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अमेरिका ने भारत की ट्रैवल एजेंसियों और एजेंटों पर अवैध आप्रवासन (इमिग्रेशन) को बढ़ावा देने के आरोप में वीज़ा प्रतिबंध लगाए हैं.
अमेरिका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस की तरफ़ से जारी बयान में कहा गया, “अमेरिकी आप्रवासन क़ानूनों और नीतियों को लागू करने, क़ानून के शासन को बनाए रखने और अमेरीकियों की सुरक्षा के लिए यह महत्वपूर्ण है.”
हालांकि अमेरिका की तरफ़ से वीज़ा प्रतिबंधों से प्रभावित लोगों से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दी गई है. न ही किसी ट्रैवल एजेंट का नाम और न ही किसी ट्रैवल एजेंसी का ज़िक्र किया गया है.
इस साल फरवरी में अमेरिका ने कुछ भारतीयों को ‘अवैध प्रवासी’ बताते हुए एक विमान से वापस भेजा था. इन लोगों की हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां लगी हुई तस्वीरें सामने आई थीं.
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भारत ने आधिकारिक तौर पर अमेरिका के इस फ़ैसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
लेकिन सवाल यह है कि भारत से अमेरिका जाने की चाह रखने वाले लोगों पर इस फ़ैसले का क्या असर होगा?
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने और क्या कहा?

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सोमवार को प्रतिबंध के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज़ जारी की.
प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, “विदेश मंत्रालय भारत में मौजूद ट्रैवल एजेंसियों के मालिकों और वरिष्ठ अधिकारियों पर वीज़ा प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठा रहा है, क्योंकि वे जानबूझकर संयुक्त राज्य अमेरिका में अवैध आप्रवासन को बढ़ावा दे रहे हैं. मिशन इंडिया की काउंसलर मामले और राजनयिक सुरक्षा सेवा हमारे दूतावास और वाणिज्य दूतावासों में हर दिन काम करती है ताकि अवैध आप्रवासन और मानव तस्करी में शामिल लोगों की सक्रिय रूप से पहचान की जा सके.”
हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि ट्रैवल एजेंटों ने अवैध प्रवास के रास्ते को किस तरह से आसान बनाया है.
बयान में कहा गया है कि विदेशी तस्करी नेटवर्क को ख़त्म करने के लिए ट्रैवल एजेंसियों के ख़िलाफ़ इस तरह के क़दम उठाए जाते रहेंगे.
विदेश मंत्रालय ने बताया है कि ये कार्रवाई आप्रवासन और राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 212(ए)(3)(सी) के अनुसार की जाती है.
नई दिल्ली में मौजूद अमेरिकी दूतावास ने कई बार कहा है, ”अमेरिका आने वाले भारतीय नागरिकों को चेतावनी दी जाती है कि वे देश में अपने तय प्रवास के समय से ज़्यादा न रुकें. ऐसा करने पर उन्हें निर्वासित कर दिया जाएगा और देश में प्रवेश पर स्थायी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.”
फ़ैसले का क्या होगा असर?

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इस साल जनवरी में राष्ट्रपति का पद संभालने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव अभियान के दौरान अवैध प्रवासियों को लेकर सख़्त नीति अपनाने का वादा किया था.
सत्ता में आते ही ट्रंप इस वादे पर अमल करते हुए दिखाई दिए और कई देशों के नागरिकों को अवैध प्रवासी बताते हुए उन्हें वापस उनके देश भेज दिया.
अब ट्रंप प्रशासन के इस फ़ैसले को अमेरिका की अवैध प्रवासी वाली नीति से जोड़कर देखा जा रहा है.
बीबीसी से बातचीत में पारस लाखिया डोनाल्ड ट्रंप के फ़ैसले पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे अनिश्चितता से भरा बताते हैं.
पारस लाखिया कहते हैं, “अधिकांश भारतीयों के परिजन, दोस्त और रिश्तेदार अमेरिका में रहते हैं. इसलिए अमेरिका भारत से जाने वाले लोगों के लिए प्रमुख देशों में से एक है. ऐसे प्रतिबंध जो वास्तव में स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किए गए हैं, बहुत अधिक अस्पष्टता पैदा कर सकते हैं और यात्रियों को प्रभावित कर सकते हैं.”
राष्ट्रपति ट्रंप के शपथ ग्रहण के दो हफ़्ते बाद 104 ‘अवैध भारतीय प्रवासियों ‘ को लेकर एक विमान अमृतसर में उतरा था. इस पर उस समय भारत में जमकर राजनीति हुई थी. बताया गया था कि इस यात्रा के दौरान भारतीयों को बेड़ियों में जकड़ा गया था.
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़, फरवरी में तीन सैन्य विमानों से 333 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से भारत लाया गया था.
भारत में अमेरिकी दूतावास के अनुसार, 2024 के पहले 11 महीनों में 20 लाख से अधिक भारतीय अमेरिका गए, जो 2023 की तुलना में 26 फ़ीसदी की वृद्धि दिखाता है.
हालांकि, ये लोग पर्यटन, व्यवसाय, और शिक्षा जैसे गैर-आप्रवासी वीजा पर गए थे न कि स्थायी निवास के लिए.

साल 2024 में, 3 लाख 31 हज़ार से अधिक भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ाई के लिए गए, जो 2008-09 के बाद से सबसे अधिक है.
अब क्या अमेरिका की यात्रा करने को लेकर यात्रियों में झिझक बढ़ रही है और ट्रैवल एजेंट ग्राहकों को कैसे समझा रहे हैं?
पारस लाखिया का कहना है, “निश्चित रूप से मौजूदा समय में झिझक और भ्रम की स्थिति है. ऐसे किसी भी बदलाव के बारे में अमेरिका के स्थानीय कार्यालयों द्वारा भी स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए. इससे ट्रैवल कंपनियों को इसे बेहतर ढंग से समझने और यात्रियों तक सही जानकारी पहुंचाने में मदद मिलेगी. मुझे लगता है कि इसका मूल उद्देश्य अवैध आप्रवासियों, ओवरस्टे को नियंत्रित करना और 30 दिनों से अधिक समय तक रहने वाले सभी गैर-अमेरिकी नागरिकों का पूरा रिकॉर्ड प्राप्त करना है.”
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SOURCE : BBC NEWS