Source :- NEWS18

Written by:

Last Updated:January 20, 2025, 18:21 IST

Explainer- घूमना हर किसी को पसंद है लेकिन घूमना काम करने के साथ हो जाए तो ऑफिस से छुट्टी लेने की जरूरत नहीं पड़ती. ब्लेशर ट्रैवलिंग बिजनेस और वेकेशन दोनों का कॉम्बिनेशन है जो 2-3 दिन नहीं बल्कि कई हफ्तों की होती है.

युवा कर्मचारियों के बीच ब्लेशर ट्रैवल तेजी से पॉपुलर हो रहा है (Image-Canva)

कोरोना के बाद अधिकतर लोग रिमोट पर काम करने लगे थे और वर्क फ्रॉम होम को घूमने के साथ-साथ वर्केशन यानी वर्क और वेकेशन बना दिया था. लेकिन अब ब्लेशर ट्रैवलिंग का ट्रेंड तेजी से पॉपुलर हो रहा है. इससे कंपनी और कर्मचारी दोनों को फायदा होता है. इसमें एम्प्लाई लंबे समय तक नई लोकेशन पर रहकर कंपनी के बिजनेस को बढ़ाने पर काम करता है और साथ ही उस जगह को एक्सप्लोर भी करता है.

2025 में हो रहा पॉपुलर
अब लोगों को 5 दिन या 1 हफ्ते की नहीं बल्कि 2 हफ्ते से ज्यादा की वेकेशन पसंद आ रही है. स्किफ्ट रिसर्च 2025 ट्रैवल आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार लंबी वेकेशन की डिमांड पिछले साल के मुकाबले 24% तक बढ़ी है. इस रिपोर्ट में 2025 को ‘द ईयर ऑफ लॉन्ग गेटवेज’ यानी लंबी छुट्टियों का साल बताया गया है. 

लोगों की बदल रही है पसंद
एक जमाना था जब लोग 5 दिन की वेकेशन के बाद घर लौट आते थे लेकिन ट्रैवल एक्सपर्ट अनुज वत्स कहते हैं कि अब लोग टूरिस्ट बनकर नहीं बल्कि ट्रैवलर बनकर घूमना चाहते हैं. टूरिस्ट टूर गाइड के साथ कुछ दिन बिताकर उस जगह के मुख्य स्थानों पर घूमते हैं लेकिन अब घुमक्कड़ी पसंद लोग नई जगहों को गहराई से समझना चाहते हैं. उन्हें पॉपुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर घूमना पसंद नहीं है. वह अपने हिसाब से धीरे-धीरे उस जगह को घूमते हैं. ब्लेशर ट्रैवलिंग में ट्रैवलर कुछ घंटे काम और बाकी समय घूमने में बिताते हैं.

ब्लेशर ट्रैवल में कर्मचारी काम के साथ जिंदगी को भी एंजॉय करता है (Image-Canva)

वर्कलाइफ रहती बैलेंस
अक्सर लोग वर्कलोड के चलते स्ट्रेस में रहते हैं. इस चक्कर में वह ना अपनी फैमिली को और ना खुद को समय दे पाते हैं. लेकिन ब्लेशर ट्रैवल उन्हें वर्कलाइफ बैलेंस करने का मौका देता है. इसमें काम करने के साथ ही खुद के लिए भी पूरा समय मिलता है. इस वक्त को व्यक्ति अपनी हॉबी, रिलैक्स करने में या सोना में बिता सकता है. ब्लेशर ट्रैवल दो तरह के होते हैं-बिजनेस ट्रिप्स या ग्रुप ट्रैवल. इसमें कर्मचारी अपने दोस्तों और फैमिली को भी अपने साथ लेकर जा सकता है. यानी काम के साथ फैमिली वेकेशन भी एंजॉय करने का मौका मिलता है. ग्लोबल बिजनेस ट्रैवलर असोसिएशन के अनुसार ब्लेशर ट्रैवल अधिकतर 25 से 35 साल के युवा पसंद करते हैं. उत्तरी अमेरिका में 36% ट्रैवलर ब्लेशर कर रहे हैं. जिकासो लग्जरी ट्रैवल रिपोर्ट के अनुसार 2025 में भारत के 92% लोग काम और वेकेशन को एक साथ करने की योजना बना रहे हैं, चीन में 84%, जर्मनी में 79% और यूके-यूएसए में 72% लोग ऐसा करने की प्लानिंग कर रहे हैं.

