Source :- LIVE HINDUSTAN
इटली के कैथलिक चर्च ने ऐतिहासिक कदम उठाया है। वैटिकन द्वारा जारी किए गए नए नियमों के अनुसार अब समलैंगिक व्यक्ति भी पादरी बनने के लिए ट्रेनिंग ले सकते हैं। लेकिन इसके साथ ही उनको चर्च द्वारा लगाई गई एक शर्त को भी मानना होगा। चर्च की तरफ से इस बारे में कहा गया है कि होमोसैक्सुअल व्यक्ति भी पादरी बन सकता है लेकिन उसे यह स्वीकार करना होगा की वह अब तथाकथित समलैंगिक विचारों का समर्थन नहीं करता।
एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक इटली के बिशप सम्मेलन के दौरान यह नियम जारी किए गए। इसके जरिए कैथलिक चर्च ने समलैंगिक व्यक्तियों को भी पादरी बनने के अपनी सहमति दे दी है। 68 पेज की इस नियमावली में एक पूरा पेज समलैंगिक प्रवृत्ति वाले लोगों पर केंद्रित था। चर्च की तरफ से जारी दस्तावेज में कहा गया कि चर्च ऐसे व्यक्तियों का पूरी तरह से सम्मान करता है। लेकिन हम उन लोगों को चर्च या पवित्र आदेशों में स्थान नहीं दे सकते, जो अभी भी इस काम में फंसे हुए हैं या अभी भी इस तथाकथित संस्कृति का समर्थन करते हैं। सम्मेलन में कहा गया कि इस नई नियमावली को वेटिकन द्वारा मंजूरी दे दी गई है।
चर्च की तरफ से कहा गया कि भविष्य के पादरी तैयार करने के लिए हमें उनको पुराने रीति रिवाजों के अनुसार ही चुनना होगा। भावी पादरियों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य मुख्य रूप से उन्हें स्वतंत्र रहने और ब्रह्मचर्य के साथ शुद्धता से रहने की क्षमता को विकसित करना है।
वर्तमान में वेटिकन सिटी के सबसे बड़े धर्मगुरू 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान एलजीबीटीक्यू कैथलिकों को लेकर नरम दिल दिखाया है। वह ऐसे रोमन कैथोलिक चर्च की बात करते हैं जो सभी कैथोलिकों के लिए खुला हुआ हो। हालांकि आधिकारिक रूप से कैथोलिक सिद्धांत अभी भी समलैंगिकता को अपराध ही मानता है।
पोप फ्रांसिस की एलजीबीटीक्यू समुदाय के प्रति नरमदिली का सबूत उनके पद ग्रहण करने के दिन ही मिल गया था। अपने भाषण में उन्होंने कहा था कि अगर कोई व्यक्ति समलैंगिक है और वह भगवान की खोज कर रहा है। अगर उसकी इच्छाशक्ति अच्छी है तो फिर मैं उसे रोकने वाला या आंकने वाला कौन होता हूं। हालांकि जून में इटली के समाचार पत्रों ने दावा किया था कि बंद कमरों के भीतर पोप ने समलैंगिक गाली का प्रयोग किया था। इसके बाद पूरे इटली में हलचल मच गई थी। पोप ने पादरी के ट्रेनिंग कैंपों में समलैंगिक व्यक्तियों के प्रवेश को लेकर भी विरोध दर्ज कराया था।
पोप फ्रांसिस से इतर बाकी कैथोलिक ईकाईयों ने इस कदम को एक ऐतिहासिक कदम बताया। अमेरिका के कैथोलिक आउटरीच न्यू वेज मिनिस्ट्री के फ्रांसिस डेबनार्डो ने कहा कि इस नियमावली के जारी होने से चर्च की तरफ से पहले दिए जा रहे अस्पष्ट बयानों पर विराम लग गया है। इसके पहले चर्च की तरफ से कभी समलैंगिकों के समर्थन में बयान दिया जाता था तो कभी विरोध में.. इसकी वजह से काफी भय और भेदभाव की भावना पैदा होती थी।
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