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पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी से 15 किलोमीटर दूर स्थित फुलबारी में भारत और बांग्लादेश की सीमा

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पड़ोसी बांग्लादेश में राजनीतिक हालात क्या बदले, सीमा पर तनातनी बढ़ती दिख रही है.

पश्चिम बंगाल में भारत और बांग्लादेश की सीमा बहुत लंबी है.

इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह राज्य के पाँच ज़िलों से लगी है.

हाल में सीमा पर कई घटनाएँ हुई हैं. इसकी वजह से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के बीच असहजता और तनातनी भी बढ़ी है.

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अमूमन शांत रहने वाली इस सरहद पर अब तनाव साफ़ दिख रहा है.

पिछले एक हफ़्ते में तनाव की घटनाएँ और बढ़ गई हैं. इसके बाद सीमा सुरक्षा बल और बीजीबी के अधिकारियों को ‘फ्लैग मीटिंग’ भी करनी पड़ी है.

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सीमा पर माहौल तनावपूर्ण है

पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी से 15 किलोमीटर दूर स्थित फुलबारी में भारत और बांग्लादेश की सीमा

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चाहे घुसपैठ रोकने का मुद्दा हो या भारत की तरफ़ सरहद पर कँटीले तार लगाने का मामला – बीएसएफ़ और बीजीबी के जवान कई बार आमने-सामने आ गए हैं. हालाँकि, अभी तक सरहद की निगरानी करने वाले दोनों सुरक्षा बलों के बीच झड़प की खबरें नहीं आई हैं. फिर भी कई स्थानों पर माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है.

इनमें से सबसे अहम इलाका है, पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना का बोनगाँव. इसी इलाक़े में सबसे व्यस्त बॉर्डर चेक पोस्ट पेट्रापोल भी है. इस सीमा के उस पार बीजीबी तैनात है.

उस इलाके में बीजीबी की 58वीं बटालियन के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल रफीक़ इस्लाम ने मंगलवार को बांग्लादेश की मीडिया के सामने एक बयान दिया. उन्होंने दावा किया कि ”कोडालिया नदी के किनारे पाँच किलोमीटर के इलाक़े को उन्होंने अपने क़ब्ज़े में ले लिया है.”

ये इलाक़ा बागदाह ब्लॉक के अंतर्गत रानाघाट गाँव में आता है. ये पेट्रापोल बॉर्डर चेक पोस्ट से कुछ ही दूर है. सीमा के दूसरी तरफ़ बांग्लादेश का महेशपुर का इलाक़ा है.

रफीक़ इस्लाम के बयान के बाद दोनों देशों के बीच एक तरह से तनातनी की स्थिति पैदा हो गई. सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने मामले को आगे बढ़ने नहीं दिया है. हालात को संभाल लिया है.

बीएसएफ़ का जवाब

भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर निग़रानी करते हुए बीएसएफ़ के जवान

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रफीक़ इस्लाम के बयान के बाद सीमा सुरक्षा बल और बीजीबी के बड़े अधिकारियों के बीच पेट्रापोल बॉर्डर चेक पोस्ट पर ‘फ़्लैग मीटिंग’ बुलाई गयी थी.

‘फ़्लैग मीटिंग’ यानी जब सीमा पर कोई विवाद होता है तो दोनों ओर के अधिकारी बैठक करते हैं. विवाद को सुलझाने की कोशिश करते हैं.

बैठक के बाद सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ़ ने बयान जारी कर रफीक़ इस्लाम के दावों को ख़ारिज किया. बीएसएफ़ ने साफ़ कहा कि बीजीबी के अधिकारी का बयान ‘भ्रामक’ है.

बीएसएफ़ के बयान में कहा गया, “बीजीबी के नए बनाए गए कंपनी कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल रफीक़ इस्लाम के मनगढ़ंत और झूठे दावे को हम सिरे से ख़ारिज करते हैं. बीएसएफ़ भरोसा दिलाना चाहता है कि एक इंच ज़मीन पर भी क़ब्ज़ा नहीं किया गया है. हम ऐसा करने भी नहीं देंगे.”

बीएसएफ़ का कहना है कि इस इलाके में बांग्लादेश के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा बोनगाँव से गुज़रने वाली कोडालिया नदी के बीचोबीच है.

बीएसएफ़ का बयान

बीएसएफ़ ने ये भी दावा किया कि दोनों देशों के बीच की सीमा का सही तौर पर रेखांकन पहले से ही किया जा चुका है.

