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अमृतसर: पंजाब में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। करीब 46 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे डल्लेवाल किसानों की मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। उनकी खराब होती सेहत को लेकर डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी कर रही है। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) कुमार राहुल के नेतृत्व में डॉक्टरों ने गुरुवार को खनौरी बॉर्डर पर उनका मेडिकल चेकअप किया। बताया जा रहा है कि डल्लेवाल का बीपी बेहद गिरा हुआ है, और उनकी हालत नाजुक है। 

डल्लेवाल ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पंजाब इकाई पर निशाना साधते हुए एक वीडियो संदेश जारी किया है। करीब तीन मिनट के इस वीडियो में उन्होंने कहा, “हमारा अनशन करना कोई कारोबार नहीं है, न ही यह हमारा शौक है। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारी मांगें मान लें, तो मैं तुरंत अनशन खत्म कर दूंगा।” उन्होंने वीडियो में यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी के पंजाब नेताओं ने अकाल तख्त से संपर्क कर जत्थेदार से उनके अनशन को समाप्त करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है। इस पर उन्होंने कहा, “बीजेपी नेताओं को अकाल तख्त से संपर्क करने के बजाय प्रधानमंत्री मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री अमित शाह से संपर्क करना चाहिए। उनकी भूमिका किसानों के मुद्दों को सुलझाने में होनी चाहिए, न कि अनशन खत्म कराने की साजिश रचने में।”

डल्लेवाल के इस अनशन को लेकर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी चिंता जताई है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से किसानों से बातचीत करने का आग्रह करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 45 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। उनकी हालत लगातार बिगड़ रही है, लेकिन बीजेपी सरकार उनकी सुध लेने को तैयार नहीं है। यही हठधर्मिता पहले भी किसान आंदोलन में 750 किसानों की जान ले चुकी है। किसानों के प्रति इतनी निष्ठुरता क्यों?”

डल्लेवाल 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं। शुरुआत में पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेकर लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन किसान संगठनों के दबाव के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। तब से वह अनशन पर हैं। अनशन स्थल को ट्रैक्टर-ट्रेलरों से घेर दिया गया है, और वहां 700 से ज्यादा वॉलंटियर तैनात हैं। किसानों का यह आंदोलन केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने और अन्य लंबित मांगों को पूरा करने की अपील कर रहा है। इस संघर्ष ने पंजाब के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है।  

डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत और उनकी मांगों को लेकर अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या केंद्र सरकार इस समस्या का समाधान करेगी, या किसानों के प्रति यह उदासीनता और लंबी खिंचेगी। किसानों के इस संघर्ष ने एक बार फिर दिखाया है कि उनके मुद्दे अब भी गंभीर रूप से अनदेखे हैं।  

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