Source :- BBC INDIA
2 घंटे पहले
ताइवान को मिले नए अमेरिकी सैन्य मदद पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. चीन ने इसे अमेरिका के ‘वन चाइना’ सिद्धांत के ख़िलाफ़ बताया है और चेतावनी दी है कि अमेरिका आग से खेल रहा है.
इस मामले में चीनी विदेश मंत्रालय और ताइवान के मामलों से जुड़े कार्यालय ने ताइवान को अमेरिकी मदद पर प्रतिक्रिया दी है.
अमेरिका ने शुक्रवार को ताइवान को 57.13 करोड़ डॉलर की नई सैन्य सहायता देने की घोषणा की थी और ताइवान को 29.5 करोड़ डॉलर के हथियारों की बिक्री को भी मंज़ूरी दी है.
इस पर रविवार को चीनी विदेश मंत्रालय और स्टेट काउंसिल के ताइवान मामलों के कार्यालय ने अमेरिका की आलोचना की है. चीन के रक्षा मंत्रालय ने भी ताइवान को हथियारों की बिक्री और आर्थिक मदद की निंदा की है.
चीन के सैन्य सुरक्षा के प्रसार पर अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट पेश की गई थी. इसके जवाब में शनिवार को ताइवान के मामले में चीन ने अमेरिकी कदम की आलोचना की है.
चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक़ चीनी स्टेट काउंसिल के ताइवान मामलों के कार्यालय के प्रवक्ता ज़ू फेंगलियान ने रविवार को कहा कि चीन अमेरिका के ताइवान को किसी भी रूप में हथियार देने पूरी तरह विरोध करता है.
हालांकि ये पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने ताइवान को हथियार बेचे हैं. अमेरिका पहले भी ताइवान को हथियार देता रहा है.
काउंसिल फ़ॉर फॉरेन रीलेशन्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार साल 1950 से लेकर 2022 के बीच ताइवान उन पांच देशों में से एक है, जिन्हें अमेरिका से सबसे अधिक हथियार दिए.
इस लिस्ट में सबसे पहले सऊदी अरब का नाम है, जिसके बाद चौथे नंबर पर ताइवान का नाम है. दूसरे और तीसरे स्थान पर इसराइल और जापान हैं.
चीन की अमेरिका को चेतावनी
चीनी स्टेट काउंसिल के ताइवान मामलों के कार्यालय का कहना है कि यह मामला स्पष्ट है. अमेरिका का कदम ‘वन चाइना’ सिद्धांत और चीन-अमेरिका के बीच हुए तीन समझौतों, ख़ास तौर पर 17 अगस्त 1982 के समझौते का गंभीर उल्लंघन है.
स्टेट काउंसिल के प्रवक्ता ज़ू फेंगलियान ने कहा, “ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करने की अमेरिकी नेताओं की गंभीर प्रतिबद्धता का यह उल्लंघन है. यह “ताइवान की स्वतंत्रता” चाहने वाले अलगाववादी ताकतों को गंभीर रूप से ग़लत संदेश देता है.”
“आज़ाद ताइवान” के लिए अलगाववादी गतिविधियाँ और बाहरी हस्तक्षेप ताइवान जलडमरूमध्य में शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं. हम मांग करते हैं कि अमेरिका तुरंत ताइवान को हथियार देना बंद करे और ताइवान के मुद्दे को अत्यंत समझदारी से देखे. हम (ताइवान की) डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के लोगों को चेतावनी देते हैं कि आज़ादी की तलाश के लिए अमेरिका पर निर्भर रहना और सैन्य उपकरणों का इस्तेमाल करना ख़ुद के विनाश का रास्ता है.”
ज़ू फेंगलियान ने कहा, “हम राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की दृढ़ता से रक्षा करने के लिए ठोस और मज़बूत कदम उठाएंगे.”
अमेरिकी मदद और चीन की ‘लाल रेखा’
वहीं चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने रविवार को कहा कि चीन इसकी कड़ी निंदा करता है और इसका कड़ा विरोध करता है. चीन ने अमेरिका के सामने तुरंत अपना विरोध दर्ज कराया है.
उन्होंने कहा है कि ताइवान का सवाल चीन के मूल हितों के केंद्र में है और यह पहली लाल रेखा है जिसे चीन-अमेरिका संबंधों में पार नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, “ताइवान को हथियार देकर “ताइवान की आज़ादी” में मदद करना आग से खेलने जैसा है और इससे अमेरिका जल जाएगा. चीन को नियंत्रित करने के लिए ताइवान का इस्तेमाल करने का मतलब, असफल होना निश्चित है.”
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ताइवान के लिए 57.13 करोड़ डॉलर की रक्षा सहायता को मंजूरी दी है और अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि भी की है.
इसके अलावा अमेरिकी रक्षा विभाग ने शुक्रवार को कहा कि ताइवान को 29.5 करोड़ डॉलर की सैन्य साजोसामान की बिक्री को मंजूरी दी गई है.
चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ज़ांग शियाओगांग ने शनिवार को चीन के सैन्य और सुरक्षा विकास पर पेंटागन की रिपोर्ट के जवाब में कहा कि चीनी लोग राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस मामले पर लिखा है कि चीन ने ताइवन के मसले को ‘लाल रेखा’ कहा है और ताइवान को अमेरिकी सैन्य मदद की कड़ी आलोचना की है.
रॉयटर्स ने चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का बयान छापा है जिसमें कहा गया है, “चीन अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बचाने के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाएगा.”
ताइवान पर चीन का दावा
रॉयटर्स ने लिखा है कि चीन लोकतांत्रिक तरीके से चल रहे ताइवान को अपना क्षेत्र बताता है, जबकि चीन के इस दावे को ताइवान सरकार ख़ारिज करती रही है.
वहीं अमेरिका को लेकर चीन की नाराज़गी पर एसोसिएटेड प्रेस ने लिखा, “रविवार को चीनी सरकार ने ताइवान को दिए गए अमेरिकी मदद का विरोध किया है और उसने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वो ‘आग से खेल रहा’ है.”
एपी के मुताबिक़ 2 करोड़ से ज़्यादा आबादी वाले लोकतांत्रिक द्वीप ताइवान पर चीन अपना दावा करता है, और उसे अपने अधीन लाना चाहता है. अमेरिकी मदद और हथियारों की बिक्री का मक़सद ताइवान को अपनी सुरक्षा मज़बूत करना और चीन के आक्रमण को रोकना है.
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी से मिली इन दोनों मंज़ूरियों का स्वागत किया है. मंत्रालय ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट एक्स पर लिखा है, “यह ताइवान की सुरक्षा को लेकर अमेरिकी सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है.”
चीन, ताइवान को ख़ुद से अलग हो गया एक प्रांत मानता है. चीन का ये भी कहना है कि ताइवान को आख़िरकार एक दिन बीजिंग के नियंत्रण में आना ही है.
लेकिन ताइवान चीन की इस दलील से सहमत नहीं है और वो खुद को एक अलग और स्वतंत्र भौगोलिक इकाई के तौर पर देखता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
SOURCE : BBC NEWS