ब्लेशर ट्रैवल पैकेज दिए जा रहे
दुनिया में कई ट्रैवल एजेंसी बिजनेसमैन और कंपनियों के कर्मचारियों को ब्लेशर ट्रैवल पैकेज देकर आकर्षित कर रही हैं. उन्हें बताया जा रहा है कि इस जगह पर बिजनेस बढ़ाने के क्या-क्या फायदे हो सकते हैं. उन्हें कॉर्पोरेट डिस्काउंट के साथ साइटसीइंग ट्रैवल, फ्री ड्रिंक, ब्रेकफास्ट और ब्लेजर पार्टी के ऑफर भी दिए जा रहे हैं.

बिजनेस ट्रिप से अलग है ब्लेशर
बिजनेस ट्रिप में लोग क्लाइंट से मीटिंग करने के बाद कुछ घंटों या 1-2 दिन बाद ऑफिस लौट आते हैं लेकिन ब्लेजर में लोग काम करने के साथ लेशर यानी छुट्टी का मजा भी लेते हैं. एक्सपीडिया की स्टडी के अनुसार 60%  बिजनेस ट्रिप लेशर के चलते बढ़ाई जाती हैं. YouGov की वेबसाइट के अनुसार पिछले 2 साल में सिंगापुर, हांगकांग, ऑस्ट्रेलिया और इंडिया के 51%  कर्मचारियों ने ब्लेशर ट्रिप की और 10 में से 7 ने वर्क ट्रिप को बढ़ाकर उसे लेशर में बदल दिया. दरअसल 2020 के बाद जब कोरोना महामारी ने लोगों को अपनी चपेट में लिया तो लोगों की सोच ब्लेशर में बदली. अब लोग काम के साथ जिंदगी को भी एंजॉय करना चाहते हैं. वह नई-नई जगहों को फुरसत से घूमना चाहते हैं, वहां के लोकल लोगों की तरह रहना और खाना चाहते हैं.

स्टेटिस्टा के अनुसार 2033 तक ब्लेशर ट्रैवल 500% तक बढ़ने की उम्मीद है (Image-Canva)

कंपनी का बढ़ता है विश्वास
ब्लेशर ट्रैवलिंग के दौरान कर्मचारी काम करने के लिए किसी फिक्स ऑफिस टाइम की तरह बंधन में नहीं बंधा होता है. वह किसी भी समय काम कर सकता है. इससे कंपनी का एंप्लाई पर विश्वास भी बढ़ता है और क्वॉलिटी वर्क मिलता है.  

कर्मचारी रहते ज्यादा खुश
घूमना एक थेरेपी है. लोग अक्सर काम से ब्रेक लेने के लिए साल में 1 या 2 बार छुट्टी लेकर घूमने जाते हैं. जब माहौल बदलता है तो व्यक्ति काम की टेंशन से कुछ दिनों तक दूर रहता है. ब्लेशर ट्रैवलिंग में काम का प्रेशर भले ही रहे लेकिन प्रेशर लगता नहीं है. नई जगहें, नए लोग, नई भाषा, नया खाना व्यक्ति को फ्रेश महसूस कराता है. जो कर्मचारी ब्लेजर ट्रैवलिंग के दौरान काम करते हैं, वह ऑफिस में बैठकर काम करने वाले कर्मचारियों के मुकाबले ज्यादा खुश रहते हैं. दरअसल हमारा दिमाग नई जगहों पर ज्यादा एक्टिव होकर काम करता है क्योंकि नई लोकेशन दिमाग के लिए एक चैलेंज होती है. इस वजह से व्यक्ति तरोताजा महसूस करता है. 

homelifestyle

काम के बहाने घूमने की प्लानिंग बना 2025 का नया ट्रेंड, हफ्तों तक मिलता सुकून

और पढ़ें

SOURCE : NEWS 18