Source :- LIVE HINDUSTAN
गोल्डन डोम का मकसद एक सैटेलाइट आधारित नेटवर्क तैयार करना है, जो मिसाइल की पहचान कर सके, उन्हें ट्रैक कर सके और बीच में ही रोक सके।

इजरायल की तरह ही अमेरिका भी मिसाइल अटैक से बचने डोम बनाने की तैयारी कर रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘गोल्डन डोम’ का ऐलान किया है, जो विदेशी खतरों से अमेरिका की रक्षा करेगा। हालांकि, कहा जा रहा है कि इजरायल के आयरन डोम की तुलना में अमेरिका का यह प्रोजेक्ट काफी महंगा साबित होने वाला है। खबर है कि इस प्रोजेक्ट में अमेरिका की मदद के लिए कनाडा ने भी दिलचस्पी दिखाई है।
क्या है गोल्डन डोम
ट्रंप ने मंगलवार को गोल्डन डोम पहल का ऐलान किया है। उन्होंने बताया है कि यह बिल कांग्रेस में है, जिसके जरिए 25 बिलियन डॉलर के आवंटन का प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि प्रोजेक्ट में लगभग 175 बिलियन डॉलर का खर्च आ सकता है। उन्होंने कहा, ‘गोल्डन डोम मेरे कार्यकाल के अंत तक शुरू हो जाना चाहिए।’ उन्होंने यह भी कहा कि गोल्डन डोम में शामिल सभी चीजें अमेरिका में ही तैयार होंगी।
गोल्डन डोम का मकसद एक सैटेलाइट आधारित नेटवर्क तैयार करना है, जो मिसाइल की पहचान कर सके, उन्हें ट्रैक कर सके और बीच में ही रोक सके। साथ ही सिस्टम में सैकड़ों सैटेलाइट्स भी शामिल होंगी। गोल्डन डोम में निगरानी करने वाली सैटेलाइट्स का एक बड़ा नेटवर्क होगा। साथ ही इनमें स्ट्राइक सैटेलाइट्स भी होंगी, जो दुश्मन की मिसाइल के लॉन्च होने के तुरंत बाद हरकत में आ जाएंगी।
कनाडा को दिलचस्पी
ट्रंप ने यह भी कहा है कि कनाडा गोल्डन डोम प्रोजेक्ट में शामिल होने में दिलचस्पी दिखा रहा है। साथ ही कहा कि अमेरिका अपने पड़ोसी के इन प्रयासों का समर्थन करता है। उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने चुनाव अभियान में अमेरिका की जनता से वादा किया था कि मैं मिसाइल डिफेंस शील्ड बनाऊंगा।’ उन्होंने कहा, ‘आज मुझे यह ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि हमने आधिकारिक तौर पर इस स्टेट ऑफ आर्ट सिस्टम के लिए आर्किटेक्चर का चयन कर लिया है।’
ट्रंप ने ऐलान किया है कि इस प्रोजेक्ट का काम स्पेस ऑपरेशन्स के मौजूदा उप प्रमुख माइकल गिटलीन देखेंगे। उन्होंने यह भी दावा किया है कि सैन्य अधिकारियों को गोल्डन डोम का विचार पसंद आया है।
SOURCE : LIVE HINDUSTAN