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नवजोत सिंह सिद्धू (फ़ाइल फ़ोटो)

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नवजोत सिंह सिद्धू ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म नेटफ़्लिक्स के शो ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शर्मा’ शो में ‘परमानेंट गेस्ट’ के तौर पर वापसी कर रहे हैं.

सिद्धू इस शो में छह साल बाद वापसी कर रहे हैं और वो भी एक ख़ास अंदाज़ में.

इसका ज़िक्र उन्होंने हाल में शुरू किए गए अपने यूट्यूब चैनल पर एक व्लॉग शेयर कर किया है.

सामने होते तो शायद कहते कि ‘गुरु! अब ठोको ताली.’

उन्हें जानने वाले कहते हैं सिद्धू तेज़-तर्रार और कुछ हद तक बड़बोले हैं. उन्हें सुर्ख़ियां पसंद हैं.

टीवी शो से लेकर क्रिकेट के कमेंट्री बॉक्स और राजनीति के मैदान तक, हर जगह वो अपनी एक ख़ास अदा और अंदाज़ के लिए जाने जाते हैं.

‘सिक्सर सिद्धू’

नवजोत सिंह सिद्धू

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पंजाब के पटियाला में पैदा हुए सिद्धू के पिता सरदार भगवंत सिंह भी मशहूर क्रिकेटर थे.

सिद्धू ने 1983-84 की टेस्ट सिरीज़ में टेस्ट टीम में डेब्यू किया था. शुरुआत में वो ज़्यादा कामयाब नहीं रहे लेकिन 1987 के वनडे वर्ल्ड कप में उन्होंने ज़बरदस्त वापसी की और चार हाफ़ सेंचुरी लगाई.

अपनी आक्रामक बल्लेबाज़ी के लिए मशहूर सिद्धू को ‘सिक्सर सिद्धू’ के नाम से जाना गया.

विशेषज्ञों का कहना है कि सिद्धू का क्रिकेट उनके व्यक्तित्व का आईना है. वो एक साथ रक्षात्मक और आक्रामक दोनों तरह की क्रिकेट खेलते थे.

1983 से 1999 के बीच उन्होंने भारत के लिए 51 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उनका औसत 42.13 रहा.

बीबीसी संवाददाता सौतिक बिस्वास ने सिद्धू पर की गई एक प्रोफ़ाइल में लिखा, ”एक मैगज़ीन ने लिखा कि अपने परफ़ॉरमेंस को बरकरार रखने की उन्हें इतनी चिंता थी कि वो न तो कभी किसी पार्टी में गए और न कोई फ़िल्म देखी. सिद्धू बेहद धार्मिक हैं और बिल्कुल शाकाहारी भोजन करते हैं.”

लेकिन यही सिद्धू 1996 में अपने कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन के साथ झगड़े के बाद बीच सिरीज़ में इंग्लैंड छोड़कर भारत लौट आए थे.

उन्हें लगा कि अज़हरुद्दीन उन्हें गालियां दे रहे हैं. सिद्धू ने ग़ुस्से में अपना बैग पैक किया और वापस भारत आ गए.

‘कमेंट्री के किंग’

 नवजोत सिंह सिद्धू

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सिद्धू ने 2001 में भारत के श्रीलंका दौरे में कमेंटेटर के तौर पर अपनी नई पारी की शुरुआत की.

और बहुत जल्दी वो अपन वन-लाइनर्स की वजह से लोकप्रिय हो गए.

‘खटैक’, ‘छा गए’ और ‘वाह! गुरु’ जैसे जुमलों से कमेंटेटर के तौर पर सिद्धू ने एक बड़ी फ़ैन फॉलोइंग तैयार कर ली.

खांटी देसी कहावतों के साथ कमेंट्री करने वाले सिद्धू के जुमलों को ‘सिद्धूइज़्म’ कहा जाने लगा.

श्रीलंका दौरे का प्रसारण करने वाले ब्रॉडकास्टर सोनी मैक्स ने सिद्धूइज्म.कॉम नाम से एक वेबसाइट ही शुरू कर दी, जहां उनकी कमेंट्री के वन-लाइनर्स को “सिद्धूइज़्म ऑफ़ द डे” के तौर पर पोस्ट किया जाता था.

नवजोत सिंह सिद्धू

2009 में सिद्धू ने राजनीति पर ध्यान देने के लिए कमेंट्री से खुद को अलग कर लिया था.

लेकिन 2024 में आईपीएल के लिए कमेंट्री में वापसी करने पर बीबीसी में छपे एक लेख में सुरिंदर मान ने लिखा, ”इंडियन प्रीमियर लीग के पहले ही मैच में नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी कमेंट्री से लोगों को ख़ासा प्रभावित किया. क़रीब एक दशक बाद कमेंट्री बॉक्स में आए सिद्धू को देखकर एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि उन्हें अपनी बात कहने में कोई मुश्किल हो रही हो.”

राजनीति की पिच पर मुश्किल बैटिंग

नवजोत सिंह सिद्धू

सिद्धू ने 1999 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया. पांच साल बाद यानी 2004 में वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए.

