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Dollar Vs Rupee: सप्ताह के पहले दिन शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 27 पैसे गिरकर 86.31 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। यह नया ऑल टाइम लो है। यह लगातार दूसरे कारोबारी सेशन में गिरावट का संकेत है। रसातल में जा रहे रुपये से आप की जेब पर क्या असर पड़ सकता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक खाद्य तेल और दलहन का बड़ी मात्रा में भारत आयात करता है। रुपये के मुकाबले डॉलर महंगा होने से तेल और दाल के लिए अधिक खर्च करने पड़ेंगे। इसका असर इनकी कीमतों पर होगा। इनके महंगा होने से आपके किचन का बजट बिगड़ सकता है। विदेश में पढ़ाई, यात्रा, दलहन, खाद्य तेल, कच्चा तेल, कंप्यूटर, लैपटॉप, सोना, दवा, रसायन, उर्वरक और भारी मशीन जिसका आयात किया जाता है वह महंगे हो सकते हैं।

क्यों आई रुपये में गिरावट

यह गिरावट मुख्य रूप से मजबूत अमेरिकी डॉलर और अस्थिर वैश्विक बाजार स्थितियों के कारण हुई। कच्चे तेल की कीमतों में उछाल, लगातार विदेशी पूंजी का बाहर जाना और घरेलू इक्विटी बाजारों में नकारात्मक रुझान ने भी रुपये पर दबाव बढ़ाया। अमेरिका में उम्मीद से बेहतर रोजगार वृद्धि से डॉलर की मजबूती को बल मिला। इस वृद्धि के कारण बेंचमार्क अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी हुई। इस उम्मीद के बीच कि फेडरल रिजर्व अपनी ब्याज दरों में कटौती को धीमा कर सकता है।

करेंसी एक्सचेंज मार्केट में रुपया 86.12 पर खुला, लेकिन शुरुआती कारोबार में ही 86.31 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया। शुक्रवार को 86.04 के बंद भाव से 27 पैसे की गिरावट दर्ज की गई।

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गिरता रुपया कहां-कहां करेगा चोट

कच्चा तेल पर असर: इस क्षेत्र को रुपये की कमजोरी से सबसे ज्यादा नुकसान होता है, क्योंकि यह आयात किया जाता है। कच्चे तेल का आयात बिल में बढ़ोतरी होगी और विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च करना होगा।

कैपिटल गुड्स और इलेक्ट्रॉनिक सामान: रुपया कमजोर हो तो कैपिटल गुड्स के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र को भी नुकसान , क्योंकि समहंगे इलेक्ट्रॉनिक गु्ड्स आयात किए जा सकेंगे।

फर्टिलाइजर की कीमत बढ़ेगी: भारत बड़ी मात्रा में जरूरी उर्वरकों और रसायन का आयात करता है। रुपये की कमजोरी से यह भी महंगा होगा।

जेम्स एंड ज्वैलरी : रुपये की कमजोरी का नकारात्मक असर जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर पर दिखाई देगा। इससे यह महंगा होगा और आयात पर भी इसका असर आएगा।

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