Source :- BBC INDIA

इमेज स्रोत, MOHAMMED SARTAJ ALAM
- Author, मोहम्मद सरताज आलम
- पदनाम, जमशेदपुर से, बीबीसी हिंदी के लिए
-
17 जून 2025, 08:04 IST
अपडेटेड 10 मिनट पहले
जमशेदपुर के रोहित कुमार ने नीट यूजी 2025 परीक्षा में 549 अंक हासिल कर सुर्खियां बटोरी हैं.
सामान्य श्रेणी में उन्हें ऑल इंडिया रैंक 12,484 मिला है.
अपनी इस सफलता का श्रेय परिवार को देने वाले रोहित कहते हैं, “मैंने एमबीबीएस में दाख़िले की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव पार किया है. मुझे पूरी उम्मीद है कि झारखंड के रिम्स (राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) मेडिकल कॉलेज में दाख़िला मिल जाएगा.”
दरअसल, यह रोहित का तीसरा प्रयास था.
पहले प्रयास में, साल 2023 में, उन्हें 485 अंक मिले थे. उस वक्त उन्होंने सिर्फ़ यूट्यूब के ज़रिए पढ़ाई की थी.
वो बताते हैं, “पहले प्रयास में बिना किसी ट्यूशन के इतने अंक मिले, जिससे मुझे अगले प्रयास के लिए प्रेरणा मिली.”
रोहित की सफलता इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि वे जमशेदपुर के एक फ़ुटपाथ पर अपने भाई के साथ मोबाइल कवर बेचते रहे हैं.
साधनों की कमी और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. और अब रोहित डॉक्टर बनने के अपने सपने के बेहद क़रीब हैं.

इमेज स्रोत, MOHAMMAD SARTAJ ALAM
बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
रोहित ने साल 2024 में अपने दूसरे प्रयास में 619 अंक हासिल किए, लेकिन तब भी उनका एमबीबीएस में दाख़िला नहीं हो सका.
इस निराशा को याद करते हुए वो कहते हैं,
“इतने अच्छे अंकों के बावजूद मुझे दाख़िला नहीं मिला, जिससे मैं बेहद हताश हो गया था. तब मेरे भाई राहुल ने मुझे तीसरे प्रयास के लिए प्रेरित किया.”
राहुल बताते हैं, “पिछले साल पेपर लीक और कटऑफ़ ज़्यादा होने के कारण रोहित बहुत टूट गया था. मैंने उससे कहा कि अगर अब तीसरा प्रयास नहीं किया, तो हालात वैसे ही रहेंगे. लेकिन अगर इस बार सफल हो गया, तो ज़िंदगी पूरी तरह बदल जाएगी.”
राहुल आगे कहते हैं, “रोहित की साल 2025 की सफलता ने हमारी ज़िंदगी बदल दी है. ऐसा लग रहा है जैसे हम कोई सपना देख रहे हों. यह सफलता एक दिन में नहीं आई — वह छठी कक्षा से लगातार संघर्ष कर रहा है.”
तैयारी और मदद का भरोसा

इमेज स्रोत, MOHAMMAD SARTAJ ALAM
रोहित की मां आशा देवी कहती हैं कि नीट की तैयारी के लिए लाखों की कोचिंग फीस चाहिए थी, जो उनके लिए संभव नहीं था.
रोहित के भाई राहुल बताते हैं, “रोहित ने कहा कि जैसे इंटर की तैयारी यूट्यूब से की, वैसे ही नीट की भी करूंगा.”
यूट्यूब से पढ़ाई कर रोहित ने साल 2023 में पहले प्रयास में 485 अंक हासिल किए.
इसके बाद उन्हें ‘फ़िज़िक्स वाला’ कोचिंग संस्थान के ‘यक़ीन बैच’ के बारे में जानकारी मिली, जिसकी फीस सिर्फ़ 5,000 रुपए थी.
पिछले साल दूसरे प्रयास में उन्होंने 619 अंक हासिल किए, लेकिन पेपर लीक और कोर्ट केस के चलते उन्हें दाख़िला नहीं मिल सका.
बाद में फिज़िक्स वाला की ओर से घोषणा हुई कि 600 से अधिक अंक लाने वाले छात्रों को ‘यक़ीन बैच’ की मुफ़्त कोचिंग दी जाएगी.
इसके बाद रोहित ने तीसरे प्रयास के लिए दोबारा तैयारी शुरू की.
नीट 2025 के नतीजों के बाद, फिज़िक्स वाला के सीईओ अलख पांडे ने रोहित से मुलाक़ात की और उनके परिवार को आश्वासन दिया कि वे रोहित की आगे की पढ़ाई का पूरा ख़र्च उठाएंगे.
तीसरे प्रयास की रणनीति

