Source :- LIVE HINDUSTAN
शिक्षा मनुष्य को सही-गलत का फर्क तो सिखा सकती है लेकिन उसके आचरण तो तय नहीं कर सकती। यह तो मनुष्य की बुद्धि और विवेक पर ही निर्भर करता है कि वो किस तरह का व्यवहार करता है या यूं कहें कि किस तरह का मनुष्य है। ऐसा ही कुछ कहना है महान विद्वान आचार्य चाणक्य का। आचार्य चाणक्य अपनी नीति में कहते हैं कि कुछ लोग भले ही कितना भी पढ़-लिख लें, किसी ऊंचे पद पर ही क्यों ना बैठ जाएं लेकिन इनके आचरण ही ऐसे होते हैं कि लोग इन्हें हमेशा मूर्ख ही मानते हैं। ऐसे लोगों को पढ़े-लिखे मूर्खो की एक दिलचस्प श्रेणी में रखा जाता है। तो चलिए जानते हैं कि आचार्य के मुताबिक इस श्रेणी में किस तरह के व्यक्ति आते हैं।
खुद को सर्वज्ञानी समझने वाले लोग
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिन लोगों को लगता है कि वो सर्वज्ञानी हैं और उन्हें सब कुछ आता है, तो उनसे मूर्ख व्यक्ति कोई नहीं। इन लोगों का पसंदीदा काम होता है ज्ञान देना। किसी भी चीज के बारे में ये भले ही शून्य जानते हों लेकिन ज्ञान तो ऐसे देते हैं जैसे उस विषय के प्रकांड विद्वान यही हों। इस तरह के लोगों का अक्सर पीठ पीछे मजाक ही बनाया जाता है और भले ही ये कितने पढ़े-लिखे क्यों ना हों, लोग इन्हें मूर्ख ही समझते हैं।
दूसरे को नीचा दिखाने वाले लोग
आचार्य चाणक्य अपनी नीति में कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने से कमजोर, छोटों और अन्य लोगों से व्यवहार करना नहीं जानता और उन्हें हमेशा नीचा दिखाने में लगा रहता है; वो भी मूर्ख ही कहलाता है। ऐसे लोग कितना भी पढ़-लिख क्यों ना लें या भले ही कितने ऊंचे ओहदे पर क्यों ना हों, इन्हें लोगों का प्यार और सम्मान कभी भी मिल पाता। ऐसे लोग अपने अलग ही घमंड में जीते हैं और दूसरों को नीचा दिखाने से बाज नहीं आते हैं।
हमेशा अपनी तारीफ करने वाले लोग
कुछ लोगों को लगता है कि दुनिया के सबसे अच्छे इंसान वही हैं। अब अपनी प्रशंसा करना गलत नहीं है लेकिन हमेशा अपनी ही तारीफ में लगे रहना, आपको लोगों की नजरों में हंसी का पात्र बनाता है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसे लोग अक्सर अपने धन, पैसे, रुतबे की तारीफ में लगे रहते हैं लेकिन दूसरों की तारीफ इन्हें बिल्कुल हजम भी नहीं होती।इस वजह से लोग भी इन्हें मूर्ख मानकर इनकी हंसी बनाने में परहेज नहीं करते।
हमेशा बिना सोचे समझे काम करने वाले लोग
आचार्य चाणक्य के अनुसार जो लोग हर बार बिना सोचे समझे, जल्दीबाजी में ही कोई भी फैसला या काम कर देते हैं;ऐसे लोग भी मूर्खों की श्रेणी में ही आते हैं। इनके जल्दीबाजी के फैसले कई बार सिर्फ इन्हें ही नहीं बल्कि इनके आसपास के लोगों को भी मुसीबत में डाल देते हैं। और कोई व्यक्ति कितना भी पढ़ा-लिखा या विद्वान क्यों ना हों, जल्दीबाजी के फैसले गलत होने के आसार ज्यादा होते भी हैं।
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