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कान्स फेस्टिवल में जाने वाली पहली भारतीय फिल्म

1946 में अपनी शुरुआत से ही भारतीय सिनेमा का कान्स फेस्टिवल में एक बेहतरीन इतिहास रहा है। भारत ने इस प्रतिष्ठित समारोह में मृणाल सेन, अरुंधति रॉय, ऐश्वर्या राय बच्चन, दीपिका पादुकोण, शर्मिला टैगोर सहित कई जूरी सदस्यों को देखा है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कान्स फिल्म फेस्टिवल में भारत की यात्रा किस फिल्म से शुरु हुई थी? कान्स फेस्टिवल में सम्मान पाने वाली भारत की पहली फिल्म चेतन आनंद की ‘नीचा ‘नगर थी जो 1946 की सामाजिक मुद्दे पर बनी थी। इसे ग्रांड प्रिक्स डू फेस्टिवल इंटरनेशनल डू फिल्म – महोत्सव का सर्वोच्च पुरस्कार दिया गया। विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन करने वाली इस फिल्म को अपने देश में कभी भी रिलीज नहीं किया गया।

व्यापक रिलीज को तरसती रही ‘नीचा नगर’

दिलचस्प बात यह है कि इसका मतलब यह भी है कि देव आनंद के बड़े भाई कान्स फेस्टिवल में जाने वाले पहले भारतीय थे और अपनी फिल्म के लिए पुरस्कार भी जीत चुके थे। ख्वाजा अहमद अब्बास और हयातुल्लाह अंसारी द्वारा लिखित और चेता आनंद द्वारा निर्देशित, ‘नीचा नगर’ सामाजिक विषय पर आधारित फिल्म थी। इस फिल्म में चेतन आनंद की पत्नी उमा आनंद के साथ-साथ रफीक अनवर, कामिनी कौशल, मुराद, रफी पीर, हामिद बट और जोहरा सहगल ने भी अभिनय किया था। ‘नीचा नगर’ एकमात्र भारतीय फिल्म है जिसे कभी पाल्मे डी’ओर से सम्मानित किया गया, लेकिन भारत में इसे कभी व्यापक रिलीज नहीं मिली। इसे 1980 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था।

चेतन आनंद की फिल्म ने रचा इतिहास

‘नीचा नगर’ को दुनिया भर की कई बेहतरीन फिल्मों के साथ प्रदर्शित किया गया था, जैसे रॉबर्टो रोसेलिनी की ‘रोम’, ‘ओपन सिटी’ (इटली), डेविड लीन की ‘ब्रीफ एनकाउंटर’ (यूके) और बिली वाइल्डर की ‘द लॉस्ट वीकेंड’ (यूएसए) और खास बात यह है कि इसका संगीत पंडित रविशंकर ने तैयार किया था। 79 पहले रिलीज हुई इस फिल्म ने कान्स फिल्म फेस्टिवल में इतिहास रच दिया। मैक्सिम गोर्की के नाटक ‘द लोअर डेप्थ्स’ से प्रेरित, ‘नीचा नगर’ समाज में अमीर और गरीब के बीच के अंतर को दिखाती है। फिल्म में वर्ग के आधार पर अलग-अलग हो चुकी दुनिया को दिखाया गया है।

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