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गोल्डन डोम मिसाइल रक्षा प्रणाली अमेरिका द्वारा विकसित की जा रही नेक्स्ट जनरेशन मिसाइल डिफेंस टेक्नोलॉजी है। यह हवा, आकाश और अंतरिक्ष से होने वाले किसी भी प्रकार के हमले का पता लगा सकता है और उसे ट्रैक कर निष्क्रिय कर सकता है।

Golden Dome USA vs China: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धरती से अंतरिक्ष तक सुरक्षा कवच वाली अपनी भावी ‘गोल्डन डोम’ मिसाइल रक्षा प्रणाली की एक अवधारणा की घोषणा की है। यह एक बहुस्तरीय सुरक्षा प्रणाली होगी, जिस पर 175 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत आएगी। यह प्रणाली पहली बार अमेरिकी हथियारों को अंतरिक्ष में भी ले जाएगी। ट्रंप ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि यह प्रणाली उनके कार्यकाल के अंत से पहले पूरी तरह से चालू हो जाएगी। ट्रंप का कार्यकाल 2029 तक है। इस प्रणाली में मिसाइलों को रोकने की क्षमता होगी, भले ही उन्हें अंतरिक्ष से ही क्यों न प्रक्षेपित किया गया हो।

अमेरिका का मुख्य प्रतिद्वंद्वी चीन ट्रंप की इस योजना से बौखला गया है। चीन ने कहा है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रस्तावित “गोल्डन डोम” मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली से बहुत चिंतित है। इसके साथ ही चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति से इस परियोजना को छोड़ने का आग्रह किया है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बुधवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “यह मिसाइल रक्षा प्रणाली अत्यधिक आक्रामक है और बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग के सिद्धांत का उल्लंघन करती है।”

बाहरी अंतरिक्ष युद्ध का मैदान बन जाएगा: चीन

चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि इससे बाहरी अंतरिक्ष युद्ध का मैदान में बदल जाएगा और इससे हथियारों की दौड़ शुरू होने का जोखिम बढ़ जाएगा। माओ निंग ने ये भी कहा कि इस अवधारणा से अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और हथियार नियंत्रण प्रणाली हिल जाएगी। माओ निंग ने कहा, “अमेरिका, खुद को पहले रखकर और पूर्ण सुरक्षा के लिए जुनूनी होकर, सभी के लिए सुरक्षा के सिद्धांत का उल्लंघन कर रहा है। उसका यह कदम वैश्विक रणनीतिक संतुलन और स्थिरता को कमजोर करता है।”

गोल्डन डोम परिकल्पना छोड़ दे अमेरिका: चीनी विदेश मंत्रालय

माओ निंग ने कहा, “हम अमेरिका से आग्रह करते हैं कि वह वैश्विक एंटी-मिसाइल सिस्टम को जल्द से जल्द विकसित और तैनात करने की परिकल्पना छोड़ दे और प्रमुख देशों के बीच रणनीतिक आपसी विश्वास को बढ़ाने और वैश्विक रणनीतिक स्थिरता की रक्षा करने के लिए ठोस कदम उठाए।” दरअसल, अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने लगातार चेतावनी दी है कि चीन और रूस जैसे देश उन्नत मिसाइल तकनीक विकसित कर रहे हैं जो मौजूदा अमेरिकी रक्षा प्रणाली से आगे निकल गई हैं। इसीलिए ट्रंप ने गोल्डन डोम जैसी मिसाइल रक्षा प्रणाली की अवधारणा को आगे बढ़ाया है ताकि उस अंतर को पाटा जा सके।

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पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का “स्टार वार्स” कार्यक्रम है गोल्डन डोम

विशेषज्ञ बता रहे हैं कि ट्रंप की यह अवधारणा पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के “स्टार वार्स” कार्यक्रम पर आधारित है, जिसे आधिकारिक तौर पर सामरिक रक्षा पहल (Strategic Defense Initiative- SDI) के रूप में जाना जाता है। यह एक प्रस्तावित मिसाइल रक्षा प्रणाली थी, जिसकी घोषणा 1983 में शीत युद्ध के दौरान की गई थी। इस पहल का उद्देश्य संयुक्त राज्य अमेरिका को विशेष रूप से सोवियत संघ के परमाणु मिसाइल हमलों से बचाना था। इसके तहत लेजर और उपग्रह-माउंटेड इंटरसेप्टर जैसी अंतरिक्ष-आधारित तकनीकों का उपयोग कर दूसरे देशों से आने वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों का पता लगाने और उन्हें अमेरिकी धरती पर पहुंचने से पहले नष्ट करना था।

हालांकि, इस विचार ने लोगों की कल्पना को तब भी आकर्षित किया था लेकिन इससे वैश्विक स्तर पर हथियारों की होड़ की एक बहस शुरू हो गई। इसके अलावा उस समय तकनीकी रूप से यह अवधारणा अव्यवहारिक और अत्यधिक महंगी लग रही थी, इसलिए रीगन के SDI पहल को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था। अब ट्रंप ने कहा है कि वह 40 साल पहले राष्ट्रपति रीगन द्वारा शुरू किए गए काम को पूरा करेंगे, जिससे मातृभूमि को हमेशा के लिए मिसाइल के खतरों से आजादी मिल जाएगी।

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