Source :- BBC INDIA
सोमवार, 13 जनवरी भारत के स्वदेशी खेलों के लिए एक ख़ास दिन होगा. इस दिन नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में खो-खो वर्ल्ड कप की शुरुआत होगी.
इस टूर्नामेंट के लिए 23 देशों के खिलाड़ी दिल्ली पहुंच रहे हैं. वर्ल्ड कप के मैच 13 जनवरी से 19 जनवरी, 2025 तक खेले जाएंगे.
इस टूर्नामेंट में पाकिस्तान की टीम भी हिस्सा लेने वाली थी, लेकिन वीज़ा से जुड़ी दिक़्क़तों के कारण ये अभी तय नहीं है कि टीम टूर्नामेंट में खेले पाएगी या नहीं.
अगर पाकिस्तान की टीम शामिल नहीं होती, तो टूर्नामेंट में पुरुषों की 20 और महिलाओं की 19 टीमें भाग लेंगी.
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भारतीय खो-खो फेडरेशन (केकेएफ़आई) के अध्यक्ष और इस वर्ल्ड कप को कराने में अहम भूमिका निभाने वाले सुधांशु मित्तल बताते हैं कि आख़िर क्यों इतनी बड़ी संख्या में इस बार देशों ने इस भारतीय खेल में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे.
वो कहते हैं, ”ये खो-खो फ़ेडरेशन की कड़ी मेहनत का नतीजा ही है कि ये खेल इतने देशों तक पहुंचा. हमने वहां कोच भेजे, संपर्क बनाए गए, संगठन खड़ा किया गया.”
मित्तल का कहना है कि हिस्सा लेने वाले देशों में खो-खो वहां के स्थानीय लोग खेल रहे हैं न कि प्रवासी.
वो कहते हैं, ”हमने इन देशों के मूल निवासियों में इस खेल के प्रति दिलचस्पी पैदा करने में कामयाबी हासिल की है. क्योंकि इस खेल में फुर्ती, गति, सहनशक्ति और रणनीति की ज़रूरत होती है. इसलिए ये खेल पसंद किया जाता है. एक मॉर्डन गेम को और रोचक बनाने में जितने भी एलिमेंट चाहिए, वो सब इसमें है.”
सलमान ख़ान ब्रांड एंबेसडर
इस खेल को ग्लैमर का तड़का 2021 में शुरू हुए ‘अल्टीमेट खो-खो’ से मिला, जो कि एक फ़्रेंचाइज़ी-बेस्ड टूर्नामेंट है.
लेकिन अब खो-खो वर्ल्ड कप की शुरुआत से इस खेल को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा और ये खेल अपनी नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकेगा.
वैसे भी इस खेल से पहले ही स्पोर्ट्स स्टार नीरज चोपड़ा और बॉलीवुड स्टार सलमान ख़ान जैसे सेलिब्रिटीज़ का नाम जुड़ चुका है. सलमान ख़ान, खो-खो वर्ल्ड कप के ब्रांड एंबेसडर हैं.
सुधांशु मित्तल चाहते हैं कि ये खेल 2030 तक एशियन गेम्स और 2032 तक ओलंपिक में शामिल हो.
वो कहते हैं ”आज हम 55 देशों में हैं, अगले साल के आख़िर तक 90 देशों में होंगे. एशियन गेम्स और ओलंपिक तक पहुंचना हमारा सपना है.”
वर्ल्ड कप पर खिलाड़ियों और कोच की क्या है राय?
महिला राष्ट्रीय खो-खो टीम की पूर्व कप्तान नसरीन शेख़, जिन्हें पिछले साल अर्जुन अवॉर्ड मिला था, वो कहती हैं कि ये वर्ल्ड कप खेल को नई पहचान देगा.
नसरीन इस बार भारतीय महिला टीम का हिस्सा हैं. टीम की कप्तानी प्रियंका इंगले के हाथ में है.