इमेज स्रोत, MOHAMMAD SARTAJ ALAM
छोटे से घर में रहने वाले रोहित के पास पढ़ने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी.
इसलिए वह साकची स्थित अपने भाई की दुकान के पास एक लाइब्रेरी में पढ़ाई करते थे.
इस लाइब्रेरी में उन्हें हर महीने ₹1300 फीस चुकानी पड़ती थी.
रोहित बताते हैं, “सुबह 7 से दोपहर 12 बजे तक मैं लाइब्रेरी में वीडियो लेक्चर से पढ़ाई करता था. फिर दुकान पर तीन बजे तक काम करता. उसके बाद रात आठ बजे तक फिर से लाइब्रेरी में पढ़ाई करता और रात 10 से 1 बजे तक घर में पढ़ता.”
उनके दोस्त अनुज सिंह कहते हैं, “रोहित ने हर दिन 12–13 घंटे पढ़ाई की, तभी वो 549 अंक ला सके.”
पड़ोसी शारदा देवी कहती हैं, “इंद्रानगर बस्ती से किसी का नीट पास करना तो दूर, हाईस्कूल पास करना भी मुश्किल होता है. लेकिन रोहित ने ये करके दिखाया.”
भाई राहुल खुद सिर्फ़ आठवीं तक ही पढ़े हैं.
डॉक्टर बनने के लिए संघर्ष

इमेज स्रोत, MOHAMMAD SARTAJ ALAM
पांचवीं कक्षा तक हिंदी मीडियम में पढ़ाई करने वाले रोहित को उनके पिता सत्येंद्र सिंह ने बेहतर भविष्य की उम्मीद में एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाख़िला दिलाया.
वहीं से उन्होंने साल 2019 में 79% अंकों के साथ आईसीएसई बोर्ड से मैट्रिक परीक्षा पास की.
लेकिन इस दौरान परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी, क्योंकि रोहित के पिता गंभीर रूप से बीमार हो गए थे.
परिस्थितियों के चलते रोहित को इंग्लिश मीडियम स्कूल छोड़ना पड़ा और उन्होंने जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज में दाख़िला लिया, जहां फीस काफ़ी कम थी.
कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ रोहित ने काम करना भी शुरू कर दिया. उन्हें एक फार्मेसी शॉप में महीने ₹1800 मिलते थे.
रोहित बताते हैं,
“फार्मेसी में काम करते हुए ही मुझे समझ आया कि एमबीबीएस की डिग्री कितनी अहम होती है. जब भी मैं एमबीबीएस के बारे में पूछता, लोग कहते—पहले इंटर पास करके दिखाओ.”
साल 2021 में, रोहित ने बिना किसी ट्यूशन के, सिर्फ़ यूट्यूब वीडियो से पढ़कर 89.5% अंक हासिल किए और वर्कर्स कॉलेज में टॉप किया.
रोहित का परिवार

इमेज स्रोत, MOHAMMAD SARTAJ ALAM
रोहित के पिता सत्येंद्र सिंह साल 2012 से डायबिटीज से पीड़ित हैं.
पहले वह सुबह-सुबह सब्ज़ी मंडी से सब्ज़ी लाने का काम करते थे, जिसके बदले उन्हें हर दिन 250 मिलते थे.
लेकिन अब तबीयत बिगड़ने के कारण वह यह काम नियमित रूप से नहीं कर पाते.
भाई राहुल बताते हैं, “हमने माँ के नाम पर महिला समिति से लोन लिया और थोड़ी-बहुत पूंजी जोड़कर यह पक्का घर बनवाया है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
SOURCE : BBC NEWS