नदी के दोनों ही तरफ़ इसके पिलर या पत्थर भी लगे हुए हैं. इससे सीमा पूरी तरह से चिन्हित की गई है.

बीजीबी के जिस अधिकारी के बयान पर विवाद हो रहा है, आख़िर उन्होंने ठीक-ठीक क्या कहा था.

उन्होंने कहा था, “पहले बांग्लादेश के ग्रामीण नदी का इस्तेमाल नहीं कर सकते थे. उन्हें रोक दिया जाता था. मगर अब कोडालिया नदी से इसके किनारे रहने वाले हमारे ग्रामीण आ-जा रहे हैं. वे उसका इस्तेमाल कर रहे हैं.”

इस पर बीएसएफ़ के अधिकारियों का कहना है, ”नदी के दोनों तरफ़ के नागरिक नदी का इस्तेमाल अपने-अपने हिस्से में करते आए हैं. अभी भी यथास्थिति ही बनी हुई है.” ध्यान रहे, इस इलाक़े में दोनों देशों के बीच कँटीले तारों की बाड़ नहीं है.

सीमा सुरक्षा बल के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के उप महानिरीक्षक नीलोत्पल कुमार पाण्डेय ने पत्रकारों से बात की.

उन्होंने कहा कि बीजीबी के अधिकारी के बयान से ‘भ्रम ज़रूर पैदा हो गया था’ लेकिन मौजूदा समय में सीमा के इस इलाके में ‘यथास्थिति बनी हुई है’. वह कहते हैं, “सीमा के दोनों तरफ़ शांति बनी हुई है.”

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जब ग्रामीणों ने लगाए नारे

बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के जवान

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इसी दौरान एक और घटना हुई. मालदा ज़िले के सुखदेवपुर में मंगलवार को कँटीली तारों को लगाने का काम चल रहा था. उसी दौरान बीजीबी के जवानों ने काम रोकने की कोशिश की.

इसके बाद सीमा के इलाक़े में तनाव पैदा हो गया. सुखदेवपुर के ग्रामीण वहाँ जमा हो गए. ग्रामीणों ने ‘भारत माता की जय… जय श्री राम… और वंदे मातरम…’ के नारे लगाए.

इस घटना का वीडियो पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने अपने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर साझा भी किया है.

घटना के बाद कँटीले तारों की बाड़ लगाने का काम कुछ देर के लिए रुक गया था.

बीएसएफ़ का कहना है कि बीजीबी के अधिकारियों को बताया गया है कि कँटीले तार सरहद पर भारत की तरफ़ के इलाक़े में लगाए जा रहे हैं.

शुभेंदु अधिकारी का बयान

बीएसएफ़ ने बांग्लादेश के सुरक्षा अधिकारियों को यह भी साफ़ किया कि ऐसा दोनों देशों के बीच पहले से बनी सहमति के आधार पर किया जा रहा है.

बीएसएफ़ के उपमहानिरीक्षक नीलोत्पल पाण्डेय ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि ग़लतफहमी दूर होने के बाद तार लगाने का काम फिर से शुरू कर दिया गया है. काम ‘ज़ोर शोर’ से चल रहा है.

इस पूरे मामले पर भारतीय जनता पार्टी के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ‘एक्स’ पर लिखा कि सुखदेवपुर के ग्रामीणों की राष्ट्रवादी भावनाओं की वजह से ही बीजीबी के जवानों को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा है.

वे लिखते हैं, “स्थानीय भारतीय नागरिकों ने बीएसएफ़ के साथ मिलकर बीजीबी के अधिकारियों को ये अहसास दिला दिया कि जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है तो बीजीबी के इस तरह के प्रयास बर्दाश्त नहीं किए जाएँगे. ये नतीजा है, लोगों के जागृत होने का.”

इसी बीच एक और वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी के साथ वायरल हो रहा है. इसे त्रिपुरा के कैलासहर मगुरुली का बताया जा रहा है. इस विडियो में ‘संदिग्ध बांग्लादेशी तस्करों’ को सीमा सुरक्षा बल के जवानों के साथ हाथापाई करने की कोशिश करते हुए देखा जा सकता है.

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दोस्ताना रिश्ता, तनाव में क्यों बदला

भारत और बांग्लादेश की सीमा के पास स्थित एक गांव की तस्वीर

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साल 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद से ही भारत के साथ उसके दोस्ताना संबंध रहे हैं. यही वजह है कि बांग्लादेश से लगी सीमा पर हालात कभी ख़राब नहीं हुए थे.

दोनों देशों के लोगों का आना-जाना और व्यापार सुचारू ढंग से चलता रहा. मगर अब बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, उससे तनाव साफ़ झलकने लगा है.

