Source :- Khabar Indiatv


पृथ्वी से मिलते-जुलते ग्रह की खोज

इस सवाल का जवाब खोजने में वैज्ञानिकों को अहम सफलता हाथ लगी है कि क्या पृथ्वी के अलावा भी ब्रह्मांड में कहीं और जीवन संभव है। हमारी पृथ्वी, ब्रह्मांड में एकमात्र ऐसा ग्रह है, जहां जीवन मौजूद है। लेकिन अनगिनत तारों और उनके चारों ओर चक्कर लगा रहे अरबों-खरबों ग्रहों के बीच क्या कोई और ऐसा भी ग्रह है, जहां जीवन जीना संभव है?

इस गहन खोज में वैज्ञानिकों को एक उम्मीद दिखी है। खगोलविदों ने पृथ्वी जैसे जीवन की संभावना वाले एक नए ग्रह की खोज की है, जो हमसे अपेक्षाकृत कम दूरी पर केवल 20 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। इस ग्रह को HD 20794 d नाम दिया गया है। यह ग्रह एक ऐसे तारे की परिक्रमा कर रहा है, जो हमारे सूर्य के समान है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ग्रह भी कुछ हद तक पृथ्वी से मिलता-जुलता हो सकता है। इन्हीं संभावनाओं के चलते इस ग्रह को ‘सुपर अर्थ’ की कैटेगरी में रखा गया है।

तारे के हैबिटेबल जोन में स्थित

वैज्ञानिकों के अनुसार, HD 20794 d अपने तारे की एक परिक्रमा 647 दिनों में पूरी करता है। इस ग्रह की सबसे अहम विशेषता यह है कि यह अपने तारे के ‘हैबिटेबल जोन’ में स्थित है। हैबिटेबल जोन किसी भी तारे के चारों ओर का वह क्षेत्र होता है, जहां तापमान इतना अनुकूल होता है कि ग्रह की सतह पर पानी तरल रूप में मौजूद रह सकता है। यह सर्वविदित है कि जहां पानी होता है, वहां जीवन के पनपने की संभावनाएं भी प्रबल हो जाती हैं।

HD 20794 नामक तारे का अध्ययन

स्पेन के इंस्टिटूटो डी एस्ट्रोफिसिका डी कैनारियास (IAC) और यूनिवर्सिडाड डे ला लगुना (ULL) के खगोल वैज्ञानिकों ने इस महत्वपूर्ण खोज की पुष्टि की है। वैज्ञानिक कई सालों से HD 20794 नामक तारे का गहन अध्ययन कर रहे थे। यह तारा हमारे सूर्य से थोड़ा छोटा है और इससे पहले भी इस तारे के चारों ओर दो अन्य ‘सुपर अर्थ’ ग्रहों की खोज की जा चुकी है।

तारे की परिक्रमा 647 दिनों में पूरी करता है

HD 20794 d का द्रव्यमान पृथ्वी से लगभग छह गुना अधिक है। इसकी कक्षा हमारे सौरमंडल के ग्रह मंगल की कक्षा से थोड़ी बड़ी है, क्योंकि यह अपने तारे की परिक्रमा 647 दिनों में पूरी करता है, जो मंगल के सूर्य के चारों ओर घूमने के समय से केवल 40 दिन कम है। इस ग्रह की अपने तारे से दूरी और हैबिटेबल जोन में इसकी स्थिति इसे जीवन के लिए एक संभावित आदर्श स्थान बनाती है, क्योंकि यहां का तापमान और अन्य परिस्थितियां ग्रह की सतह पर पानी को तरल अवस्था में बनाए रखने के लिए अनुकूल हो सकती हैं।

यह खोज दो दशकों के शोध का परिणाम है और इसके निष्कर्ष प्रतिष्ठित खगोल विज्ञान पत्रिका एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स में प्रकाशित किए गए हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खोज न केवल हमें पृथ्वी जैसे अन्य ग्रहों की तलाश में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगी, बल्कि हमें इन ग्रहों के वातावरण को और गहराई से समझने में भी मदद मिलेगी।

ये भी पढ़ें- 

पोलर वोर्टेक्स क्या है? जिसके टूटने से आधी दुनिया हो जाएगी सफेद तबाही की शिकार, इन देशों के लिए खतरनाक

भीषण तबाही के बीच दो हिस्सों में बंट जाएंगे ये देश, वैज्ञानिकों की चेतावनी से चौंकी दुनिया

Latest India News

SOURCE : - KHABAR INDIA NEWS