Source :- LIVE HINDUSTAN
खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी और सेना का समर्थन प्राप्त शहबाज शरीफ की सरकार के बीच जारी बातचीत के बीच इमरान खान ने यह टिप्पणी की है।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि वह नवाज शरीफ नहीं है कि जेल से बाहर आने के लिए सेना से समझौता कर लेंगे। पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रहे शरीफ दो बार स्व-निर्वासित हो चुके हैं। पहली बार वह 2000 की शुरुआत में सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ और दूसरी बार 2019 में सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के साथ समझौते के तहत स्व-निर्वासित हुए थे।
खान ने बुधवार के ‘एक्स’ पर लिखा, “मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि चाहे कोई भी हथकंडा अपनाया जाए, मैं कोई सौदा नहीं करूंगा। मैं नवाज शरीफ नहीं हूं जो भ्रष्टाचार से कमाए गए अपने अरबों डॉलर बचाना चाहता हूं। मैं पाकिस्तान में रहा हूं और यहीं मरूंगा… मैं हमेशा अपने देश के लिए खड़ा रहूंगा।”
खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी और सेना का समर्थन प्राप्त शहबाज शरीफ की सरकार के बीच जारी बातचीत के बीच खान ने यह टिप्पणी की है। अनुमान है कि वह वार्ता सफल होने पर जेल से बाहर आ सकते हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं। खान कई मामलों में अगस्त 2023 से जेल में हैं।
इस बीच, इमरान खान की पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं ने सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से मुलाकात की है, जबकि पार्टी के वार्ताकारों ने मौजूदा राजनीतिक तनाव से निपटने के लिए सरकार के समक्ष अलग से अपनी मांगें रखीं। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के 72 वर्षीय संस्थापक इमरान खान ने रावलपिंडी की आडियाला जेल से मीडिया को बताया कि उनकी पार्टी के नेताओं ने सेना प्रमुख से मुलाकात की।
जियो न्यूज की खबरों के अनुसार खान ने कहा कि उनकी पार्टी लंबे समय से दूसरे पक्ष को वार्ता के लिए तैयार करने की कोशिश कर रही थी। बैठक के बारे में विस्तार से बताते हुए पीटीआई के अध्यक्ष गौहर अली खान ने कहा, ‘‘सेना प्रमुख (सीओएएस) के साथ मेरी बैठक के बारे में इमरान खान ने जो कहा है, वह सही है।’’ चैनल के अनुसार गौहर खान ने कहा कि उन्होंने और खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने इस सप्ताह पेशावर में जनरल मुनीर से अलग-अलग मुलाकात की।
सीओएएस के साथ वार्ता के दौरान जो कुछ हुआ, उसे स्पष्ट करते हुए पीटीआई अध्यक्ष ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि पार्टी की मांगें सीधे जनरल मुनीर के समक्ष रखी गईं। उन्होंने इस सीधी बातचीत को मौजूदा मुद्दों को सुलझाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया। बैरिस्टर गौहर ने आगे कहा, ‘‘मैंने और अली अमीन गंडापुर ने सीओएएस मुनीर के साथ बैठक की, जिसके दौरान हमने पीटीआई की सभी चिंताओं और प्राथमिकताओं को रेखांकित किया।’’
जियो न्यूज ने यह भी बताया कि गौहर को सैन्य प्रमुख से मिलने के लिए हेलीकॉप्टर के जरिए पेशावर ले जाया गया। यह बैठक कथित तौर पर जनरल मुनीर की पेशावर यात्रा के दौरान हुई, जहां उन्होंने शीर्ष प्रांतीय राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की। पिछले साल के आम चुनाव के बाद यह पहली बैठक एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम है, क्योंकि पीटीआई ने सत्ता प्रतिष्ठान पर धांधली का आरोप लगाया था, जिसके कारण वह सेना के विरूद्ध दिखाई देने लगी। इसके अलावा, पीटीआई ने सरकार के सामने अपनी राजनीतिक मांगें तब रखीं, जब दोनों पक्षों के नेता तीसरे दौर की वार्ता के लिए मिले।
सरकार और पीटीआई के बीच वार्ता 23 दिसंबर को शुरू हुई और दूसरा दौर दो जनवरी को हुआ, जबकि तीसरे दौर में विलंब हुआ, हालांकि यह अंतत: संसद भवन में हुई। नेशनल असेंबली के अध्यक्ष अयाज सादिक ने वार्ता की सुविधा प्रदान की, जिसमें पीटीआई के छह नेता और आठ सरकारी प्रतिनिधि शामिल हुए। विपक्ष की ओर से नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता उमर अयूब, खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर, पीटीआई नेता असद कैसर, सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल के प्रमुख हामिद रजा, मजलिस वहदत-ए-मुसलमीन के प्रमुख सीनेटर राजा नासिर अब्बास जाफरी और पीटीआई महासचिव सलमान अकरम राजा शामिल हुए।
सरकार का प्रतिनिधित्व करने वालों में उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार, पीएमएल-एन सीनेटर इरफान सिद्दीकी, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता राजा परवेज अशरफ और नवीद कमर, प्रधानमंत्री के राजनीतिक सहयोगी राणा सनाउल्लाह और सरकार के अन्य सहयोगी दलों के नेता शामिल थे। पीटीआई ने औपचारिक रूप से लिखित रूप में अपनी मांगों का चार्टर पेश किया, जो छह विपक्षी सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित तीन-पृष्ठ का दस्तावेज है।
विपक्ष ने दो मुख्य मांगें रखीं, जिनमें नौ मई, 2023 और 26 नवंबर, 2024 के विरोध प्रदर्शनों की जांच के लिए दो न्यायिक आयोगों का गठन, एवं पीटीआई की ओर से पहचान किये गये ‘राजनीतिक कैदियों’ की जमानत, सजा निलंबन और बरी करने में संघीय और प्रांतीय सरकारों का “समर्थन” शामिल है।
SOURCE : LIVE HINDUSTAN