सीमा के इलाकों के पास के गाँवों में लोग सुरक्षा के बारे में ख़ुद सतर्क हो गए हैं.

ऐसे कई संवेदनशील इलाके हैं, जहाँ कँटीले तार मौजूद नहीं हैं. इन स्थानों पर नागरिकों ने ही ख़ुद से पहल की है.

उन्होंने अपने ही स्तर पर सुरक्षा के इंतज़ाम करने शुरू कर दिए हैं. जैसे- सीसीटीवी कैमरों का लगवाना और रात में पहरेदारी करना.

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बांग्लादेश से कथित घुसपैठ

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी

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बांग्लादेश से हो रही कथित घुसपैठ का मुद्दा बहुत बड़ा है. इसका असर देश के विभिन्न राज्यों में हो रहे चुनावों में भी देखने को मिलता है.

कथित घुसपैठ के मुद्दे पर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर निशाना भी साधते हैं. दिल्ली में होने वाले विधानसभा के चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी ने कथित घुसपैठ को बड़ा मुद्दा बनाया है.

पश्चिम बंगाल में इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच हमेशा ही आरोप और प्रत्यारोपों का दौर चलता रहता है.

राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अधिकारियों के साथ वार्षिक बैठक के दौरान उन इलाक़ों के नाम चिन्हित किए जहाँ से कथित घुसपैठ हो रही है.

राज्य के सचिवालय में विभिन्न विभागों की समीक्षा के दौरान ममता ने कहा था, “बॉर्डर की सुरक्षा का ज़िम्मा तृणमूल कांग्रेस या राज्य की पुलिस का नहीं है. ये काम सीमा सुरक्षा बल का है. वे घुसपैठियों और अपराधियों को पश्चिम बंगाल में प्रवेश करने में सहयोग कर रहे हैं. मैं केंद्र सरकार को इस बारे में चिट्ठी लिखने वाली हूँ.”

ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में सीमा से लगे तीन इलाकों के नाम भी बताए जहाँ से सबसे ज़्यादा कथित घुसपैठ हो रही है. उनके मुताबिक ये इलाके हैं- इस्लामपुर, छोटाई और चोपरा.

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बीएसएफ़ ने क्या कहा

बांग्लादेश पर सीमा की निग़रानी करते बीएसएफ़ के जवान

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ममता बनर्जी के इस बयान के बाद सीमा सुरक्षा बल के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के उप महानिरीक्षक नीलोत्पल कुमार पाण्डेय ने एक बयान जारी कर कहा, “ऐसी बातों से सीमा सुरक्षा बल के जवानों का मनोबल टूटता है.”

उनका कहना था कि सीमा सुरक्षा बल एक ‘ज़िम्मेदार फ़ोर्स’ है जो अपने दायित्वों का ईमानदारी के साथ निर्वहन कर रही है. करती आ रही है.

दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी ने ममता बनर्जी के बयान पर आक्रामक तेवर अपना लिया है.

नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री के नाम एक खुला पत्र जारी किया और कई सवाल खड़े किए.

उन्होंने लिखा कि सुरक्षा बल के अधिकारी और जवान सरकार की सेवा नहीं करते हैं बल्कि देश की सेवा करते हैं.

वे कहते हैं कि सुरक्षा बल के जवान विपरीत परिस्थितियों में भी देश की सरहदों की हिफ़ाज़त करते हैं.

इस पत्र में शुभेंदु अधिकारी ने लिखा, “अपनी जान जोखिम में डालकर सुरक्षा बल के जवान सरहदों की पहरेदारी करते हैं. जवानों पर अपमानजनक टिप्पणी के लिए देश आपको कभी माफ़ नहीं करेगा.”

उन्होंने सवाल खड़े करते हुए लिखा है कि जब सरहद पार कर घुसपैठिए किसी गाँव में शरण लेते हैं तो पीर, पटवारी उनके राशन कार्ड और पहचान पत्र कैसे बनवा रहे हैं? पुलिस के अधिकारी इनका ‘वेरिफिकेशन’ कैसे कर देते हैं?

उन्होंने चिठ्ठी में आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल की सरकार कँटीले तार लगाने के काम में बीएसएफ़ का सहयोग नहीं कर रही है.

वह कहते हैं कि पश्चिम बंगाल में सीमा पर लगभग तीन सौ किलोमीटर का इलाक़ा ऐसा है, जहाँ कँटीले तार लगाने के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया राज्य सरकार ने लंबित रखी हुई है.

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SOURCE : BBC NEWS