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नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने नौकरशाही में एक बड़ा फेरबदल कर कई मंत्रालयों के शीर्ष पदों पर बदलाव किए हैं। इस बदलाव ने सरकारी महकमों में हलचल मचा दी है और सवाल उठने लगे हैं कि क्या सरकार किसी बड़े कदम की तैयारी कर रही है? हालांकि, सरकार की मंशा क्या है, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि इन बदलावों से ब्यूरोक्रेसी में खलबली मच गई है।  

रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अहम बदलावों में से एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनीत जोशी का तबादला है। उन्हें करीब डेढ़ साल पहले अशांत मणिपुर का मुख्य सचिव बनाया गया था, लेकिन अब उन्हें वापस दिल्ली बुलाकर शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। विनीत जोशी 1992 बैच के मणिपुर कैडर के IAS अफसर हैं और IIT कानपुर के छात्र रहे हैं। उनके अनुभव और योग्यता को देखते हुए यह नियुक्ति महत्वपूर्ण मानी जा रही है।  

लेकिन सवाल यह भी उठता है कि मणिपुर जैसे संवेदनशील राज्य में स्थिरता लाने का काम बीच में छोड़कर जोशी को दिल्ली क्यों बुलाया गया? क्या सरकार मणिपुर में कोई नई रणनीति अपनाने जा रही है या फिर शिक्षा मंत्रालय में कोई बड़ा सुधार लाने की तैयारी है? इसके अलावा रचना शाह, जो अब तक कपड़ा मंत्रालय की सचिव थीं, उन्हें अब केंद्रीय कार्मिक एवं पेंशन मंत्रालय का नया सचिव बनाया गया है। 1991 बैच की केरल कैडर की अधिकारी रचना शाह के अनुभव को देखते हुए यह बदलाव भी अहम माना जा रहा है।  

वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग में भी फेरबदल किया गया है। अरुणीश चावला,जो अब तक रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में फार्मा विभाग के सचिव थे, को अब वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव बनाया गया है। अरुणीश छत्तीसगढ़ कैडर के 1993 बैच के IAS अधिकारी हैं। यह बदलाव ऐसे समय पर हुआ है जब देश की आर्थिक नीतियों और कर ढांचे में सुधार को लेकर चर्चाएँ तेज हैं। क्या सरकार नई राजस्व नीतियों की ओर कदम बढ़ा रही है?  

वहीं, वित्त मंत्रालय से हटाए गए अमित अग्रवाल को अब रसायन और उर्वरक मंत्रालय में फार्मा विभाग का सचिव बनाया गया है। अमित अग्रवाल UIDAI के CEO रह चुके हैं और तकनीकी तथा प्रशासनिक सुधारों में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। कपड़ा मंत्रालय में भी नेतृत्व बदला गया है। नीलम शमी राव को नया सचिव बनाया गया है। कपड़ा क्षेत्र को लेकर सरकार की योजनाओं में तेजी लाने के लिए यह बदलाव किया गया है। इनके अलावा संजय सेठी को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का सचिव नियुक्त किया गया है। नीरजा शेखर को राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद की महानिदेशक बनाया गया है।  

लेकिन, इन फैसलों से सवाल उठ रहे हैं कि, इन तबादलों के पीछे सरकार का मकसद क्या है? क्या यह सिर्फ प्रशासनिक सुधार का हिस्सा है या फिर सरकार कोई बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है? विनीत जोशी का मणिपुर से हटना और वित्त मंत्रालय में नए चेहरों की तैनाती यह संकेत दे रही है कि सरकार आने वाले दिनों में नीतिगत फैसलों में बड़ा बदलाव कर सकती है। खासतौर पर शिक्षा, वित्त और फार्मा जैसे क्षेत्रों में इन अधिकारियों की नियुक्ति यह इशारा कर रही है कि सरकार इन क्षेत्रों में नए सुधारों और योजनाओं को लागू करने की तैयारी में है।  

इस बड़े फेरबदल से नौकरशाही में हलचल मच गई है। कई अधिकारी अब अपनी नई जिम्मेदारियों के लिए तैयार हो रहे हैं, जबकि कुछ अधिकारी इस उलटफेर से हैरान हैं। इन फैसलों के पीछे सरकार की मंशा क्या है, यह तो आने वाले दिनों में ही साफ होगा, लेकिन इन बदलावों ने यह संकेत दे दिया है कि मोदी सरकार सुधारों और प्रशासनिक फैसलों को लेकर तेजी से कदम उठा रही है। क्या ये बदलाव आने वाले चुनावों से जुड़े हैं या फिर देश के आर्थिक और सामाजिक ढांचे में बड़ा परिवर्तन लाने की तैयारी है?  

जो भी हो, इन फेरबदल से साफ है कि सरकार ब्यूरोक्रेसी को चुस्त-दुरुस्त करने के साथ ही नई योजनाओं और नीतियों पर तेजी से अमल करने के मूड में है। अब देखना होगा कि ये बदलाव देश के विकास के लिए कितने प्रभावी साबित होते हैं।

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