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भारतीय पुरुष टीम ने रविवार शाम खेले गए फाइनल मुकाबले में नेपाल को 18 अंक से हराकर पहले खो-खो विश्वकप का खिताब अपने नाम किया। इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडिमय में भारतीय पुरुष टीम ने शानदार आक्रामक खेल का मुजाहिरा करते हुए पहले टर्न में 26 अंक बनाये वहीं नेपाल की टीम स्कोर करने में विफल रही और पहले टर्न का स्कोर 26-0 रहा। वहीं दूसरे टर्न में भारत का स्कोर 26-18 अंक रहा। दूसरे टर्न में भारत ने दो अंक तथा नेपाल ने 18 अंक बनाये।

ब्रेक के बाद तीसरे टर्न में भारत ने 52 अंक तथा नेपाल का स्कोर 18 अंक रहा। तीसरे टर्न में भारतीय टीम ने शानदार खेल दिखाते हुए 24 अंक अर्जित किये। चौथे टर्न में नेपाल ने 18 अंक बनाये वहीं भारत को दो अंक मिले। चौथे टर्न में आखिरी सिटी बजने पर भारत के 54 अंक और नेपाल के 36 अंक रहे। भारतीय पुरुष टीम ने यह मुकाबला 18 अंक से जीतकर खो-खो विश्वकप के इतिहास में पहला विश्वकप जीतने में अपना नाम दर्ज करा लिया।

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पहले टर्न में भारत का दबदबा

भारत के लिए पहले अटैक करते हुए, रामजी कश्यप ने एक असाधारण स्काई डाइव के साथ नेपाल के सूरज पुजारा को आउट कर दिया। इसके बाद सुयश गरगेट ने भरत साहू को पछाड़कर भारत को केवल चार मिनट में 10 अंकों के साथ शानदार शुरुआत दिलाई। स्काई डाइव ही मेन इन ब्लू के लिए खेल का नाम था, और इसने पहले टर्न में टीम के लिए एक शानदार शुरुआत सुनिश्चित की, जिससे उनके विरोधियों को ड्रीम रन से रोका जा सका। पहले टर्न के आखिर में, स्कोरलाइन भारतीयों के पक्ष में 26-0 थी और यह टीम के लिए एक बेहतरीन शुरुआत थी।

नेपाल ने की वापसी

दूसरे टर्न में नेपाल टीम इंडिया के स्तर की बराबरी तो नहीं कर पाई, लेकिन टीम को एक भी ड्रीम रन से नहीं रोक पाई। आदित्य गणपुले और कप्तान प्रतीक वाइकर ने टीम को इस टर्न में आगे बढ़ाया और जनक चंद और सूरज पुजारा जैसे खिलाड़ियों के लगातार टच के बावजूद टीम ने दूसरे हाफ में 26-18 की बढ़त हासिल कर ली।

तीसरे टर्न में भारत ने पूरे आत्मविश्वास के साथ खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया। कप्तान प्रतीक वाइकर ने कई स्काई डाइव के साथ मैट पर चमक बिखेरी और टूर्नामेंट के दूसरे स्टार रामजी कश्यप का भी साथ मिला। आदित्य गणपुले भी अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में थे और टीम के सामूहिक प्रयास ने स्कोर को 54-18 तक पहुंचा दिया, जो मैच के अंतिम टर्न में प्रवेश कर गया और इसी के साथ यह ऐतिहासिक टूर्नामेंट में भी।

भारत ने मारी बाजी

नेपाल ने चौथी टर्न में वापसी करते हुए भारतीय टीम को कड़ी टक्कर दी। लेकिन डिफेंडर्स, एक बार फिर प्रतीक वाइकर और इस बार सचिन भार्गो – जिन्हें चिंगारी के नाम से जाना जाता है – के नेतृत्व में बहुत मजबूत साबित हुए। मेहुल और सुमन बर्मन भी उतने ही प्रभावशाली रहे, और इसने भारतीय टीम के लिए एक बहुत ही योग्य ट्रॉफी को पक्का कर दिया क्योंकि फाइनल के अंत में स्कोर 54-36 था।

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चैंपियनशिप तक टीम का सफर हर लिहाज से उल्लेखनीय रहा। भारत ने पूरे टूर्नामेंट में अपना दबदबा दिखाया, जिसकी शुरुआत ग्रुप स्टेज में ब्राजील, पेरू और भूटान पर जीत से हुई। नॉकआउट राउंड तक उनकी गति जारी रही, जहां उन्होंने क्वार्टर फाइनल में बांग्लादेश को हराया और फिर सेमीफाइनल में एक मजबूत दक्षिण अफ्रीकी टीम को हराया।

मैच में शानदार प्रदर्शन करने वाले भारतीय के सुयश गार्गेट को सर्वश्रेष्ठ अटैकर, मैच में रक्षात्मक प्रदर्शन करने वाले नेपाल टीम के रोहित बर्मा को सर्वश्रेष्ठ डिफेंडर तथा भारत के मेहुल को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के पुरस्कार से नवाजा गया।

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