहली तिमाही में इसके 3.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है।

आम आदमी के लिहाज से राहत, लेकिन…

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर अरुण कुमार कहते हैं कि महंगाई दर में गिरावट आम आदमी के लिहाज से ठीक है, लेकिन इसके पीछे कुछ दूसरे कारण भी हो सकते हैं। हमारे देश में महंगाई के आंकड़े खाने-पीने की कीमतों के आधार पर तैयार होती है। ऐसे में गिरावट के पीछे एक कारण यह भी हो सकती है कि अर्थव्यवस्था में मांग की कमी आ रही है। लोग जरूरी खर्चों में कटौती कर रहे हैं, जिसके चलते कीमतों में गिरावट आ रही हो।

इन वस्तुओं के दाम घटे

आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल के दौरान वार्षिक आधार पर आलू (12.7 प्रतिशत), टमाटर (33.21 प्रतिशत), चिकन (6.78 प्रतिशत), अरहर (14.27 प्रतिशत) और जीरा (20.79 प्रतिशत) के दाम घटे हैं। हालांकि, पिछले महीने सरसों तेल में 19.6 प्रतिशत, रिफाइंड तेल (सूरजमुखी, सोयाबीन) में 23.75 प्रतिशत, सेब में 17 प्रतिशत और प्याज में 2.94 प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर्ज की गई। आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य खर्च में भी मामूली गिरावट दर्ज की गई है।

ग्रामीण इलाकों में अधिक राहत

अप्रैल में ग्रामीण महंगाई दर 2.92 प्रतिशत रही, जबकि मार्च में यह 3.25 प्रतिशत थी। शहरी महंगाई दर भी मार्च, 2025 के 3.43 प्रतिशत से मामूली रूप से घटकर अप्रैल में 3.36 प्रतिशत रह गई। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा महंगाई दर केरल में 5.94 प्रतिशत रही, जबकि सबसे कम महंगाई दर तेलंगाना में 1.26 प्रतिशत रही।

अप्रैल में सबसे अधिक महंगाई दर वाले राज्य

राज्य औसत महंगाई दर

केरल 5.94

कर्नाटक 4.26

जम्मू-कश्मीर 4.25

पंजाब 4.09

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