Source :- Khabar Indiatv

Image Source : PTI
मोहन भागवत

जयपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया तभी आपको सुनती है जब आपके पास शक्ति हो। दुनिया में प्रेम की भाषा तभी सुनी जाता है जब देश शक्तिशाली होता है। उन्होंने जयपुर के हरमाडा स्थित रविनाथ आश्रम में आयोजित रविनाथ महाराज की पुण्यतिथि के कार्यक्रम में यह बात कही। संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि उसकी भूमिका बड़े भाई की है। भारत विश्व में शांति और सौहार्द के लिए कार्य कर रहा है।

Related Stories

भारत में त्याग की परंपरा 

सरसंघचालक  ने कहा कि भारत में त्याग की परंपरा रही है। भगवान श्री राम से लेकर भामाशाह को हम पूजते और मानते हैं। विश्व को धर्म सिखाना भारत का कर्तव्य है, लेकिन इसके लिए भी शक्ति की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि भारत किसी से द्वेष नहीं रखता, लेकिन विश्व प्रेम और मंगल की भाषा भी तब ही सुनता है जब आपके पास शक्ति हो। यह दुनिया का स्वभाव है। इस स्वभाव को बदला नहीं जा सकता, इसलिए विश्व कल्याण के लिए हमें शक्ति संपन्न होने की आवश्यकता है। और हमारी ताक़त विश्व ने देखी है। 

विश्व कल्याण हमारा धर्म

उन्होंने कहा कि विश्व कल्याण हमारा धर्म है। विशेषकर हिन्दू धर्म का तो यह पक्का कर्तव्य है। यह हमारी ऋषि परंपरा रही है, जिसका निर्वहन संत समाज कर रहा है। उन्होंने रविनाथ महाराज के साथ बिताए अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उनकी करुणा से हम लोग जीवन में अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं। 

भावनाथ महाराज ने मोहन भागवत को किया सम्मानित

उन्होंने कहा कि इस आश्रम के मंच पर ना ही मैं सम्मान का अधिकारी हूं और ना ही मैं भाषण का अधिकारी हूं। और सम्मान होना ही है तो मैं अकेला तो कुछ नहीं कर रहा हूं। 100 साल से प्रवर्तित परंपरा चल रही है। उस परंपरा में लाखों कार्यकर्ता हैं। प्रचारकों जैसे ही गृहस्थ कार्यकर्ता भी हैं। इतने सारे कार्यकर्ताओं के परिश्रम का परिणाम अगर कुछ है, अगर वह स्वागत और सम्मान योग्य है तो यह उनका सम्मान है। यह सम्मान संतों की आज्ञा से ही मैं ग्रहण कर रहा हूं। कार्यक्रम में भावनाथ महाराज ने सरसंघचालक मोहन भागवत को सम्मानित किया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

Latest India News

SOURCE : - KHABAR INDIA NEWS