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आतिशी

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दिल्ली में चुनावों से पहले अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या शरणार्थियों पर बीजेपी और सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के बीच जारी तकरार अब स्कूलों तक पहुंच गई है.

सोमवार को दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर सभी स्कूलों से कहा है कि दाख़िलों की प्रक्रिया के दौरान बच्चों के दस्तावेज़ों की जांच की जाए.

आदेश में यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि कोई अवैध प्रवासी छात्र स्कूलों में दाख़िला ना पा सके.

शिक्षा विभाग की तरफ़ से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि स्कूल अवैध बांग्लादेशी परिवारों के बच्चों के दाख़िलों को रोकें और किसी छात्र की नागरिकता पर संदेह होने पर इस बारे में पुलिस और प्रशासन को जानकारी दें.

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स्कूली शिक्षा विभाग के उप-निदेशक सुभाष कुमार की तरफ़ से जारी इस आदेश में कहा गया है कि स्कूल सख्त दाख़िला प्रक्रिया अपनाएं और छात्रों के दस्तावेज़ों की पुष्टि करें ताकि अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के दाख़िलों को रोका जा सके.

हालांकि, इस आदेश में उन दस्तावेज़ों का ज़िक्र नहीं किया गया है जिन्हें जमा कराके छात्र या उनके अभिभावक ये साबित कर सकते हैं कि वो देश में क़ानूनी तौर पर रह रहे हैं.

वहीं, शिक्षा विभाग ने हर ज़िले के उप-निदेशक (शिक्षा) को हर सप्ताह उन मामलों की रिपोर्ट जमा कराने के लिए कहा है जिनमें छात्रों की नागरिकता पर संदेह हो.

आतिशी ने कहा- रोहिंग्या को दाख़िला नहीं

राजधानी दिल्ली में एक रोहिंग्या झुग्गी बस्ती की फ़ाइल तस्वीर

सोमवार को जारी इस आदेश के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने आदेश की कॉपी को एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “एक तरफ़, बीजेपी नेता हैं जो रोहिंग्या को बांग्लादेश सीमा पार करा दिल्ली ला रहे हैं और उन्हें ईडब्ल्यूएस फ्लैट दे रहे हैं. उन्हें वो सुविधाएं दे रहे हैं जो दिल्ली वालों के लिए हैं.”

“दूसरी तरफ़ आम आदमी पार्टी की सरकार है जो ये सुनिश्चित करने के लिए हर संभव क़दम उठा रही है कि रोहिंग्या को दिल्ली वालों के अधिकार ना मिलें.”

अपनी इस पोस्ट के साथ आतिशी ने केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी का साल 2022 में किया गया वो पोस्ट भी लगाया है जिसमें उन्होंने कहा था कि दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थियों को ईडब्ल्यूएस श्रेणी के घर दिए जाएंगे.

हालांकि, उस समय हरदीप सिंह पुरी के इस बयान पर विवाद हुआ था और आगे चलकर रोहिंग्या शरणार्थियों को किसी तरह की आवासीय मदद सरकार की तरफ़ से नहीं मिली थी.

हरदीप सिंह पुरी ने भी बाद में स्पष्टीकरण दिया था कि किसी भी प्रवासी को घर नहीं दिया गया है.

वहीं भारत के गृह मंत्रालय ने कहा था कि प्रवासियों को वापस भेजने के मुद्दे को संबंधित देश के साथ उठाया गया है.

आतिशी ने सोशल मीडिया पर सोमवार को किए पोस्ट में कहा है, “दिल्ली के शिक्षा विभाग ने सख़्त आदेश जारी किया है कि दिल्ली के किसी भी सरकारी स्कूल में रोहिंग्या को दाख़िला नहीं दिया जाएगा. हम दिल्ली वालों के अधिकारों को छिनने नहीं देंगे.”

कितने रोहिंग्या और अवैध बांग्लादेशी?

दिल्ली में रोहिंग्या झुग्गी बस्ती में एक दुकान से सामान ख़रीदते रोहिंग्या बच्चे (फ़ाइल तस्वीर)

दिल्ली में कितने रोहिंग्या शरणार्थी या अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं, इसका आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.

