Source :- LIVE HINDUSTAN
https://www.livehindustan.com/lh-img/smart/img/2025/05/04/1200x900/abir_gulaal_prakash_raj_1746361803479_1746361809074.pngपाकिस्तानी एक्टर फवाद खान की फिल्म अबीर गुलाल पर रोक लगने के बाद साउथ एक्टर प्रकाश राज ने बैन के खिलाफ बात की है। पहले फिल्म 9 मई को रिलीज होने वाली थी, लेकिन पहलगाम हमले के बाद फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी गई है।

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तानी एक्टर फवाद खान की बॉलीवुड कमबैक फिल्म अबीर गुलाल पर रोक लगा दी गई थी। सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने इस फैसले का समर्थन किया था। हालांकि, इस बैन के बीच साउथ एक्टर प्रकाश राज का कहना है कि वो किसी भी फिल्म पर बैन लगने के खिलाफ हैं। फिल्में रिलीज होने दीजिए और लोगों को तय करने दीजिए। आप फिल्में बैन नहीं कर सकते।
फिल्में बैन होने पर क्या बोले प्रकाश राज
द लल्लनटॉप से खास बातचीत में प्रकाश राज ने कहा, “मैं किसी भी फिल्म को बैन करने के समर्थन में नहीं हूं चाहे वो राइट विंग या प्रोपगेंडा फिल्म हो। लोगों को तय करने दीजिए। लोगों का अधिकार है। आप फिल्में बैन नहीं कर सकते हैं, जब तक कि वह पोर्नोग्राफी या बाल शोषण के बारे में न हो। लेकिन एक प्रोसेस के जरिए?” तो उन्हें रिलीज होने दीजिए।
दीपिका और शाहरुख की फिल्म का दिया उदाहरण
उन्होंने आगे कहा, “आज के समय में कोई भी हर्ट हो सकता है। मैं दीपिका की नाक काट दूंगा, सिर काट दूंगा…उससे क्या होगा? शाहरुख खान बस कलर की वजह से? बेशरम रंग न…वो लोग किसी भी चीज के बारे में जिसे वो पसंद नहीं करते रोना-धोना मचा सकते हैं।”
बता दें, जब दीपिका पादुकोण की फिल्म पद्मावत रिलीज होने वाली थी उससे पहले करणी सेना ने दीपिका पादुकोण की नाक काटने की धमकी दी थी। वहीं, जब शाहरुख खान की फिल्म पठान रिलीज होने वाली थी तो लोगों ने बेशरम रंग गाने का विरोध किया था क्योंकि गाने में एक जगह दीपिका ऑरेंज रंग का आउटफिट पहने थीं।
सरकार पर भड़के प्रकाश राज
प्रकाश राज ने कहा, “मौजूदा सरकार ये होने दे रही है। वो ऐसा करने के लिए लोगों को पर्याप्त समर्थन दे रही है, ताकि समाज में डर पैदा हो सके। कुछ फिल्में देश में नहीं बनती हैं। वो ऐसा होने नहीं देंगे क्योंकि सेंसरशिप है। राज्य सेंसरशिप थी। अब, वो साफ तौर पर इसे केंद्रीय सेंसरशिप में ले आए हैं। वो तय करते हैं कि क्या बनाया जाए। फिल्म इंडस्ट्री में पैसा है। तो उनका पूरा विचार है कि इतना डर पैदा करना है कि अगली पीढ़ी वो ना लिखे जो वो अन्यथा लिखती।”
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