Source :- LIVE HINDUSTAN
सरकारी आंकड़े के अनुसार, मध्य चीन के हुबेई प्रांत में करीब 10 लाख आबादी वाले शहर तियानमेन में 2023 की तुलना में 2024 में 1050 ज्यादा शिशुओं का जन्म हुआ है।
पिछले कई वर्षों से जन्म दर में लगातार गिरावट झेल रहे चीन में अब धीरे-धीरे खुशियां आने लगी हैं और लोगों के आंगन में किलकारियां गूंजने लगी है। आलम यह है कि 2016 के बाद पहली बार 2024 में शिशु जन्मदर में 17 फीसदी को बढ़ोत्तरी देखी गई है और यह सब संभव हुआ है कि नकद प्रोत्साहन योजना की बदौलत। चीन 2016 से लगातार जन्म दर में गिरावट देख रहा है।
पिछले सप्ताह जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार, मध्य चीन के हुबेई प्रांत में करीब 10 लाख आबादी वाले शहर तियानमेन में 2023 की तुलना में 2024 में 1050 ज्यादा शिशुओं का जन्म हुआ है। यह आंकड़ा चीन के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर आया है क्योंकि बुजुर्ग होती आबादी और घटते जन्म दर से चीन लंबे समय से परेशान है। ये दोनों स्थितियां चीन के दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरी थीं।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के तियानमेन शहर के आंगनों में गूंज रही किलकारियां स्थानीय सरकारों और प्रमुख कंपनियों की कैश स्कीम की बदौलत संभव हो सकी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तीसरा बच्चा पैदा करने के लिए चीन की नामी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी एक्सपेंग अपने कर्मचारियों को 30,000 यूआन यानी 3.53 लाख रुपये की नकद पेशकश कर रही हैं।
आधिकारिक हुबेई डेली की एक पुरानी रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल 2024 में जनवरी से नवंबर के बीच 6530 बच्चों का जन्म हुआ है, जबकि इसी दौरान 2023 में 910 बच्चों का जन्म हुआ था। यानी 2023 की तुलना में 2024 में शिशु जन्म दर में 16 फीसदी का उछाल आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तियानमेन शहर में तीसरी संतान के माता-पिता बनने वाले लोगों को कुल 2,20,000 यूआन यानी करीब 26 लाख रूपये का नकद पुरस्कार दिया जाना है।
कुछ कंपनियां तीसरी संतान का माता-पिता बनने वाले कर्मचारियों को घर खरीदने के लिए 1.20 लाख का कूपन भी दे रही हैं, जबकि कुछ एकमुश्त नकद राशि दे रही हैं। इसके अलावा तीन साल तक बच्चे की देखभाल के लिए 1000 युआन की सब्सिडी भी दिया जा रहा है। कंपनियों ने चौथे और पांचवें बच्चों के जन्म पर भी इसी तरह की नकद प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान किया है। बता दें कि चीन में 2023 में लगभग 90 लाख बच्चे पैदा हुए थे, जो 1949 में रिकॉर्ड रखने की परंपरा की शुरुआत के बाद से सबसे कम है।
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