हालांकि दिसंबर में दिल्ली पुलिस की तरफ़ से चलाए गए अभियान में अब तक 175 संदिग्ध अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान हुई है.

भारत ने साल 1951 जेनेवा शरणार्थी संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. यानी भारत अधिकारिक तौर पर किसी को शरण नहीं देता है. ऐसे में भारत में अधिकतर शरणार्थी अवैध तरीक़ों से या बिना वैध दस्तावेज़ों के दाख़िल होते हैं.

भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि भारत में कितने अवैध प्रवासी हैं, इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.

लेकिन यूएनएचसीआर के मुताबिक़, भारत में 22 हजार 500 रोहिंग्या शरणार्थी उसके पास पंजीकृत हैं, जिनमें से 676 रोहिंग्या शरणार्थी भारत के अलग-अलग हिस्सों में हिरासत केंद्रों में बंद हैं.

मंगलवार को दिल्ली पुलिस ने पांच बांग्लादेशियों समेत ग्यारह लोगों को गिरफ़्तार किया है जो दिल्ली में अवैध रूप से दस्तावेज़ बनाने का काम कर रहे थे.

दक्षिणी दिल्ली के डीसीपी अंकित चौहान ने बीबीसी से कहा, “अभी हमने 11 संदिग्ध पकड़े हैं जिनमें से पांच बांग्लादेशी हैं. ये नेटवर्क अवैध दस्तावेज़ तैयार करने का काम कर रहा था. कितने लोगों के दस्तावेज़ इन्होंने तैयार किए, ये जांच से पता चलेगा.”

अवैध प्रवासी बने बड़ा चुनावी मुद्दा

अनुराग ठाकुर

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दिल्ली में चुनावों की तारीख़ अभी घोषित नहीं हुई है लेकिन माना जा रहा है कि राज्य में फ़रवरी में विधानसभा चुनाव हो जाएंगे.

गर्म चुनावी माहौल के बीच, दिल्ली में रोहिंग्या प्रवासी एक बड़ा मुद्दा बनते जा रहे हैं.

बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर रोहिंग्या और अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को बढ़ावा देने और दिल्ली में बसाने के आरोप लगाए हैं.

बीजेपी के प्रवक्ता यासिर जिलानी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, “आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली में अवैध प्रवासियों को बढ़ावा दिया है और उनके दस्तावेज़ बनवाए हैं ताकि वो अपने वोट बैंक को बढ़ा सकें.”

“हम इस तरह की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे और जब तक अंतिम अवैध प्रवासी की पहचान नहीं हो जाएगी, बीजेपी इस मुद्दे पर ख़ामोश नहीं होगी.”

वहीं आम आदमी पार्टी के अपने आरोप हैं. बीबीसी से बात करते हुए आम आदमी की पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा, “देश की सीमाओं की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार की है, दिल्ली की क़ानून व्यवस्था दिल्ली पुलिस के ज़रिए केंद्र सरकार के पास है. ऐसे में यदि अवैध प्रवासी दिल्ली में दाख़िल हुए तो इसके लिए पूरी तरह से बीजेपी ज़िम्मेदार है.”

उनका कहना है, “आम आदमी पार्टी ऐसे हर अवैध प्रवासी की पहचान करेगी और ये सुनिश्चित करेगी कि दिल्ली के नागरिकों के हक़ की कोई सुविधा किसी अवैध प्रवासी को ना मिले.”

दिल्ली पुलिस और दिल्ली नगर निगम का अभियान

दिल्ली पुलिस

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इसी महीने, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली के प्रमुख सचिव और पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए अभियान चलाने का आदेश दिया था.

इसके बाद, दिल्ली पुलिस ने कई इलाक़ों में अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए अभियान चलाया है और लोगों के दस्तावेज़ों की जांच की गई है.

दिल्ली की झुग्गी झोपड़ियों, अवैध कॉलोनियों और यहां तक कि फुटपाथ पर रहने वाले लोगों के दस्तावेज़ों की जांच दिल्ली पुलिस कर रही है.

वहीं, शुक्रवार को दिल्ली नगर निगम ने भी एक आदेश जारी कर अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए अभियान शुरू किया है.

