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अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के शेयर आज गुरुवार को 3.5% चढ़कर 286 रुपये पर पहुंच गए थे।

Reliance Infrastructure Ltd: अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के शेयर आज गुरुवार को 3.5% चढ़कर 286 रुपये पर पहुंच गए थे। अब कल शुकव्रार को भी यह शेयर फोकस में रह सकता है। दरअसल, कंपनी ने एक डिफेंस संबंधित डील की जानकारी दी है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड द्वारा प्रमोटेड रिलायंस डिफेंस लिमिटेड (रिलायंस डिफेंस) और जर्मनी के डसेलडोर्फ स्थित राइनमेटल एजी (Rheinmetall AG) ने गोला-बारूद के सेक्टर में स्ट्रैटेजिक साझेदारी की है। डील के एक समझौते पर अब दोनों कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए हैं। बता दें कि राइनमेटल एजी एक जर्मन ऑटोमोटिव और हथियार बनाने वाली कंपनी है। इसका हेडक्वार्टर जर्मनी के डसेलडोर्फ में स्थित है।
जानिए, डील की डिटेल
बता दें कि यह रिलायंस डिफेंस के लिए तीसरी बड़ी डील है, जो डसॉल्ट एविएशन और फ्रांस के थेल्स समूह के साथ अपने सफल रणनीतिक गठजोड़ के बाद हुई है। डील के तहत, रिलायंस द्वारा राइनमेटल को बड़े कैलिबर गोला-बारूद के लिए विस्फोटक और प्रणोदक की सप्लाई शामिल है। इसके अलावा दोनों कंपनियां सेलेक्टेड प्रोडक्ट्स के लिए ज्वाइंड मार्केटिंग एक्टिविटिज में शामिल होंगी और ये कंपनियां भविष्य के अवसरों के आधार पर अपने सहयोग को और बढ़ाने का लक्ष्य बना रही हैं। रणनीतिक साझेदारी भारत सरकार की प्रमुख ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहलों के साथ भारत की डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को मजबूत करेगी। यह भारत को दुनिया के प्रमुख रक्षा निर्यातकों में स्थान दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाती है।
ग्रीनफील्ड मैन्युफैक्चरिंग सुविधा स्थापित कर रही कंपनी
कंपनी ने कहा है कि रिलायंस डिफेंस लिमिटेड महाराष्ट्र के रत्नागिरी के वटद औद्योगिक क्षेत्र में एक ग्रीनफील्ड मैन्युफैक्चरिंग सुविधा स्थापित करेगी। दक्षिण एशिया में सबसे बड़ी विनिर्माण सुविधाओं में से एक, इसकी सालाना क्षमता 200,000 तोप के गोले, 10,000 टन विस्फोटक और 2,000 टन प्रोपेलेंट बनाने की होगी। यह नई सुविधा रिलायंस डिफेंस को देश के टॉप तीन रक्षा निर्यातकों में शामिल होने के अपने उद्देश्य को आगे बढ़ाने में मदद करेगी। रक्षा विनिर्माण परिसर 2029 तक भारत के 50,000 करोड़ रुपये के महत्वाकांक्षी रक्षा निर्यात लक्ष्य का समर्थन करने में योगदान देगा।
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