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यह पहली बार नहीं है, जब डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड को लेकर इस तरह की बात कही हो। ट्रंप अपने पहले कार्यकाल (2017 से 2021) में भी इस क्षेत्र पर नियंत्रण रखने की इच्छा जता चुके हैं।

पनामा नहर को अमेरिका के नियंत्रण में वापस करने की मांग के बाद, US के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब सबसे बड़े द्वीप ग्रीनलैंड को खरीदने और उस पर नियंत्रण करने की इच्छा जताई है। ट्रंप ने इसे बहुत जरूरी बताया है। दरअसल, ग्रीनलैंड उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप का हिस्सा है, लेकिन फिलहाल इस पर डेनमार्क का नियंत्रण है और वहां स्वायत्त स्वशासन है। ग्रीनलैंड 1953 तक डेनमार्क का उपनिवेश था। यह उसका ही हिस्सा बना रहा लेकिन वर्ष 2009 में इसे स्वशासन और घरेलू नीति में स्वतंत्र विकल्प बनाने की क्षमता के साथ स्वायत्तता मिल गई।

78 वर्षीय ट्रंप ने पेपल के सह-संस्थापक केन होवेरी को डेनमार्क में अमेरिका का राजदूत घोषित करते हुए यह टिप्पणी की है। ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट में लिखा है, “पूरी दुनिया में राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वतंत्रता के उद्देश्य से संयुक्त राज्य अमेरिका को लगता है कि ग्रीनलैंड का स्वामित्व और नियंत्रण उसके लिए परम आवश्यक है।” ट्रंप ने कहा कि डेनमार्क में राजदूत पद के लिए उनके नामांकित व्यक्ति, स्वीडन में पूर्व अमेरिकी राजदूत और उद्यमी केन होवेरी, अमेरिका के हितों का प्रतिनिधित्व करने में एक अद्भुत काम करेंगे।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब ट्रंप ने ग्रीनलैंड को लेकर इस तरह की बात कही हो। ट्रंप अपने पहले कार्यकाल (2017 से 2021) में भी इस क्षेत्र पर नियंत्रण रखने की इच्छा जता चुके हैं। वर्ष 2019 में ट्रम्प ने संकेत दिया था कि ग्रीनलैंड खरीदना चाहते हैं। ट्रंप उस वक्त भी इस भौगोलिक क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों और उसकी भू-राजनीतिक स्थिति की वजह से उसे अमेरिकी हितों के लिए खरीदना चाहते थे।

उनकी इस इच्छा की तब ग्रीनलैंड के नेताओं ने तीखी आलोचना की थी और कहा था कि ग्रीनलैंड द्वीप बिक्री के लिए नहीं है। डेनमार्क के प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन ने कहा है कि ग्रीनलैंड को खरीदने के विचार ही बेतुका है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र बिकाऊ नहीं है। उम्मीद है कि ट्रम्प मजाक कर रहे होंगे। अमेरिकी होमलैंड सुरक्षा विभाग के पूर्व अधिकारी माइल्स टेलर ने अगस्त 2020 में एमएसएनबीसी के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि ट्रम्प की दिलचस्पी इस बात में थी कि क्या ग्रीनलैंड के लिए प्यूर्टो रिको की अदला-बदली की जा सकती है।

बता दें कि ग्रीनलैंड उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित है और यह दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है जो महाद्वीप नहीं है। अपनी रणनीतिक स्थिति को देखते हुए, यह आर्कटिक के करीब है और रूस सहित कुछ देश इस क्षेत्र पर नियंत्रण के लिए होड़ कर रहे हैं। हालांकि ग्रीनलैंड उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप का हिस्सा है, लेकिन भू-राजनीतिक रूप से इसका यूरोप से संबंध है। एक्सियोस की रिपोर्ट के अनुसार, इसे यूरोपीय संघ से धन प्राप्त होता है क्योंकि इसे डेनमार्क के ही एक खंड के रूप में समझा जाता है।

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ग्रीनलैंड पर टिप्पणी करने से पहले ट्रंप ने पनामा को धमकी दी थी कि अगर लैटिन अमेरिकी देश अमेरिकी जहाजों के लिए “बेवकूफी भरा” मार्ग शुल्क वसूलना जारी रखता है तो पनामा नहर का नियंत्रण अमेरिका वापस ले लेगा। इस बयान के बाद पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने ट्रंप की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि उनके देश की स्वतंत्रता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। उन्होंने पनामा द्वारा लगाए गए मार्ग शुल्क का बचाव करते हुए कहा कि ये शुल्क “मनमाने ढंग से” निर्धारित नहीं किए गए हैं।

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