नगर निगम के आदेश में कहा गया है कि दिल्ली में रह रहे अवैध प्रवासियों और स्कूलों में पढ़ रहे प्रवासियों के बच्चों की पहचान की जाए.

प्रवासी भारतीयों को हो सकती है दिक़्क़त?

म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या लोग दिल्ली में बेहद मुश्किल हालात में रहते हैं.

दिल्ली में बड़ी तादाद में प्रवासी रहते हैं. भारत के अलग-अलग हिस्सों से आकर लोग दिल्ली में काम करते हैं.

इन प्रवासी भारतीयों के बच्चे भी दिल्ली के स्कूलों में पढ़ते हैं. क्या इस तरह के अभियान से ऐसे प्रवासियों को परेशानी नहीं होगी.

इस सवाल पर आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ कहती हैं, “बच्चों को उच्च स्तरीय शिक्षा देना दिल्ली सरकार की पहली प्राथमिकता है. हमने दिल्ली के स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किया है और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया है.”

“इस अभियान का असर भारतीय प्रवासियों के बच्चों पर ना हो, इसके लिए एहतियात बरती जाएगी.”

प्रियंका कक्कड़ ये आरोप भी लगाती हैं कि दिल्ली के कई इलाक़ों में बीजेपी ने मतदाता सूची से लोगों के नाम हटवाए हैं. आम आदमी पार्टी बीजेपी पर मतदाता सूची से लोगों के नाम कटवाने के आरोप लगाती रही है. हालांकि बीजेपी ने इस तरह के सभी आरोपों को ख़ारिज किया है.

प्रियंका कक्कड़ कहती हैं, “बहुत से लोगों के नाम हटवाए गए हैं, हमने ये मुद्दा भी उठाया है. बीजेपी दिल्ली में रह रहे प्रवासियों के अधिकार पर चोट कर रही है.”

इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए यासिर जिलानी कहते हैं, “अवैध प्रवासियों को बढ़ावा देने वाली आम आदमी पार्टी बेबुनियाद मुद्दे उठा रही है. आम आदमी पार्टी की सच्चाई दिल्ली की जनता के सामने आ चुकी है.”

बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों ही दिल्ली से अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों को बाहर खदेड़ने के दावे कर रही है.

आम आदमी पार्टी और बीजेपी, दोनों ही दलों के शीर्ष नेताओं ने एक-दूसरे पर अवैध प्रवासियों को बढ़ावा देने के आरोप लगाए हैं और दोनों ही दलों का कहना है कि वो एक भी अवैध प्रवासी को दिल्ली में नहीं रहने देंगे.

डर में रोहिंग्या शरणार्थी

दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या बच्चे यूएनएचआरसी कार्ड के ज़रिए स्कूलों में शिक्षा हासिल करते हैं. (फ़ाइल तस्वीर)

राजनीतिक बयानबाज़ी से इतर, दिल्ली में रोहिंग्या प्रवासियों में डर और बेचैनी का माहौल है.

अपना नाम ना ज़ाहिर करते हुए एक रोहिंग्या शरणार्थी छात्र ने बीबीसी से कहा, “अपने देश से किसी तरह जान बचाकर भागे रोहिंग्या लोग बेहद मुश्किल हालात में रह रहे हैं.”

उन्होंने बताया, “यूएनएचआरसी के कार्ड के ज़रिए रोहिंग्या बच्चों का स्कूलों में दाख़िला हो जाता है. अब डर है कि कहीं यूएनएचआरसी के साथ पंजीकृत रोहिंग्या छात्रों की पढ़ाई भी ना रुक जाए.”

दिल्ली में रोहिंग्या शरणार्थियों की चार-पांच बस्तियां हैं जहां म्यांमार से जान बचाकर आए ये लोग बेहद मुश्किल हालात में रहते हैं. इनके पास ना पीने का पानी है और ना बिजली की सुविधा और ना ही कोई रोज़गार.

इस रोहिंग्या शरणार्थी छात्र का कहना है, “रोहिंग्या लोगों के लिए कोई कुछ नहीं कर रहा है. हमारे साथ अब लोगों की मानवीय हमदर्दी भी नहीं बची है. अब हमें एक राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है, इससे हमारे लिए हालात और मुश्किल हो जाएंगे.”

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SOURCE : BBC NEWS