2004 के लोकसभा चुनाव में वो बीजेपी के टिकट पर अमृतसर से लोकसभा सांसद बने और वे 2014 तक पार्टी के सांसद चुने जाते रहे.

साल 2016 में उन्हें बीजेपी ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था, लेकिन उन्होंने पंजाब की राजनीति में ज़्यादा दिलचस्पी की बात कहते हुए राज्यसभा से इस्तीफ़ा दे दिया.

साल 2017 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को छोड़ दिया और कांग्रेस में शामिल हो गए.

उसी साल हुए पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस पार्टी से अमृतसर पूर्व से विधायक बने.

तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में नवजोत सिंह सिद्धू पर्यटन एवं सांस्कृतिक मामलों के कैबिनेट मंत्री बने.

लेकिन अमरिंदर से उनकी नहीं बनी और दोनों के रास्ते अलग-अलग हो गए.

इमरान की तारीफ़ कर फंसे सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू

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2018 में पाकिस्तान में हुए चुनाव में इमरान ख़ान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. सिद्धू के दोस्त इमरान ख़ान ने उन्हें शपथ ग्रहण समारोह में आने का निमंत्रण दिया.

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू से इस समारोह में नहीं जाने की अपील की. लेकिन सिद्धू वाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान गए.

वहां करतारपुर कॉरिडोर खोलने की पेशकश पर वो पाकिस्तान सेना प्रमुख क़मर जावेद बाजवा से गले भी मिले.

अमरिंदर सिंह से उनकी अनबन पहले से ही चल रही थी. पंजाब की राजनीति पर नज़र रखने वालों का कहना है कि सिद्धू ख़ुद पंजाब का सीएम बनना चाहते थे. और उनकी इस महत्वाकांक्षा ने अमरिंदर सिंह से उनकी दूरियां और बढ़ा दीं.

2019 में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कैबिनेट में बदलाव करते हुए सिद्धू का मंत्रालय बदल दिया, इसके विरोध में सिद्धू ने पद ग्रहण किए बिना इस्तीफ़ा दे दिया.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि साल 2021 में जब चरणजीत सिंह चन्नी राज्य के मुख्यमंत्री बने तब कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री के पद से हटाने में नवजोत सिंह सिद्धू की सक्रिय भूमिका रही थी.

लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में सिद्धू ख़ुद अपनी सीट गंवा बैठे.

रोड रेज की छाया और जेल की सज़ा

नवजोत सिंह सिद्धू

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27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट गए थे.

इसी मार्केट में पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुज़ुर्ग गुरनाम सिंह से झगड़ा हो गया. कहा गया कि सिद्धू ने गुरनाम के साथ हाथापाई की जिससे वो गिर गए. उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई.

उसी दिन सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर संधू पर कोतवाली थाने में ग़ैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ.

इसके बाद सेशंस कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. 1999 में सेशंस कोर्ट ने केस को ख़ारिज कर दिया. इसके बाद केस हाई कोर्ट पहुंचा.

दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए तीन-तीन साल क़ैद की सज़ा सुनाई और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया. लेकिन सिद्धू और उनके दोस्त ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू और संधू को सभी आरोपों से बरी कर दिया था. हालांकि कोर्ट ने रोड रेज मामले में सिद्धू पर एक हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया.

इसी फ़ैसले पर पुनर्विचार याचिका दाख़िल की गई थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक साल की सज़ा सुनाई थी.

19 मई 2022 को सिद्धू के ख़िलाफ़ रोड रेज के मामले में एक साल की सज़ा सुनाई गई थी, लेकिन जेल में उनके अच्छे व्यवहार को देखते हुए उन्हें 10 महीने बाद ही रिहा कर दिया गया.

राहुल और प्रियंका की पसंद

राहुल गांधी के साथ नवजोत सिद्धू

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जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने अपनी ही पार्टी के कामकाज के तरीके़ पर सवाल उठाए.

लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाक़ात की और कहा कि उन्हें ‘जेल में डाला जा सकता है. डराया-धमकाया जा सकता है लेकिन पंजाब और पार्टी को लेकर अपने संकल्पों से पीछे नहीं हटेंगे.’

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (तब ट्विटर) पर लिखा, ”आप मुझे जेल में डाल सकते हो, डरा सकते हो. मेरे सभी अकाउंट ब्लॉक कर सकते हो लेकिन पंजाब और मेरे नेताओं के लिए मेरा संकल्प एक इंच भी पीछे नहीं हटेगा.”

सिद्धू के आलोचकों ने कहा उन्होंने पंजाब में कांग्रेस को डुबोया, लेकिन पता नहीं क्यों राहुल और प्रियंका के प्रिय बने हुए हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना ​​है कि नवजोत सिंह सिद्धू राजनीति में ख़ुद को बहुत ज़्यादा महत्व देते हैं, जिसके कारण कई बार पार्टी में अंदरूनी कलह भी पैदा हो जाती है.

