Source :- LIVE HINDUSTAN
यूक्रेन अब तक अमेरिका से अरबों डॉलर की सैन्य सहायता और रियल-टाइम खुफिया जानकारी पर निर्भर रहा है। लेकिन बाइडेन प्रशासन से मिली सहायता कुछ ही दिनों में खत्म हो जाएगी। वहीं, ट्रंप सरकार की नीति अस्पष्ट है।
Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को लेकर अमेरिका की भूमिका पर एक बड़ा मोड़ सामने आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से दो घंटे की फोन वार्ता में अपनी उस पुरानी मांग को छोड़ दिया, जिसमें उन्होंने 30 दिनों के बिना शर्त युद्धविराम की बात की थी। यह घटनाक्रम यूक्रेन और ईयू के देशों के लिए एक बड़ा झटका है, जिन्होंने महीनों तक ट्रंप को अपने पक्ष में करने की कोशिश की थी।
यूक्रेन ने ट्रंप के युद्धविराम प्रस्ताव का समर्थन किया था, लेकिन रूस ने उसे अस्वीकार कर दिया था। अब ट्रंप ने यह संकेत भी दे दिया है कि युद्ध को समाप्त करना अब उनके नियंत्रण से बाहर है। इस बयान से यूक्रेन की सुरक्षा और पश्चिमी समर्थन को लेकर अनिश्चितता गहराती जा रही है। एक यूरोपीय राजनयिक ने निराशा जाहिर करते हुए कहा, “ट्रंप रविवार को यूरोपीय नेताओं से बातचीत में युद्धविराम पर सहमत हुए थे, लेकिन सोमवार को पुतिन से बात करते ही पलट गए। उन पर एक दिन से ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता।”
कुछ हफ्ते पहले तक ट्रंप ने रूस पर सख्त प्रतिबंधों की चेतावनी दी थी, जिससे उम्मीद जगी थी कि पुतिन वार्ता की ओर बढ़ेंगे। लेकिन उनकी नीति अब बदल गई है। पुतिन ने कहा है कि रूस यूक्रेन के साथ एक शांति समझौते पर बातचीत करने को तैयार है, लेकिन यह युद्धक्षेत्र की सच्चाई पर आधारित होनी चाहिए।
जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने कहा, “पुतिन स्पष्ट रूप से समय खींचने की रणनीति अपना रहे हैं। वह वास्तव में शांति में रुचि नहीं रखते।”
चैथम हाउस (लंदन) की विशेषज्ञ ओरिसिया लुत्सेविच ने कहा कि रूस के लिए युद्ध और कूटनीति एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने कहा, “पुतिन कूटनीतिक देरी का उपयोग युद्ध में बढ़त पाने के लिए करते हैं।”
अमेरिकी समर्थन पर सवाल, यूरोप में चिंता बढ़ी
यूक्रेन अब तक अमेरिका से अरबों डॉलर की सैन्य सहायता और रियल-टाइम खुफिया जानकारी पर निर्भर रहा है। लेकिन बाइडेन प्रशासन से मिली सहायता कुछ ही दिनों में खत्म हो जाएगी। वहीं, ट्रंप सरकार की नीति अस्पष्ट है।
मार्च और अप्रैल में ट्रंप ने पुतिन की रणनीति पर नाराज़गी जताई थी और सख्त रुख अपनाया था। इसके चलते यूरोप को उम्मीद थी कि वे रूस पर दबाव बनाएंगे। फरवरी में ज़ेलेंस्की और ट्रंप की सार्वजनिक बहस के बाद संबंध खराब हुए थे। अप्रैल में अमेरिका–यूक्रेन के बीच खनिज समझौता और इस्तांबुल में रूस–यूक्रेन वार्ता से सकारात्मक संकेत मिले थे।लेकिन अब ट्रंप के यू-टर्न ने स्थिति को उलझा दिया है।
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