Source :- NEWS18
Last Updated:January 20, 2025, 17:54 IST
Hidden Fat leads to Heart Attack: एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि चाहे शरीर में दिखे या न दिखे लेकिन अगर कहीं छिपी हुई चर्बी है तो इससे हार्ट अटैक का जोखिम ज्यादा है. इससे समय से पहले मौत का खतरा ज्यादा…और पढ़ें
Hidden Fat leads to Heart Attack: चाहे किसी का वजन बढ़ा हो या न बढ़ा हो, चाहे यह दिखे या न दिखें, अगर शरीर में कहीं भी छिपी हई चर्बी जमा हो तो यह एक दिन हार्ट अटैक से मौत का कारण बन सकता है. यह बात एक रिसर्च में सामने आई है. रिसर्च के मुताबिक शरीर के किसी भाग में चर्बी में बहुत ज्यादा कसाव जैसे कुछ जानवरों में होता है, अगर कहीं है तो यह बहुत नुकसानदेह है. एक्सपर्ट ने स्टडी में पाया है कि भले ही यह जानवरों के लिए सही हो सकता है लेकिन अगर किसी इंसान में ऐसा है तो यह इंफ्लामेशन को बढ़ा सकता है और इससे इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या भी बढ़ सकती है. इन सबका परिणाम यह होगा कि इससे ब्लड वैसल्स एक दिन डैमेज हो जाएगा और यही एक दिन हार्ट अटैक का कारण बन सकता है.
मोटापे से कोई लेना देना नहीं
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने बताया कि केवल BMI या कमर की परिधि को मापना हार्ट की समस्याओं के जोखिम का आकलन करने के लिए पर्याप्त नहीं है. इसके लिए यह भी देखना होगा कि चर्बी कहीं छिपी तो नहीं है. इस स्टडी के लिए ब्रिगम और महिला अस्पताल बोस्टन की एक टीम ने 669 लोगों के डेटा का विश्लेषण किया. ये लोग छाती में दर्द या सांस की तकलीफ के लिए जांच करवा रहे थे. शोधकर्ताओं ने इन लोगों के हार्ट का सीटी स्कैन किया और इसके साथ ही शरीर के उपरी भागों की मांसपेशियों में जमा फैट का भी विश्लेषण किया. मांसपेशियों में वसा की मात्रा निर्धारित करने के लिए टीम ने इंटरमस्कुलर फैट और टोटल मसल्स और फैट के अनुपात का उपयोग करके एक माप निकाला जिसे उन्होंने फैटी मसल फ्रैक्शन कहा. शोधकर्ताओं ने इन लोगों के 6 साल के हेल्थ डेटा का विश्लेषण किया जिसमें यह देखा कि इन लोगों में कितने लोगों को हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई और कितने को इस कारण अस्पतल में भर्ती कराया गया. शोध में पता चला कि जिन लोगों के मांसपेशियों में फैट अधिक था, उनके हार्ट की छोटी रक्त वाहिकाओं के क्षतिग्रस्त होने का जोखिम ज्यादा था. इन लोगों में हार्ट अटैक के कारण मरने का जोखिम भी ज्यादा था.
फैटी मसल फ्रैक्शन से चलेगा काम
अध्ययन में पाया गया कि फैटी मसल फ्रैक्शन के अनुपात में 1 प्रतिशत की वृद्धि होने पर ब्लड वैसल्स के नुकसान होने का जोखिम 2 प्रतिशत तक बढ़ गया. इस कारण हार्ट डिजीज का खतरा भी 7 प्रतिशत तक बढ़ गया. इसका बीएमआई से कोई मतलब नहीं था. स्टडी के लेखक प्रोफेसर विवियानाय ताक्वेटी ने बताया कि मांसपेशियों में फैट का जमा होना सूजन और इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ा सकता है. इसके परिणामस्वरूप हार्ट को खून पहुंचाने वाली धमनियों को नुकसान हो सकता है. जिन लोगों को पहले से यह खतरा ज्यादा है, उन्हें इसका खतरा सबसे ज्यादा होगा. प्रो. विवियानाय ताक्वेटी ने बताया कि जिन लोगों को पहले से हार्ट अटैक का जोखिम है अगर उन लोगों को फैटी मसल्स फ्रैक्शन के अनुपात से पता लगा लिया जाए तो यह हार्ट अटैक के जोखिम को बहुत हद तक कम कर सकता है. उन्होंने कहा कि मोटापा दुनिया का सबसे बड़ा वैश्विक खतरा है. इसके बावजूद बीएमआई बहुत सी अचानक आने वाली बीमारियों का सटीक अनुमान नहीं है. इस लिहाज से फैटी मसल फ्रैक्शन बहुत महत्वपूर्ण है.
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January 20, 2025, 17:54 IST
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