ईमानदार छवि

नवजोत सिंह सिद्धू

सिद्धू के जेल से निकलने के बाद गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के इतिहास और राजनीतिक मामलों के विशेषज्ञ डॉ. जगरूप सिंह सेखों ने बीबीसी से कहा था, “पंजाब की राजनीति में नवजोत सिंह सिद्धू की छवि ईमानदार नेता की है. लेकिन राजनीति में लोगों के मुद्दों को ईमानदारी से उठाने की ज़रूरत है.”

वहीं नवजोत सिंह सिद्धू ने ‘द ट्रिब्यून’ अख़बार को दिए इंटरव्यू में कहा, ”मेरे पास लग्ज़री होटल नहीं हैं और न ही मेरे पास पंजाब के कई नेताओं की तरह शराब या खनन कारोबार से आय का कोई वैकल्पिक स्रोत है.”

उन्होंने कहा था, “एक ज़िम्मेदार पिता और पति के रूप में मुझे जीविकोपार्जन करना है और इसीलिए मैंने आईपीएल को चुना. मुझे कमाने की ज़रूरत है क्योंकि मेरी पत्नी कैंसर का सामना कर रही है. मुझे अपनी बेटी की शादी के लिए भी पैसों की ज़रूरत है.”

नवजोत सिंह सिद्धू ने साफ़ कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि वह राजनीति या पंजाब की जनता से दूर रहेंगे.

उन्होंने इस इंटरव्यू में यह भी कहा था, “मैं एक वफ़ादार कांग्रेसी हूं और मैं अपने नेता राहुल गांधी के साथ खड़ा हूं. जहां भी पार्टी मुझे चाहेगी, वहां मैं प्रचार करूंगा.”

पत्नी के कैंसर के इलाज पर विवादास्पद बयान

पत्नी के साथ नवजोत सिंह सिद्धू

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इसी दौरान सिद्धू की पत्नी को कैंसर हो गया और वो राजनीति और क्रिकेट कमेंट्री से दूर हो गए. इस दौरान वो पूरी तरह पत्नी की देखभाल में लगे रहे.

नवंबर 2024 में सिद्धू ने ऐलान किया कि उनकी पत्नी कैंसर से मुक्त हो चुकी हैं लेकिन उन्होंने इसका श्रेय उनके आहार में शामिल कुछ ऐसे चीज़ों को दिया, जिस पर टाटा मेमोरियल अस्पताल के कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने इस दावे पर असहमति जताई.

उन्होंने एक पत्र जारी कर कहा कि इन बयानों का समर्थन करने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.

इसमें उन्होंने लिखा था, ”सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें एक पूर्व क्रिकेटर अपनी पत्नी के कैंसर के इलाज के बारे में बात कर रहे हैं.”

“वीडियो के कुछ हिस्सों के अनुसार, हल्दी और नीम के उपयोग से उनकी पत्नी के ‘लाइलाज’ कैंसर को ठीक करने में मदद मिली. इन बयानों का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं.”

इस पत्र में कहा गया, “हम लोगों से अपील करते हैं कि वे ग़ैर प्रामाणिक उपचारों को इस्तेमाल न करें और अपने इलाज में देरी न करें. अगर किसी को अपने शरीर में कैंसर के कोई भी लक्षण महसूस होते हैं, तो उनको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. और यह सलाह एक कैंसर विशेषज्ञ से लेनी चाहिए.”

सिद्धू ने दावा किया था कि उन पत्नी ने अपने आहार में कुछ चीज़ें शामिल करके स्टेज चार के कैंसर पर काबू पा लिया है.

सिद्धू ने बताया था उनकी पत्नी के आहार में नींबू पानी, कच्ची हल्दी, सेब का सिरका, नीम की पत्तियां, तुलसी, कद्दू, अनार, आंवला, चुकंदर और अखरोट जैसी चीज़ें शामिल थीं, जिससे वह स्वस्थ हो गईं.

‘एक कुर्सी पाजी के लिए प्लीज़’

नवजोत सिंह सिद्धू

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बहरहाल इन तमाम विवादों, सुर्ख़ियों को अलग रख दें तो सिद्धू एक बार फिर कपिल शर्मा के शो में स्थायी गेस्ट के तौर पर वापसी कर रहे हैं.

नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने यूट्यूब चैनल पर दावा किया कि कैसे उन्होंने लगभग 13 साल पहले कपिल शर्मा को अपना स्वतंत्र शो बनाने में अहम भूमिका निभाई थी.

सिद्धू ने कहा कि यह दर्शकों का अपार प्यार है, जो उन्हें एक बार फिर शो में वापस ले आया. उन्होंने कहा, ”इसने मेरी ज़िंदगी को ख़ुशगवार बना दिया है. ये घर वापसी जैसा है.”

‘द ग्रेट इंडियन कपिल शो’ के निर्माताओं ने नेटफ़्लिक्स के आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल पर नवजोत सिंह सिद्धू की वापसी की ख़बर साझा की थी. कपिल शर्मा, अर्चना पूरन सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू का एक वीडियो साझा करते हुए निर्माताओं ने लिखा, “एक कुर्सी पाजी के लिए प्लीज़.”

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SOURCE : BBC NEWS