Source :- LIVE HINDUSTAN

सीजफायर 10 मई को लागू हुआ था और विडंबना देखिए कि इस दिन को पाकिस्तान अब हर साल सेलिब्रेट करेगा। उसका कहना है कि इस दिन को हम मरका-ए-हक के तौर पर प्रति वर्ष सेलिब्रेट करेंगे। खुद पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने इसका ऐलान किया है।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तानTue, 13 May 2025 03:56 PM
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पिटाई के दिन को भी हर साल याद करेगा पाकिस्तान, 10 मई को मनाएगा मरका-ए-हक

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक की थीं। पीओके से लेकर पाकिस्तान तक में कुल 9 शहरों पर हमला बोला गया था। इसके बाद पाकिस्तान ने आतंकी हमले रोकने की बात न करके उलटे भारत पर ही हमले शुरू किए थे। इस पर भारतीय सेना ने मजबूती से जवाब दिया तो पाकिस्तान घुटनों पर आ गया। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ तो अगले ही दिन से सीजफायर की इशारों में बात करने लगे थे। उनका कहना था कि यदि भारत आगे कुछ न करे तो हम भी कोई ऐक्शन अब नहीं लेंगे। साफ था कि भारत ने जो अब तक किया, वह कर दिया। अब हम शांति चाहते हैं। अंत में पाकिस्तान के नरम पड़ने के बाद भारत ने भी सीजफायर को स्वीकार कर लिया।

यह सीजफायर 10 मई को लागू हुआ था और विडंबना देखिए कि इस दिन को पाकिस्तान अब हर साल सेलिब्रेट करेगा। उसका कहना है कि इस दिन को हम मरका-ए-हक के तौर पर प्रति वर्ष सेलिब्रेट करेंगे। खुद पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने इसका ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल से 10 मई तक जो हुआ, वह पाकिस्तानी रक्षा इतिहास का शानदार अध्याय रहेगा। वैसे यह शानदार है या फिर शर्मनाक है,यह भी एक सवाल है। 22 अप्रैल को पाकिस्तान प्रेरित आतंकियों ने पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर हमला किया था और उस तारीख को शहबाज शरीफ अपने रक्षा इतिहास के शानदार अध्याय में शामिल कर रहे हैं।

एक तरफ पाकिस्तान दावे कर रहा है कि हमने अच्छी टक्कर दी तो वहीं आज यह भी स्वीकार कर लिया कि 11 सैनिकों समेत 51 लोग उसकी तरफ से मारे गए हैं। वहीं भारतीय सेना का कहना है कि 6-7 मई की रात को जो एयरस्ट्राइक की गई थी, उसी में करीब 100 आतंकियों को खत्म कर दिया गया था। फिर भी पाकिस्तान इस डेटा को छिपाता रहा और अब अंत में स्वीकार भी किया तो आतंकियों का जिक्र नहीं किया है। यही नहीं एक आतंकी के जनाजे में तो कई सैन्य अधिकारी भी पहुंचे थे। हालांकि जब इस पर सवाल उठे तो पाकिस्तान उसे नकारता रहा है, लेकिन जब उसकी पहचान भी जारी कर दी गई तो मुंह छिपा लिया। अब पूरी ढिठाई के साथ उसने 10 मई को हर साल मरका-ए-हक मनाने का फैसला लिया है।

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