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नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आज सोमवार (23 दिसंबर) को अपनी बहुचर्चित ‘महिला सम्मान योजना’ का पहला रजिस्ट्रेशन किया। इस योजना के प्रचार और रजिस्ट्रेशन अभियान की शुरुआत उन्होंने खुद नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र के किदवई नगर इलाके से की। केजरीवाल ने एक घर में जाकर महिलाओं का रजिस्ट्रेशन किया और इस दौरान महिलाओं से वोटर आईडी कार्ड मांगे।
दिल्ली की बहनें अपने भाई केजरीवाल की ‘महिला सम्मान योजना’ के Registrations के शुरू होने से हैं बेहद खुश ????#KejriwalMahilaSammanYojna pic.twitter.com/ovH7WgnlTb
— AAP (@AamAadmiParty) December 23, 2024
AAP सुप्रीमो ने बताया कि इस योजना का लाभ केवल दिल्ली के वोटर बनने वाली महिलाओं को मिलेगा। उन्होंने महिलाओं को रजिस्ट्रेशन के लिए दिए गए नंबर पर मिस कॉल करने का निर्देश दिया, जिसके बाद उनके मोबाइल पर रजिस्ट्रेशन कोड का एक एसएमएस भेजा गया। रजिस्ट्रेशन के बाद केजरीवाल ने महिलाओं से पूछा कि क्या वे आम आदमी पार्टी की योजनाओं से संतुष्ट हैं। इसके बाद केजरीवाल ने घर की दीवार पर पार्टी का स्टीकर लगाने की अनुमति मांगी और स्वीकृति मिलने के बाद स्टीकर चिपका दिया।
अरविंद केजरीवाल का दावा है कि ‘महिला सम्मान योजना’ के तहत दिल्ली में लगभग 35 से 40 लाख महिलाओं को फायदा मिलेगा। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि ‘संजीवनी योजना’ के तहत 10 से 15 लाख बुजुर्गों को भी इसका लाभ देने की योजना है। इस योजना के प्रचार के लिए मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना और दिल्ली सरकार के कई मंत्री व AAP के बड़े नेता अलग-अलग इलाकों में जाकर घर-घर रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं।
केजरीवाल ने यह भी कहा कि किसी को इस योजना के लिए लाइन में लगने की जरूरत नहीं है। पार्टी के कार्यकर्ता खुद घर-घर जाकर रजिस्ट्रेशन करेंगे और महिलाओं व बुजुर्गों को गारंटी कार्ड मुहैया कराएंगे। हालांकि, इस योजना को लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं। दरअसल, कुछ समय पहले खबर आई थी कि ‘महिला सम्मान योजना’ को लागू होने में, यानी महिलाओं के खाते में पैसा पहुँचने में कम से कम 3 से 4 महीने का समय लग सकता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि प्रक्रिया पूरी करने और लाभ पहुंचाने के लिए सरकार को अलग से फंड का इंतजाम करना होगा। लेकिन मौजूदा समय में दिल्ली सरकार के पास फंड की कमी बताई जा रही है।
इस योजना को दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले लागू करना लगभग असंभव बताया जा रहा है। यदि आम आदमी पार्टी सत्ता में वापस नहीं आई, तो इस योजना का भविष्य अधर में लटक सकता है। अन्य दलों द्वारा इसे लागू करने की कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में यह योजना एक ‘ब्लाइंड गेम’ की तरह नजर आ रही है। 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद अरविंद केजरीवाल अब जाकर महिलाओं के सम्मान की बात कर रहे हैं, लेकिन चुनाव से पहले एक भी किश्त जारी करना संभव नहीं दिखता।
चुनाव के बाद अगर सरकार इस योजना को लागू करने से मुकर भी जाए, तो कोई ऐसा कानूनी प्रावधान नहीं है, जिसके तहत सरकार पर वादाखिलाफी का मामला दर्ज किया जा सके। ऐसे में सवाल यह है कि क्या यह योजना महज एक चुनावी गिमिक बनकर रह जाएगी या महिलाओं के सम्मान की दिशा में कोई ठोस कदम उठाया जाएगा?
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