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भारत से लगातार बढ़ते तनाव और आंतरिक आर्थिक संकट के बीच, पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। नवाज, इमरान और शहबाज तीनों की सरकारों ने देश के वित्तीय संकट को बढ़ाया है।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानTue, 6 May 2025 06:00 PM
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नवाज, इमरान और शहबाज शरीफ में किसने मांगी ज्यादा भीख? पाकिस्तान पर कर्ज का कितना बोझ

भारत के खिलाफ युद्ध की धौंस और गीदड़भभकियों के बावजूद पाकिस्तान अंदर से कितना कमजोर है, यह उसकी आर्थिक स्थिति से साफ झलकता है। आज पाकिस्तान का कर्ज इतना बढ़ चुका है कि उसे किसी युद्ध की स्थिति में अपने आर्थिक ढांचे को संभालने में भी मुश्किलें आ सकती हैं। हम यहां खबर में नवाज शरीफ के कार्यकाल से उनके छोटे भाई शहबाज शरीफ के मौजूदा कार्यकाल का जिक्र कर रहे हैं। इस बीच इमरान खान भी सत्ता में आए। तीनों ने ही पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सुधारने के नाम पर विदेशी मदद की गुहार लगाई। लेकिन इन नेताओं ने पाकिस्तान को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के बजाय इसे और बढ़ाया।

भारत से युद्ध जैसी स्थिति के बीच पाकिस्तान पर कर्ज का भारी-भरकम बोझ इतना है कि जंग की स्थिति में पाकिस्तान हफ्तेभर भी नहीं टिक पाएगा। ग्लोबल इकोनॉमिक डेटा के अनुसार, दिसंबर 2024 तक पाकिस्तान पर लगभग $131 बिलियन का बाहरी कर्ज है, जो कि देश की सकल घरेलू उत्पाद का करीब 35% है। यह कर्ज पाकिस्तान की तीन प्रमुख सरकारों नवाज शरीफ, इमरान खान और शहबाज शरीफ के शासनकाल में कई गुना बढ़ा है।

नवाज शरीफ (2013-2017)

नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान ने कई प्रमुख देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज लिया। उनका कार्यकाल पाकिस्तान के लिए आर्थिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण रहा, विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के लिए कर्ज लेने के कारण। नवाज शरीफ के समय पाकिस्तान का कुल कर्ज $60.6 बिलियन तक पहुंच गया था। इसमें IMF, चीन और अन्य देशों से लिया गया कर्ज शामिल था।

इमरान खान (2018-2022)

इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और भी खराब हुई। इमरान खान की सरकार ने कर्ज लेने की गति को और तेज किया, खासकर IMF और सऊदी अरब से। उनके कार्यकाल में पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ बढ़कर $100 बिलियन तक पहुंचा।

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शहबाज शरीफ

शहबाज शरीफ की सरकार ने पाकिस्तान के कर्ज को स्थिर करने के लिए कई कड़े उपायों की शुरुआत की, लेकिन देश को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। शहबाज के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में और गिरावट आई। उनकी सरकार को पिछले सरकार द्वारा लिए गए कर्ज का बोझ भी ढोना पड़ा। शहबाज के कार्यकाल में पाकिस्तान का कर्ज $131 बिलियन तक पहुंच चुका है।

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