नसरीन कहती हैं, ”हम सब जानते हैं कि ये खेल हमारी मिट्टी से जुड़ा है. सुधांशु मित्तल और (सचिव) एमएस त्यागी के नेतृत्व में खो-खो फ़ेडरेशन ने इस खेल में ग्लैमर जोड़ा है. मैं इस वर्ल्ड कप के कैंप का हिस्सा रही हूं, जहां कई राज्यों के खिलाड़ी भी टीम में शामिल हैं. खेल की ट्रेनिंग अब वैज्ञानिक तरीके से हो रही है. हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत का ध्यान रखा जा रहा है. हमें सभी सुविधाएं मिली हैं.”
बता दें कि नसरीन शेख़, खो-खो की स्टार खिलाड़ियों में से एक हैं और फ़ेडरेशन उनकी ज़िंदगी पर फ़िल्म बनाने पर चर्चा कर रहा है.
उनके नेतृत्व में साउथ एशियन गेम्स और एशियन चैंपियनशिप में भारत को गोल्ड मेडल हासिल हुआ था.
महिला टीम की कोच मुन्नी जून ने खिलाड़ियों की ट्रेनिंग के बारे में जानकारी दी.
मुन्नी जून बताती हैं, ”हमने महीने भर के कैंप के दौरान सुबह स्किल्स प्रैक्टिस और शाम को मैच प्रैक्टिस कराई. इसके अलावा खिलाड़ियों को सेहतमंद आहार दिया गया, जिसमें विटामिन और ड्राई फ़्रूट्स शामिल थे. उनका पूरा फ़िटनेस टेस्ट भी कराया गया.”
मुन्नी खुद राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रह चुकी हैं और वो साउथ एशियन गेम्स और एशियन चैंपियनशिप में जीतने वाली टीम की हेड कोच भी रह चुकी हैं .
पुरुष टीम का नेतृत्व पुणे के रहने वाले प्रतीक किरण वाइकर करेंगे, जिन्हें इस खेल का महारथी माना जाता है.
प्रतीक वाइकर एक ऑलराउंडर हैं, जो ‘वज़ीर’ के तौर पर खेलते हैं, जो इस खेल में एक नई पोज़िशन है, जहां खिलाड़ी किसी भी दिशा में मूव कर सकता है.
वो कहते हैं, ”इस साल मैं इस खेल में 25 साल पूरे कर लूंगा. मैं बहुत खुश हूं कि खो-खो के लिए भी अब एक वर्ल्ड कप है. मैं अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश करूंगा.”
कितनी टीमें ले रही हिस्सा, कौन है चुनौती?
पुरुष टीम के कोच अश्विनी कुमार नेपाल और इंग्लैंड की टीम को सबसे बड़ी चुनौती बताते हैं
उन्होंने कहा “ये दोनों टीमें काफ़ी मज़बूत हैं, ख़ासकर नेपाल.”
अश्विनी कुमार का मानना है कि भारत इस टूर्नामेंट का फ़ेवरेट है.
वो कहते हैं, ”खो-खो हमारा स्वदेशी खेल है. ये हमारा मुख्य खेल है. दूसरे देशों ने इसे खेलना अभी शुरू किया है, इसलिए हम उनसे थोड़े आगे हैं, वर्ल्ड कप में हम देखेंगे कि हम कहां खड़े हैं.”
सुधांशु मित्तल के अनुसार, अमेरिका, अर्जेंटीना, ब्राजील, पेरू, साउथ अफ्रीका, घाना, केन्या, युगांडा, जर्मनी, नीदरलैंड, पोलैंड, इंग्लैंड, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, मलेशिया, इंडोनेशिया, ईरान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका इस टूर्नामेंट में अपनी टीमों को उतार रहे हैं.
खो-खो फ़ेडरेशन ऑफ इंडिया (केकेएफ़आई ) के एक बयान के मुताबिक़, “पहले से पहुंची टीमों के लिए ट्रेनिंग सेशन चल रहे हैं. स्टेडियम परिसर में ख़ासतौर से तैयार किए गए कोर्ट्स पर अभ्यास के दौरान का काफी हलचल देखी जा रही है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित
SOURCE : BBC NEWS