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ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार शनिवार को संपन्न हो गया। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित दुनियाभर कई नेता इस कार्यक्रम में मौजूद रहे।

ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार कार्यक्रम में दुनिया भर के नेताओं और कैथोलिक अनुयायियों ने बड़ी संख्या में एकत्र होकर उन्हें अंतिम विदाई दी। शनिवार को हुए इस कार्यक्रम में करीब 2,50,000 लोग प्रार्थना सभा में शामिल हुए। इस दौरान फ्रांसिस का ताबूत शहर के दूसरी ओर स्थित सेंट मैरी मेजर बेसिलिका ले जाए जाने के दौरान रास्ते में 3 लाख से ज्यादा लोग कतार में खड़े नजर आए। इसके बाद ताबूत को स्विस गार्ड की सुरक्षा में चर्च के अंदर ले जाया गया।

फ्रांसिस को रोम के मुख्य रेलवे स्टेशन के पास स्थित सेंट मैरी मेजर में दफनाया गया। उनके ताबूत के शिलापट्ट पर उनका नाम ‘फ्रांसिसस’ अंकित किया गया था। यह पोप फ्रांसिस का पसंदीदा चर्च भी था। फ्रांसिस ने पिछले साल वेटिकन की परंपराओं और रीति-रिवाजों में बदलाव कर उन्हें सरल बनाते हुए अपने अंतिम संस्कार कार्यक्रम को लेकर अपनी इच्छा बताई थी और इसे एक सादा समारोह रखने की अपील की थी।

लोगों के बीच रहने वाले थे पोप- कार्डिनल रे

इससे पहले कॉलेज ऑफ कार्डिनल के डीन, कार्डिनल जियोवानी बतिस्ता रे (91) ने पोप फ्रांसिस को आम लोगों का पोप बताते हुए कहा कि वह ऐसे पादरी थे जो अनौपचारिक और सहज शैली में सबसे कमजोर लोगों से संवाद करना जानते थे। रे ने फ्रांसिस को लोगों के बीच रहने वाला पोप और सभी के लिए खुले दिल वाला बताया। कार्डिनल रे ने कहा, ‘‘उनका यह मानना था कि चर्च सभी के लिए एक घर है, एक ऐसा घर जिसके दरवाजे हमेशा खुले हुए हैं।’’

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रहीं मौजूद

पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टॉर्मर सहित कई नेता मौजूद रहे। वहीं भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी समारोह का हिस्सा थीं। कार्यक्रम में ब्रिटिश राजपरिवार के प्रिंस विलियम और यूरोपीय संघ के नेता भी शामिल हुए।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

इससे पहले शहर-भर में आयोजित सामूहिक प्रार्थना सभा और शव यात्रा में पोप फ्रांसिस के ताबूत को खुली छत वाले वाहन में रखा गया था। इस समारोह का दुनिया भर में सीधा प्रसारण भी किया गया। कार्यक्रम में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। 2,500 से अधिक पुलिसकर्मी, 1,500 सैनिक और समुद्र तट पर टारपीडो जहाज भी तैनात किए गए थे।

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88 वर्ष की आयु में हुआ निधन

लैटिन अमेरिका के पहले पोप, पोप फ्रांसिस का सोमवार को 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। उनके अंतिम संस्कार के बाद, नए पोप के चुनाव की सदियों पुरानी प्रक्रिया आरंभ करने के लिए तैयारियां शुरू की जाएगी। संभवतः मई के पहले सप्ताह में यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस बीच वेटिकन का प्रशासन कार्डिनल्स द्वारा चलाया जा रहा है।

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