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नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा शुरू की गई ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ विवादों में घिर गई है। इस योजना के तहत दिल्ली की महिलाओं को 2100 रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया गया है। लेकिन अब इस योजना को लेकर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) ने इसे लेकर सफाई दी है कि ऐसी कोई योजना आधिकारिक रूप से अधिसूचित नहीं हुई है।

AAP सांसद संजय सिंह ने इस योजना का बचाव करते हुए भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “भाजपा नहीं चाहती कि महिलाएं सशक्त हों, इसीलिए वे इस योजना का विरोध कर रहे हैं। लेकिन दिल्ली के लोगों को केजरीवाल पर भरोसा है और महिलाएं इस योजना का लाभ जरूर लेंगी।” संजय सिंह ने यह भी कहा कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में महिलाओं के लिए पहले भी मुफ्त बस यात्रा जैसी योजनाएं लागू की हैं और इसी भरोसे के साथ लोग इस योजना को भी सफल मान रहे हैं।

हालांकि, दिल्ली सरकार के ही आधीन आने वाले महिला एवं बाल विकास विभाग ने अखबारों में विज्ञापन देकर साफ किया है कि ऐसी कोई योजना अभी तक आधिकारिक रूप से अधिसूचित नहीं हुई है। विभाग ने लोगों को चेतावनी दी है कि वे अपनी निजी जानकारी किसी को न दें। इस विज्ञापन ने आम आदमी पार्टी के दावों की पोल खोल दी है।

मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इसे ‘डिजिटल धोखाधड़ी’ करार देते हुए केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा का कहना है कि चुनाव से पहले झूठे वादे करके जनता को गुमराह किया जा रहा है। भाजपा ने सवाल उठाया कि अगर योजना अधिसूचित ही नहीं हुई है, तो घर-घर जाकर महिलाओं के रजिस्ट्रेशन क्यों कराए जा रहे हैं? इस विवाद के बीच दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि अखबारों में प्रकाशित नोटिस झूठे हैं और भाजपा ने अधिकारियों पर दबाव डालकर इन्हें जारी करवाया है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि इस अधिसूचना को जारी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इस पूरे विवाद ने भारतीय राजनीति में नेताओं की जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारतीय संविधान में राजनेताओं के झूठ बोलने पर कोई सजा का प्रावधान नहीं है, वरना इस तरह के बयानों के लिए संजय सिंह और अन्य नेताओं पर कार्रवाई जरूर होती। AAP के नेता जहां चुनाव जीतने के लिए बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं, वहीं उनके ही सरकारी विभाग उनके दावों को खारिज कर रहे हैं। जनता के मन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या यह सफेद झूठ नहीं है? बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान बनाते वक्त शायद यह कल्पना भी नहीं की होगी कि भारत में ऐसे नेता भी होंगे, जो चुनावी फायदे के लिए जनता को गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, वरना वे जरूर इन झूठे बयानों के लिए कोई प्रावधान करके जाते। अब देखना होगा कि अरविंद केजरिवाल इस योजना को लेकर जनता के सामने क्या सफाई देते हैं और क्या सच्चाई सामने आती है।  

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